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अडानी प्रचार कर रहे- सारा कर्ज चुका दिया, लेकिन ये दावा बैंकों को भी चौंका देगा!

इस दावे के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट आई थी.

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उद्योगपति गौतम अडानी. (फाइल फोटो)

अडानी समूह (Adani Group) पर जब से अमेरिका की रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने रिपोर्ट जारी की है, तब से अडानी समूह के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं. अब खबर आई है कि अडानी समूह कर्ज चुका पाने की हालत में नहीं है और अपना कर्ज चुकाने के लिए शेयरों की बिक्री कर रहा है. दरअसल, इकॉनमिक टाइम्स ने 28 मार्च को सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट छापी. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर कई बातें कही गईं.

रिपोर्ट में बताया गया कि अडानी एंटरप्राइजेज 4 अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़ रुपये) के कर्ज चुकाने के नियम कायदों में बदलाव चाहती है. इस खबर के आने के बाद 28 मार्च को अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों में 7 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई.  इसके अलावा ग्रुप की दूसरी कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली थी. हालांकि, 29 मार्च को 12.30 बजे के आसपास अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर करीब 6 फीसदी की तेजी के साथ 1700 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा था. 

कर्ज चुका पाने की क्षमता पर सवाल

शेयरों में आई इस गिरावट के लिए न्यूज बेवसाइट ‘द केन’ की एक रिपोर्ट को जिम्मेदार माना गया. ‘द केन’ ने अपनी रिपोर्ट में शेयरों के बदले लिए गए 2.15 अरब डॉलर (17,700 करोड़ रुपये) के कर्ज को चुका पाने में अडानी समूह की क्षमता पर चिंता जताई. इधर, इकॉनमिक टाइम्स ने कहा कि रेगुलेटरी फाइलिंग से मालूम हुआ है कि बैंकों ने अभी तक अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के शेयरों का एक बड़ा हिस्सा जारी नहीं किया है. वहीं, अडानी ग्रुप ने शेयर बिक्री और कर्ज न चुकाने पाने की खबरों को खारिज किया है. कंपनी ने कहा था कि उसने अपना कर्ज चुकाया दिया है उसके बदले में गिरवी रखे गए शेयरों को जारी कर दिया गया है. 

इधर, अडानी समूह के CFO जुगशिंदर सिंह ने एक ट्वीट कर कहा था कि मीडिया रिपोर्ट में कही गई बातें फर्जी हैं. इकॉनमिक टाइम्स ने कहा कि अडानी समूह ने 3 अरब डॉलर (24,700 करोड़ रुपये) के ब्रिज लोन की अवधि को मौजूदा 18 महीनों से बढ़ाकर पांच साल या उससे आगे बढ़ाने के लिए कर्ज देने वाले बैंकों या दूसरे कर्जदाताओं के साथ बातचीत शुरू की थी. वहीं केन की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्सचेंज फाइलिंग से पता चलता है कि बैंकों ने सिक्योरिटी के रूप में रखे गए प्रमोटरों के शेयरों का एक बड़ा हिस्सा जारी नहीं किया है. इससे पता चलता है कि कर्ज पूरी तरह से चुकाया ही नहीं गया है. 

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह को अब तक अरबों का फटका लग चुका है. इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों की हालत पस्त है और अडानी समूह की कंपनियों की मार्केट वैल्यू आधे से भी कम रह गई है. इससे देश दुनिया के बड़े से बड़े निवेशक अडानी समूह में निवेश करने से पहले सौ बार सोच रहे हैं.

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