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"इंडिया की GDP पर नहीं पड़ेगा मंदी का असर"- RBI ने इकॉनमी पर झूठ बोला?

RBI ने कहा है कि भले ही दुनिया में मंदी की आहट शुरू हो चुकी है और ग्लोबल ग्रोथ में कमी दिखाई दे रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी नहीं पड़ेगी.

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RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास. (फाइल फोटो)

वैश्विक बैकिंग संकट के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भारत को लेकर राहतभरी रिपोर्ट जारी की है. RBI ने मार्च के अपने बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ इकॉनमी’ में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की तरह भारत की आर्थिक ग्रोथ (Indian Economy) में सुस्ती नहीं आएगी. RBI का कहना है कि वह भारत को लेकर आशावादी बना हुआ है, भले ही कितनी भी बाधाएं सामने मौजूद हों. RBI ने कहा है कि भले ही दुनिया में मंदी की आहट शुरू हो चुकी है और ग्लोबल ग्रोथ में कमी दिखाई दे रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी नहीं पड़ेगी. 

बैंकिंग संकट के बीच आई रिपोर्ट

रिजर्व बैंक की ये रिपोर्ट 21 मार्च को जारी हुई है. RBI के बुलेटिन का प्रकाशन हर महीने होता है. बुलेटिन में कहा गया है कि भारत महामारी के दौरान उम्मीद से ज्यादा मजबूती के साथ उबरा है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से देश की इकॉनमी मजबूती के साथ रफ्तार पकड़ती दिख रही है. RBI ने रिपोर्ट में कहा है कि हाल फिलहाल 2023-24 के लिए देश की वास्तविक GDP वृद्धि ग्रोथ के जो अनुमान जताए गए हैं, वो 6 और 6.5 फीसदी के आसपास हैं. RBI का GDP ग्रोथ का अनुमान भी इसी के आसपास है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब चुके हैं. अमेरिका का बैकिंग संकट अब यूरोप में कदम रख चुका है. वहां का एक बड़ा बैंक क्रेडिट सुइस डूब चुका है. क्रेडिट सुइस स्विट्जरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है. अब यूरोप के दूसरे सबसे बड़े बैंक UBS ने इस बैंक का अधिग्रहण करने का फैसला किया है. वैश्विक बैंकिंग सिस्टम के फेल होने से दुनियाभर के बाजारों में इस बात को लेकर चिंता दिख रही है. 

यह रिपोर्ट RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा सहित कई अन्य केंद्रीय बैंक अधिकारियों ने तैयार की है. हालांकि, RBI ने कहा कि इस रिपोर्ट में लेखकों के निजी विचार हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका से शुरू हुआ बैंकिंग संकट अब दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में हलचल मचाए हुए है. लेकिन इस संकट का असर भारत की आर्थिक गतिविधियों पर सीमित होंगे.

RBI ने और क्या कहा?

RBI ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा फरवरी के अंत में जारी किए गए डेटा से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के कई देशों की तुलना में बेहतर हालत में है, जबकि ये साल ग्लोबल इकॉनमी को लेकर काफी चुनौतीभरा रहने वाला है. रिपोर्ट में कहा गया है, 

"भारत की वास्तविक GDP 2022-23 में 159.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 169.7 लाख करोड़ रुपये हो सकती है. हाल ही में रियल GDP 170.9 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है." 

RBI का बुलेटिन तैयार करने वाले अधिकारियों को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 5.3 फीसदी रह सकती है. RBI ने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी स्थिर हालत में बनी हुई है.

RBI की रिपोर्ट में जो बातें कही गई हैं, उसके बरक्स कई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वैश्विक बैकिंग संकट का असर भारत के बैकिंग सेक्टर पर सीधे भले कम पड़े लेकिन इसकी तपिश से भारत अछूता नहीं रहने वाला है. न्यूज एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट सुइस और UBS के मर्जर के चलते भारत में क्रेडिट सुइस के करीब 15 हजार लोगों की नौकरियों पर खतरा है. इसके अलावा सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने से भी स्टार्टअप्स को फंडिंग में दिक्कतें आने के आसार हैं. 

इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैकिंग संकट के चलते भारत के 20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के IT बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में है. एनालिस्ट्स का कहना है कि इस इंडस्ट्री का करीब 40 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस सेक्टर से आता है. दुनिया के बड़े बैंकों के डूबने से IT सेक्टर की कमाई में भारी कमी आ सकती है क्योंकि पहले से ही सहमे हुए दूसरे बैंक भी न केवल अपने मौजूदा टेक बजट में कटौती कर सकते हैं बल्कि आगे कोई डील को भी बंद कर सकते हैं.

वीडियो: खर्चा पानी: बैंकिंग क्राइसिस से भारत के IT सेक्टर के पसीने छूटे!