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अडानी ग्रुप को अब किस मामले में दोषी पाया गया, जिसके कारण जुर्माना लगा?

समूह के मुखिया गौतम अडानी पर भी जुर्माना लगा है

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अडानी पावर के खिलाफ दो मामले में आया फैसला (फाइल फोटो- रॉयटर्स)

शेयरों की धांधली और अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोपों की जांच के बीच अडानी ग्रुप (Adani Group) को कंपनी कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. इसके लिए अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर जुर्माना भी लगा है. हाल में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने अडानी पावर (Adani Power) से जुड़े दो मामलों में फैसला सुनाया. इसके मुताबिक, अडानी पावर ने दो मामलों में कंपनीज एक्ट का उल्लंघन किया. एक मामले में अडानी पावर ने तीन वित्तीय वर्षों के दौरान रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के बारे में जानकारी नहीं दी.

अडानी पर कितना जुर्माना लगा?

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की गुजरात ब्रांच ने 16 मई को यह फैसला सुनाया. मामले की सुनवाई 8 मई को हुई थी. पहला मामला वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन का था. इस मामले में गौतम अडानी, अडानी पावर के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश शांतिलाल अडानी और पूर्णकालिक डायरेक्टर विनीत एस जैन पर 75-75 हजार रुपये का जुर्माना लगा है.

कंपनीज एक्ट की धारा-189 के तहत, कंपनियों के लिए किसी रिलेटेड पार्टी कॉन्ट्रैक्ट्स या ट्रांजेक्शन की जानकारी साझा करना जरूरी है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि दो पार्टी के बीच कोई ऐसा समझौता, जिसके पहले से एक-दूसरे के साथ कारोबारी संबंध हैं. इसमें कई बार हितों के टकराव का खतरा होता है.

अडानी समूह ने इसपर क्या कहा?

कंपनीज एक्ट में एक प्रावधान यह भी है कि रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के अगर "आर्म्स लेंथ" के तहत हुआ है तो कंपनी को इसके बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है. आर्म्स लेंथ माने हाथ भर की दूरी. माने लेन-देन के वक्त व्यवहार पेशेवर तरीके से हुआ. इस छूट के लिए कंपनी को साबित करना होता है कि ऐसे ट्रांजेक्शन में कोई हितों का टकराव ना हुआ हो. अडानी पावर ने सुनवाई में इसी प्रावधान की दलील दी. हालांकि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी का मानना है कि अडानी ग्रुप ने कानून का उल्लंघन किया है.

दूसरे केस में भी जुर्माना

वहीं एक और केस में, अडानी पावर को सालाना रिटर्न फाइल करने में देरी का दोषी पाया गया है. कंपनी ने वित्त वर्ष 2014-15 और 2016-17 में इसका उल्लंघन किया. इस मामले में कंपनी के रूप में अडानी पावर और इसके तीन अधिकारियों के खिलाफ 10,200 रुपये का जुर्माना लगा.

कंपनीज एक्ट की धारा-92(4) के तहत, कंपनियों को एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) करने के 60 दिन के भीतर सालाना रिटर्न जमा करना जरूरी है. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने कंपनी के अलावा राजेश अडानी, विनीत एस जैन, अडानी पावर के चीफ फायनेंसियल ऑफिसर विनोद भंडावत और कंपनी के सचिव दीपकभाई पांड्या पर जुर्माना लगाया.

अडानी ग्रुप की मुश्किलें

अडानी ग्रुप के खिलाफ ये फैसला तब आया है, जब ग्रुप गंभीर आरोपों की जांच से घिरा हुआ है. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को जांच करने को कहा था. 24 जनवरी, 2023 को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन (शेयरों में धांधली) और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. रिपोर्ट में ये भी दावा था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गैरजरूरी तरीके से महंगे हैं. यानी इन शेयर्स की वास्तविक कीमत बहुत कम है लेकिन इन्हें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. अगर असलियत सामने आए, तो शेयर्स की कीमत में 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

इस रिपोर्ट पर खूब हंगामा हुआ. विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की मांग की. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. 2 मार्च को कोर्ट ने SEBI को आदेश दिया कि आरोपों की जांच कर रिपोर्ट सौंपे. न्यायालय ने एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई थी, जो इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है.

वीडियो: खर्चा-पानी: अडानी मामले में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा