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अमेरिका-यूरोप में बैंकों के डूबने से भारत को सीधा खतरा, जा सकती हैं हजारों नौकरियां!

इस संकट की वजह से भारत के IT सेक्टर को नुकसान हो सकता है.

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भारत के IT सेक्टर को नुकसान हो सकता है. (सांकेतिक फोटो: PTI)

1990 के दशक में पहली बार भारत में उदारीकरण का दौर आया. ये ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत थी और तब दुनिया को ग्लोबल विलेज कहा गया. इसके ढेर सारे फायदे हुए. और कई नुक़सान भी. आज जितनी तेजी से भारत का व्यापार विदेशों में फैला उसका श्रेय भी इसी ग्लोबलाइजेशन को जाता है. लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी समय-समय पर होते रहते हैं. अब फिर सात समंदर पार से उठा बैकिंग का बवंडर (Banking Crisis) भारत को जोर का झटका देने वाला है.  

स्विस बैंक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) के फेल होने के बाद वहां की सरकार ने UBS को बचाने का आदेश दिया, तो उसने क्रेडिट सुइस का अधिग्रहण करने का ऐलान कर काम भी शुरू कर दिया है. लेकिन अब यह सौदा भारत में हजारों लोगों की नौकरियों की बलि ले सकता. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत में इन बैंकों के टेक संबंधित दफ्तरों में जल्द ही बड़े पैमाने पर जॉब कट की घोषणा हो सकती है.

दफ्तरों का विलय होगा

PTI की एक रिपोर्ट बताती है कि क्रेडिट सुइस के भारत में लगभग 15 हजार कर्मचारी काम करते हैं. इनमें से 5 हजार से 7 हजार लोग बैंकिंग कारोबार में हैं. बाकी कंपनी के ग्लोबल IT बिजनेस में काम करते हैं. माना जा रहा है कि ये दोनों स्विस बैंक मर्जर के बाद अपने अलग-अलग दफ्तरों का भी विलय करेंगे. 1997 में भारत में कदम रखने वाले क्रेडिट सुइस के भारत में तीन ऑफिस मुंबई, पुणे और गुरुग्राम में हैं. इकॉनमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, UBS अब इस मर्जर के बाद यह विचार करेगा कि उसके भारत में मौजूद टेक्नोलॉजी सेंटर्स को आगे भी जारी रखना है या बंद करना है.

दरअसल, क्रेडिट सुइस को भारत में बैकिंग सेवाएं देने के लिए लाइसेंस मिला हुआ है. क्रेडिट सुइस भारत में मनी मैनेजमेंट, निवेश बैंकिंग और ब्रोकरेज सर्विसेज जैसे बिजनेस कर रहा है. क्रेडिट सुइस का अधिग्रहण करने के बाद अगर UBS क्रेडिट सुइस के भारतीय कारोबार को जारी रखना चाहेगा, तो उसे लाइसेंस को ट्रांसफर करने के लिए RBI के पास आवेदन करना होगा. यह आसान प्रक्रिया नहीं है. ऐसे में वह शाखा को बंद करने और पैसा वापस निकालने का फैसला कर सकता है. 

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2022 तक क्रेडिट सुइस का भारत में 2,800 करोड़ रुपये का डिपॉजिट था. वहीं UBS की बात करें तो भारत में इसका कामकाज बहुत छोटे स्तर पर है क्योंकि 2013 में UBS ने भारत में मौजूद अपनी एकमात्र ब्रांच को बंद कर दिया था. सिर्फ कैश इक्विटी बिजनेस को चालू रखा है. इसके जरिए बैंक ने विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FIIs को पार्टिसिपेटरी नोट के माध्यम से देश में लेनदेन करने की अनुमति दी है. पार्टिसिपेटरी नोट के जरिए बड़ी मात्रा में विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजार में निवेश करते हैं.

IT सेक्टर को हो सकता है नुकसान

अमेरिका और यूरोप में जारी बैंकिंग संकट की तपिश भारत में भी महसूस की जाने लगी है. इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे भारत का 245 अरब डॉलर (20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) का IT बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में है. विश्लेषकों का कहना है कि इस इंडस्ट्री का करीब 40 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस यानी BFSI सेक्टर से आता है. दुनिया के बड़े बैंकों के डूबने से IT सेक्टर की कमाई में भारी कमी आ सकती है क्योंकि पहले से ही सहमे हुए दूसरे बैंक भी न केवल अपने मौजूदा टेक बजट में कटौती कर सकते हैं बल्कि आगे कोई डील को भी बंद कर सकते हैं. 

विश्लेषकों का कहना है कि अगर बैंकिंग संकट गहराता है तो TCS , इन्फोसिस , विप्रो और एलटीआई माइंडट्री पर सबसे ज्यादा मार पड़ सकती है. इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों का अमेरिका के बैंकों के साथ सबसे ज्यादा बिजनेस टाइअप है. HFS Research के फाउंडर फिल फर्श्ट का कहना है कि अमेरिका के रीजनल बैंकों की हालत खस्ता है. इससे IT सर्सिवेज कंपनियों में खलबली मची हुई है. इनमें TCS और इन्फोसिस भी शामिल हैं. फर्श्ट ने कहा, 

'मैंने इस हफ्ते एक IT फर्म के CEO से बात की. उनका कहना था कि पूरे सेक्टर में खलबली मची है.'

हालांकि, TCS, इन्फोसिस और माइंडट्री ने इस बारे में इकॉनमिक टाइम्स की तरफ से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया. आपको बता दें कि महंगाई पर नियंत्रण के लिए दुनियाभर के केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था में मंदी हावी हो रही है. इधर, भारत की IT कंपनियों की मुश्किलें पहले से बढ़ी हुई हैं. अब बैंकिंग सेक्टर ने परेशानी को और बढ़ा दिया है. भारत की IT सर्विसेज कंपनियों की सबसे ज्यादा कमाई अमेरिका और यूरोप से ही होती है.

वीडियो: खर्चा पानी: क्रेडिट सुइस ने निवेशकों को बर्बाद कर दिया!