कॉरपोरेट टैक्स में कटौती (Corporate Tax Cut) की वजह से बीते दो वित्त वर्षों में केंद्र सरकार (Central Government) को लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही जा रही है. अंग्रेजी अखबार दी ट्रिब्यून ने अपनी एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी है. इसके मुताबिक, जहां वित्त वर्ष 2019-20 में 87 हजार 835 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, वहीं 2020-21 में 96 हजार 400 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार ने झेला.
क्या कॉरपोरेट टैक्स कटौती से केंद्र को हुआ '1.84 लाख करोड़ रुपये का नुकसान'?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ये जानकारी ट्विटर पर साझा की तो बीजेपी के शहजाद पूनावाला ने उन्हें भारतीय राजनीति का 'Pinocchio' बता दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, ये जानकारी एक संसदीय पैनल ने दी है. बताया गया है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की वजह से वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार को हुए नुकसान के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं. हालांकि, अनुमान लगाया जा रहा है कि ये नुकसान एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है. ये भी सामने आया है कि कॉरपोरेट टैक्स दरों में कटौती की घोषणा से पहले भी केंद्र सरकार को नुकसान हो रहा था.
दी ट्रिब्यून की इस रिपोर्ट के हवाले से अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा,
"अगर चंद अमीरों और दोस्तों का टैक्स माफ ना किया होता तो आज गरीबों के खाने-पीने पर टैक्स ना लगाना पड़ता. परिवारवाद और दोस्तवाद ने देश को बर्बाद कर दिया."
इधर बीजेपी की तरफ से केजरीवाल के हमले का जवाब दिया गया. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट करते हुए केजरीवाल को ‘Pinocchio’ कहा. अब ट्वीट में लिखी बात बताने से पहले पिनोच्चियो (या पिनोक्यो) का मतलब बता देते हैं. ये असल में पश्चिमी बालकथाओं का एक काल्पनिक कैरेक्टर है. लकड़ी का बना एक लड़का जिसकी नाक झूठ बोलते वक्त लंबी हो जाती है. तो मोटी बात ये कि पूनावाला ने केजरीवाल को झूठा बताया है. उन्होंने ट्वीट में कहा,
"भारतीय राजनीति के पिनोच्चियो अरविंद केजरीवाल जी. आप पुरानी रिपोर्ट और डाटा का प्रयोग करके देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. सच्चाई ये है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बावजूद सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में 7.3 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा किए, जो कि वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा है."
इससे पहले कॉरपोरेट टैक्स दरों में कटौती की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि वो बिजनेस का ऐसा माहौल बनाना चाहती है, जिससे कुछ घरेलू कंपनियां नया निवेश हासिल कर पाएं. साथ ही साथ रोजगार पैदा कर पाएं और अर्थव्यवस्था को तेजी दें. सरकार ने घरेलू कॉरपोरेट कंपियों के लिए टैक्स रेट घटाकर 22 फीसदी कर दी थी. वहीं 31 मार्च 2023 तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नया इनवेस्टमेंट हासिल करने वाली कंपनियों के लिए टैक्स दर घटाकर 15 फीसदी कर दी थी.
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ये जानकारी तब सामने आई है, जब 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस चल रही है. कोई इसे टैक्स देने वालों पर बोझ और देश के विकास में बाधक बता रहा है, तो किसी का कहना है कि लोगों को मुफ्त मूलभूत सुविधाएं मिलना जरूरी है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक तौर पर चुनाव के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने के वादों की आलोचना कर चुके हैं. वहीं मुफ्त बिजली-पानी जैसी सेवाएं देने के लिए जाने जानी वाली आम आदमी पार्टी सरकार की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध चुके हैं. इस बीच ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है जो मुफ्त चुनावी वादों को लेकर पहले भी अपनी चिंता जाहिर कर चुका है.
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