घर खरीदने जा रहे हैं? 1 अप्रैल को मिलने वाला झटका जान लें

06:24 PM Mar 30, 2022 |
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नया वित्त वर्ष हर साल की तरह कुछ नए बदलाव और जिम्मेदारियां लेकर आता है. 1 अप्रैल 2022 से भी ऐसे कई बदलाव हो रहे हैं, जो हमारी जेब से लेकर बचत और कमाई पर असर डालेंगे. इनमें से कई बदलाव ऐसे भी हैं, जिनके बारे में हम आपको लगातार बताते रहे हैं और उम्मीद है कि उनसे निपटने की तैयारियां आपने समय रहते कर ली होंगी. बहरहाल 1 अप्रैल से इनकम टैक्स, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, बैंकिंग, पोस्टऑफिस, पीएफ और पेंशन तक के नियमों में कोई न कोई बदलाव हो रहा है. साथ ही कई ऐसे बदलाव भी हैं, जिनके मद्देनजर आप नए वित्त वर्ष में अपनी टैक्स और सेविंग प्लानिंग कर सकते हैं. आइए सरसरी नजर डालें इन बदलावों पर:

इनकम टैक्स में होने वाले बदलाव

1. बजट और नए फाइनेंस बिल को अमली जामा पहनाते हुए नया वित्त वर्ष आपके लिए कई वित्तीय बोझ और सहूलियतें लेकर आ रहा है. चूंकि हर नौकरीपेशा और कारोबारी अप्रैल के पहले दिन से ही नए वित्त वर्ष की टैक्स प्लानिंग में जुट जाता है, ऐसे में सबसे जरूरी है कि निवेश संबंधी कदम शुरू से ही उठाए जाएं. नए वित्त वर्ष में टैक्स पेयर्स के लिए रिटर्न सुधारने की विशेष सुविधा दी गई है. यदि आप किसी गड़बड़ी या गलती को सुधारकर फिर से ITR भरना चाहते हैं तो असेसमेंट ईयर के भीतर एक अपडेटड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. हालांकि इसके अपने कुछ चार्जेज भी हैं. 2. राज्य सरकार के कर्मचारी अब अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 14 पर्सेंट तक नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) योगदान के लिए सेक्शन 80CCD (2) के तहत आयकर कटौती का दावा कर सकेंगे. इससे उन्हें वह सुविधा हासिल होगी, जिसका फायदा अब तक केवल केंद्र सरकार के कर्मचारी उठाते थे. 3. पहली अप्रैल से क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत इनकम टैक्स लागू हो जाएगा. इतना ही नहीं, इस पर 1 फीसदी टीडीएस (TDS) भी लगेगा. लेकिन टीडीएस का प्रावधान तुरंत न लागू होकर 1 जुलाई 2022 से प्रभावी होगा. क्रिप्टो में निवेश करने वालों के लिए एक और कड़ा प्रावधान इंतजार कर रहा है. बजट प्रावधानों में थोड़ा और संशोधन करते हुए सरकार ने व्यवस्था की है कि एक क्रिप्टो एसेट में हुए नुकसान को दूसरे एसेट में लाभ के अगेंस्ट सेटऑफ नहीं किया जा सकता. मसलन आप बिटकॉइन में एक लाख रुपये गेन करते हैं और किसी दूसरी क्रिप्टो करंसी, जैसे लकी ब्लॉक या सोलाना, में एक लाख गंवा बैठते हैं तो इनकम टैक्स भरते समय एक गेन को दूसरे लॉस में एडजस्ट नहीं कर पाएंगे.

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स में बदलाव

1 अप्रैल से 20 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाले दुकानदारों, कंपनियों या सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए ई-इनवॉइसिंग (E-Invoicing) अनिवार्य हो रही है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस (CBIC) के आदेश के मुताबिक 20 करोड़ रुपये सालाना से ऊपर टर्नओवर वाले कारोबारी सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी करेंगे. ई-इनवॉइसिंग के तहत बिलिंग ऑनलाइन और रियल टाइम में होती है. यानी बिलिंग में दर्ज आंकड़े जीएसटी पोर्टल पर भी दर्ज होते जाते हैं. इससे बोगस ट्रेडिंग या फेक बिलिंग की संभावना कम होगी और टैक्स चोरी पर लगाम कसेगी. इसके अलावा जीएसटी में रजिस्टर्ड करीब 1.4 करोड़ कारोबारियों की अलग-अलग कैटेगरीज में कुछ नए नियम भी हर साल की तरह पहली अप्रैल से लागू होंगे.

