ये बैड बैंक आखिर है क्या बला?
लोन देने वाले संस्थान काफी वक्त से बैड बैंक की मांग कर रहे हैं. दुनिया के कई देशों में बैड बैंक सक्रिय हैं लेकिन भारत में अभी तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं था. बैड बैंक का मतलब ऐसे संस्थान से है जो बैंकों के डूबे पैसों की उगाही करेगा. मतलब NPA की उगाही करेगा. अगर किसी ने बैंक से पैसा लिया है और वापस नहीं किया तो बैड बैंक उससे उगाही करेगा. बैड बैंक इसके लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा. मान लीजिए कि बैंक ने अपना काफी पैसा लोन पर दिया लेकिन कर्ज लेने वालों ने पैसा वापस नहीं किया. यानी NPA (Non-performing loan) हो गया. अब ऐसे में बैड बैंक वसूली का ठेका ले लेता है. सबसे पहले वो NPA खरीदता है. यानी बैंक को कुछ पैसे दे देता है. बैंक और बैड बैंक के बीच तय हो जाता है कि वसूली किए गए पैसे में से कुछ अमाउंट बैड बैंक को मिलेगा. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ‘बैड बैंक’ के पूरे कॉन्सेप्ट को ‘मोरल हेज़र्ड’ कहा था. यानी ऐसा हो सकता है कि बैंक इसके बाद और खुल कर लोन देने लगें. आखिर बैंकों की कमाई लोन के ब्याज से ही तो होती है. ऐसे में सवाल तो ये भी है ना कि अगर बैड बैंक कोई NPA खरीदे और वसूली ना कर पाए, तो क्या होगा? लेकिन बैंक पहले ही प्रोविजन का प्रावधान रखते हैं यानी ये मान कर चलते हैं कि हमारा कुछ अमाउंट NPA में जा सकता है.वीडियो- बजट-2021: सरकार की स्क्रैप पॉलिसी क्या है?
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