The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

कार इंश्योरेंस में सबकुछ कवर चाहिए तो ये चालाकियां याद रखना

कार लेते वक्त लोगों को ऐसा बीमा ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए जिसके बाद अलग से कोई पॉलिसी लेने की जरूरत न पड़े.

post-main-image
लोगों को ऐसी पॉलिसी ढूंढनी चाहिए जो बजट के मुताबिक हो और सभी जरूरतें कवर करती हो. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कार खऱीदने के साथ ही उसके इंश्योरेंस भी लेना होता है. इंडिया में थर्ड पार्टी कार इंश्योरेंस लेना अनिवार्य है. ताकि कल को आपकी गाड़ी से किसी दूसरे की कार को कोई नुकसान पहुंचे तो उसकी भरपाई भी किफायती तरह से हो सके. इसलिए लोगों को ऐसा बीमा ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए जिसमें सब कुछ कवर हो जाए और अलग से कोई पॉलिसी लेने की जरूरत न पड़े. 

ऑनलाइन पॉलिसी पड़ती है किफायती

ऑफलाइन की बजाय ऑनलाइन पॉलिसी लेकर आप बिचौलिये, एजेंट या ब्रोकर्स के झमेले से बच जाते हैं. कमिशन फीस नहीं देनी पड़ती. इस तरह खरीदने वाले को पॉलिसी सस्ती और किफायती पड़ती है. ऑनलाइन इंश्योरेंस कंपनियों के पास ऐसे टूल्स होते हैं जो काफी हाईटेक तरीके से ये बता देते हैं फलां व्यक्ति को बीमा पॉलिसी देना कितना रिस्की है. इस तरह की तकनीक बीमा कंपनियों को किफायती दाम पर पॉलिसी ऑफर करने में मदद करती है. 

इसके अलावा ऑनलाइन आवेदन करना, क्लेम या पॉलिसी के बारे में जानकारी इकट्ठा करना काफी आसान होता है. बीमाकर्ता बड़ी आसानी से चेक कर सकते हैं कि दूसरी कंपनी बीमा कितने पर दे रही है. किस कंपनी के फीचर अच्छे हैं. आजकल तमाम इंश्योरेंस प्लैटफॉर्म बाजार में आ चुके हैं जो ग्राहकों की जरूरत और सुविधा के हिसाब से पॉलिसी दे रहे हैं. लेकिन किसी भी कंपनी से बीमा लेने से पहले इन चीजों को जरूर ठोक बजाकर देख लें.

क्लेम सेटलमेंट रेशो

सबसे पहले बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशो जरूर देख लें. यानी दावों के मुकाबले उसने कितने लोगों को क्लेम का पैसा लौटाया है. इससे ये पता चल जाएगा कि कंपनी भरोसेमंद है या नहीं. बीमा कंपनियों के नियम कानून तय करने वाले निकाय IRDAI की वेबसाइट पर भी क्लेम रेशो के बारे में जानकारी दी गई है. उसके मुताबिक 95 फीसदी या उससे ऊपर के क्लेम रेशो वाली कंपनी पर भरोसा किया जा सकता है. अमूमन हर इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर भी इसकी जानकरी मिल जाती है.

रिव्यू और रेटिंग भी खंगाल लें

आजकल सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर यूजर्स इंश्योरेंस कंपनियों का सारा कच्चा चिट्ठा मिल जाता है. किसी भी कंपनी से पॉलिसी लेने से पहले सोशल मीडिया पर उसके बारे में लोगों का रिव्यू और रेटिंग जरूर देख लें. गूगल स्टोर या प्ले स्टोर पर भी ऐप का रिव्यू जरूर देख लें.

जितने ऐड ऑन उतने बेहतर

मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स कई तरह के छुटपुटिया कवर भी मेन पॉलिसी के साथ जुड़वा सकते हैं. इन्हें ‘ऐड ऑन’ कहते हैं. मिसाल के तौर पर ऐसा ही एक ऐड ऑन है जीरो डेप्रिसिएशन कवर. इस कवर के अंतर्गत गाड़ी का कोई भी पार्ट रिपेयर कराने पर इंश्योरेंस कंपनी उसके पूरे के पूरे पैसे देती है. ऐसा ही एक और ऐड ऑन है इंजन प्रोटेक्शन कवर. यह कवर गाड़ी के इंजन और उससे जुड़े हिस्सों में किसी तरह की खराबी होने पर उसके खर्चे की वापसी की गारंटी तय करता है.

रोडसाइड असिस्टेंस भी एक कवर है जिसे अमूमन काफी खरीदा जाता है. बीच रास्ते में गाड़ी में कोई भी खराबी आने पर काम आता है. मसलन टायर पंचर हो जाए, फ्यूल खत्म हो जा या बैटरी खराब हो जाए, ऐसी सभी सूरतों में गाड़ी सुधरवाने का जिम्मा इंश्योरेंस कंपनी पर आ जाता है. कई लोग इनवॉयस कवर भी खरीदते हैं. गाड़ी चोरी होने की सूरत में यह बीमा कवर इनवॉयस पर लिखी रकम के बराबर का रिकवर पॉलिसी लेने वाले को देता है. 

नोट: ग्राहक ऐड ऑन चुनते समय अपनी जरूरतों और बजट का जरूर ध्यान रखें.

वीडियो: खर्चा पानी: देश की चार प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों पर बड़ा आरोप!