The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'हिंडनबर्ग जांच में 15 महीने लग सकते हैं', SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया तो अडानी ग्रुप ने क्या कहा?

SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को जांच के बारे में क्या-क्या बताया?

post-main-image
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (फाइल फोटो- आज तक)

अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट से और 6 महीने का समय मांगा है. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को जांच करने को कहा था. 24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन (शेयरों में धांधली) और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इस पर खूब हंगामा हुआ. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. 2 मार्च को कोर्ट ने SEBI को आदेश दिया कि आरोपों की जांच कर 2 महीने में रिपोर्ट सौंपे. लेकिन अब SEBI ने कोर्ट में आवेदन देते हुए कहा कि मामले की जटिलता को देखते हुए जांच में काफी समय लगेगा.

अडानी ग्रुप का जवाब आया

कोर्ट में SEBI के एप्लीकेशन के बाद अडानी ग्रुप ने भी बयान जारी कर दिया. ग्रुप के मुताबिक, यह जानना जरूरी है कि SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में किसी भी कथित गलत काम का कोई प्रमाण नहीं दिया है. SEBI ने सिर्फ शॉर्ट सेलर्स (हिंडनबर्ग) की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जिक्र किया है, जिस पर अब भी जांच जारी है. अडानी ग्रुप ने मीडिया से अपील की है कि वे इस वक्त किसी भी तरह के गैरजरूरी अटकलें ना लगाएं और SEBI और एक्सपर्ट कमिटी की जांच का इंतजार करें. ग्रुप ने कहा है कि वो जांच में SEBI की पूरी तरह मदद कर रहा है.

SEBI ने कोर्ट में क्या कहा?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने कोर्ट को बताया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन 12 संदिग्ध ट्रांजेक्शन के बारे में बताया गया है, वो काफी जटिल हैं. और इसकी जांच में कम से कम 15 महीनों का समय लग सकता है. SEBI ने कहा कि वो जांच को 6 महीने के भीतर पूरा करने की कोशिश करेगी. SEBI ने बताया कि उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमिटी के साथ दो मीटिंग की. साथ ही कमिटी को जांच के बारे में बताया गया है.

सेबी ने कोर्ट को बताया है, 

“मामले की जांच के लिए कई घरेलू और इंटरनेशनल बैंकों के बैंक स्टेटमेंट देखने की जरूरत है. विदेशी बैंकों से बैंक स्टेटमेंट लेने के लिए वहां के नियामकों की मदद लेनी होगी और इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा.”

SEBI ने ये भी कहा कि अमेरिका में ऐसी जांच नौ महीने से लेकर 5 साल तक चलती है. 

2 मार्च को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की जांच के लिए एक 6 सदस्यों की समिति का गठन किया था. साथ ही इस मामले में SEBI द्वारा की जा रही जांच को भी जारी रखने को आदेश दिया था. सेबी को जांच करने का निर्देश दिया गया था कि क्या इस मामले में SEBI के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है? क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है?

हिंडनबर्ग रिसर्च में अडानी पर आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी ग्रुप दशकों से स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है. साथ ही कहा गया था कि अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड अहम कंपनियों पर काफी कर्ज है. बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए शेयर्स को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है, जिससे पूरे ग्रुप की वित्तीय स्थिति मुश्किल में पड़ सकती है.

रिपोर्ट में ये भी दावा था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गैरजरूरी तरीके से महंगे हैं. यानी इन शेयर्स की वास्तविक कीमत बहुत कम है लेकिन इन्हें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है.  अगर असलियत सामने आए, तो शेयर्स की कीमत में 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

हालांकि अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. साथ ही कहा था कि हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो: खर्चा पानी: अडानी को पैसा उधार मिलेगा या नहीं?