प्रोविडेंट फंड के दो खाते

जैसा कि हम जानते हैं कि पीएफ पर ब्याज टैक्स फ्री होता है. लेकिन अब ऐसा एक सीमित दायरे में ही होगा. यानी कर्मचारी की ओर से सालाना 2.5 लाख रुपये तक योगदान की रकम पर ब्याज ही करमुक्त होगा, उससे ज्यादा योगदान के ब्याज पर टैक्स लगेगा. कितनी रकम का ब्याज टैक्सेबल होगा, इसे सरल करने के लिए 1 अप्रैल से पीएफ खाते को दो भाग में बांटने का प्रावधान किया गया है. यानी जिनके खाते में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का योगदान होता है, उनके लिए दूसरा खाता भी खुलेगा, जो टैक्सेबल होगा. ध्यान रखें कि 2.5 लाख की सीमा केवल कर्मचारी की ओर से होने वाले योगदान की है, न कि कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान मिलाकर. यानी कर्मचारी के मद में अगर 3 लाख का योगदान होता है तो पहले खाते में 2.5 लाख और दूसरे यानी टैक्सेबल खाते में 50,000 रुपये जमा होंगे. सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ में योगदान पर करमुक्त सीमा 5 लाख रुपये सालाना है. एक बार फिर ध्यान दिला दें कि टैक्स जमा होने वाली रकम पर नहीं, बल्कि उसके ब्याज पर लगना है.

बैंकिंग रूल्स में भी बदलाव

एक अप्रैल से जहां कई बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी करने जा रहे हैं, वहीं कुछ बैंकों ने सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की सीमा बढ़ा दी है. 1 अप्रैल से एक्सिस बैंक के सैलरी या सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दी जाएगी. बैंक ने फ्री कैश ट्रांजैक्शन की सीमा भी बदली है. अब इसे चार फ्री ट्रांजैक्शन या 1.5 लाख रुपये कर दिया गया है. वहीं पंजाब नेशनल बैंक ने 10 लाख और उससे अधिक के चेक के लिए वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI bank), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) सहित कई बैंकों ने कोविड राहत के तहत स्पेशल एफडी योजना शुरू की थी. इसके तहत सीनियर सिटीजंस को एफडी पर ज्यादा ब्याज मिल रहा था. कई बैंकों ने इसे बंद करने की बात कही है.

डाकघर स्कीमों में कैश बंद

डाकघर की बचत योजनाओं में निवेश करने वालों के लिए 1 अप्रैल से जरूरी होगा कि उन्हें मिलने वाला ब्याज सिर्फ बैंक खाते में ही आए. यानी ब्याज का भुगतान कैश में नहीं होगा. पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS), सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) और टर्म डिपॉजिट काउंट्स पर ब्याज या तो इंडिया पोस्ट बैंक के खाते में मिलेगा या किसी भी अन्य बैंक के खाते में, बशर्ते कि वह उस स्कीम से लिंक्ड हो.

म्युचुअल फंड में नो-चेक

1 अप्रैल से म्यूचुअल फंडों में निवेश के लिए भुगतान भी सिर्फ नेट बैंकिंग या यूपीआई पेमेंट के जरिए हो सकेगा. कैश, चेक, बैंक ड्राफ्ट या किसी अन्य फिजिकल जरिए से भुगतान नहीं हो सकेगा. फिजिकल पेमेंट के दायरे में चेक और ड्राफ्ट के अलावा ट्रांसफर लेटर्स, बैंकर्स चेक, पे ऑर्डर भी आएंगे. यानी इनके माध्यम से फंड में पैसा जमा नहीं हो सकेगा.

होमबायर्स को अतिरिक्त छूट नहीं

पहली बार घर खरीदने वालों को इनकम टैक्स के सेक्शन 80EEA के तहत टैक्स छूट का फायदा 1 अप्रैल 2022 से बंद हो जाएगा. साल 2019-20 के बजट में, केंद्र सरकार ने 45 लाख रुपये तक की कीमत का घर खरीदने वालों के लिए होम लोन पर अतिरिक्त 1.50 लाख रुपये डिडक्शन की घोषणा की थी. बाद में इसे अगले दो साल के लिए बढ़ा दिया गया. लेकिन 1 फरवरी 2022 को पेश हुए बजट में इसे एक्सटेंड नहीं किया गया है. यानी ऐसे घर खरीदारों को वित्त वर्ष 2022-23 से इनकम टैक्स में यह एक्स्ट्रा डिडक्शन हासिल नहीं होगा.
वीडियो- अब इतनी बिक्री पर ही ई-बिलिंग जरूरी ! 
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