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बंपर GST कलेक्शन के बावजूद राज्यों को पैसा देने से क्यों कतरा रहा केन्द्र?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 28 और 29 जून को चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की काफी महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. इस बैठक में राज्यों को मिल रही कंपेनसेशन रकम को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है.

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जीएसटी (सांकेतिक तस्वीर)

जीएसटी की वजह से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र से मिलने वाला पैसा (कंपेनसेशन) लग रहा है कि अब आगे मिलने की उम्मीद काफी कम है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 28 और 29 जून को चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की काफी महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. इस बैठक में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल थे. लेकिन इस बैठक में राज्यों को मिल रही कंपेनसेशन रकम को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. अब आपको बताते हैं कि दरअसल पूरा मामला है क्या. 

केन्द्र ने दिया था नुकसान की भरपाई का भरोसा

एक जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी व्यवस्था लागू हुई थी. इसके पहले तक हर राज्य में  अलग अलग तरह के टैक्स लगते थे. कुल मिलाकर राज्य 15-20 तरह के टैक्स वसूलते थे. लेकिन जब जीएसटी लागू हुआ ये सभी टैक्स खत्म हो गए और देशभर एक समान टैक्स व्यवस्था लागू हुई जिसे गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स यानी GST कहा जाता है. लेकिन कई राज्य जीएसटी लागू करने के पक्ष में नहीं थे उनका कहना था कि अगर जीएसटी व्यवस्था लागू हुई तो उनकी इनकम घट जाएगी. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों को भरोसा दिलाया और वादा किया केन्द्र सरकार राज्यों के इस नुकसान की भरपाई करेगा और अगले पांच साल यानी 30 जून 2022 तक राज्यों को जितना भी राजस्व का नुकसान होगा वह भरेगा साथ ही यह भी कहा कि राज्यों को हर साल उनके रेवेन्यू में 14 फीसदी की बढ़ोतरी भी जाएगी.

30 जून को खत्म हुई डेडलाइन 

इस पैसे का इंतजाम करने के लिए केन्द्र ने जीएसटी कंपेनेसेशन सेस के तहत सिगरेट, पान मसाला , गुटखा और लग्जरी कारों पर 28 फीसदी जीएसटी के अलावा इस पर सेस लगाने की ऐलान किया है. सेस के जरिये जो पैसा इकठ्टा होता था उससे जिन राज्यों की जीएसटी लागू होने से नुकसान हो रहा था उन राज्यों की इस मद से भरपाई की जा रही थी. यह व्यवस्था 5 साल के लिए लागू की गई थी. 30 जून 2022 को यह डेडलाइन खत्म हो चुकी है. चूंकि राज्यों को जो पैसा स्टेट जीएसटी कलेक्शन के मद में और कंपेनसेशन के मद में मिलता है उसी पैसे से राज्य सरकारें अपने खर्चें वगैरह पूरी करती है मसलन सरकारी कर्मचारियों की सैलरी आदि. लेकिन जीएसटी लागू होने के करीब ढाई तीन साल बाद ही कोरोना महामारी ने भी कुछ राज्यों की आर्थिक हालत काफी खस्ता कर दी थी. ऐसे में कुछ राज्यों खासतौर से गैर बीजेपी शासित चाहते थे कि सरकार आगे भी कंपेनसेशन व्यवस्था को जारी रखे.

केन्द्र सरकार ने क्यों किया किनारा ?

जानकारों का कहना है कि केन्द्र अगले 5 साल यानी सिन गुड्स (पान मसाला गुटखा, सिगरेट, तंबाकू) और लग्जरी कार वगैरह पर 28 फीसदी टैक्स के अलावा सेस भी वसूलता रहेगा लेकिन राज्यों को नहीं देगा. इसके पीछे केन्द्र सरकार का तर्क है कि कंपेनसेशन सेस के जरिये जो पैसा केन्द्र के पास आया उसके मुकाबले केन्द्र ने राज्यों को ज्यादा पैसा दिया है. इसके चलते केन्द्र सरकार को बाजार से उधार पैसा लेना पड़ा है. ऐसे में जब तक केन्द्र की उधारी जब तक नहीं चुक जाती केन्द्र तो सेस के मद में टैक्स लेता रहेगा लेकिन इस पैसे को राज्यों के बीच नहीं बांटा जाएगा. चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि कुछ राज्यों ने कंपेनसेशन (मुआवजे) का मुद्दा उठाया था. लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. 

सरकार ने लिया है 2.69 लाख करोड़ का कर्ज 

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के कैबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि राज्यों ने इस मामले को उठाया था लेकिन इस बारे में जीएसटी काउंसिल ने कोई फैसला नहीं लिया है. उन्होंने कहा, "हमारी इस मांग करने के बावजूद कोई आश्वासन नहीं मिला जबकि अधिकांश राज्य सरकारों की आर्थिक हालात बहुत अच्छी नहीं है इसलिए कंपेनसेशन की अवधि बढ़ाना अनिवार्य है." धारीवाल ने कहा कि कोरोना ने राज्यों की आर्थिक हालत और खस्ता कर दी है. उन्होंने कहा कि राजस्थान को अभी तक करीब 4,000 करोड़ का मुआवजा नहीं मिला है जोकि काफी समय से पेंडिंग है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक केन्द्र ने राज्यों के रेवेन्यू में आए नुकसान की भरपाई करने के लिए बाजार से 2 लाख 69 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. केन्द्र यह पैसा चुकता करने के लिए 31 मार्च 2026 तक सिन गुड्स पर सेस जारी रख सकता है. इस बीच GST कलेक्शन के मोर्चे पर राहत की खबर है. एक जुलाई को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जून 2022 में कुल GST कलेक्शन सालाना आधार पर 56 फीसदी बढ़ गया है. सरकार को जून में GST से कुल 1.44 लाख करोड़ का रेवेन्यू हासिल हुआ है. ट्विटर पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी है. यह कलेक्शन के मामले में दूसरा सबसे अच्छा महीना है. इसके पहले मई 2022 में GST से 1.41 लाख करोड़ रेवेन्यू आया था. मार्च 2022 के बाद से ही कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ से ज्यादा बना हुआ है. अप्रैल 2022 में 1.68 लाख करोड़ रेवेन्यू हासिल हुआ था.

वीडियो: बंपर जीएसटी कलेक्शन के बावजूद राज्यों को पैसा देने से क्यों कतरा रहा केन्द्र?