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भारत सरकार ने चावल पर लगाया 20 फीसदी निर्यात शुल्क, वजह क्या है?

ये निर्यात शुल्क 9 सितंबर से लागू होगा.

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Govt imposes export duty on nonbasmati rice

भारत सरकार (Indian Government) ने आठ सितंबर को हल्के उबले (अधपके) और बासमती चावल (Basmati Rice) को छोड़कर कई प्रकार के चावल के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला लिया है. वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग की तरफ से जारी एक नोटिस के अनुसार, धान की भूसी, भूसी ब्राउन राइस, सेमी मिल्ड या फुल मिल्ड चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई जाएगी. रिलीज में ये बताया गया है कि एक्सपोर्ट ड्यूटी 9 सितंबर से प्रभावी होगी.

सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार का ये फैसला खाद्य मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY) के लिए पर्याप्त चावल के स्टॉक को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है.

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, और पश्चिम बंगाल में कम बारिश के कारण धान की खेती में कमी आई है. इस वजह से चावल महंगा हो रहा है. मंत्रालय द्वारा जारी 2 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, धान की खेती का कुल बुआई एरिया 5.6 फीसदी से घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में देश में धान की बुआई का रकबा 406.89 लाख हेक्टेयर था.  

‘कम कीमत पर हो रहा था निर्यात’

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने निर्यात शुल्क का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल को "बहुत कम कीमत" पर निर्यात किया जा रहा है. निर्यात शुल्क से गैर-बासमती चावल शिपमेंट में 20-30 लाख टन की कमी आएगी, लेकिन निर्यात से होने वाली प्राप्ति 20 फीसदी शुल्क के कारण समान रहेगी. सेतिया ने कहा, "धान के रकबे में गिरावट को देखते हुए ये एक अच्छा फैसला है."

एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता ने कहा कि देश के दक्षिणी हिस्सों से कच्चे चावल के निर्यात पर असर पड़ेगा, लेकिन उबले हुए चावल की खेप बढ़ सकती है. धान मुख्य खरीफ फसल है, जिसकी बुआई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अक्टूबर से कटाई शुरू होती है.

पिछले फसल वर्ष में चावल का उत्पादन बढ़कर रिकॉर्ड करीब 13 करोड़ टन हो गया, जो कि 2020-21 में 12.43 करोड़ टन था. चीन के बाद भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत की 40 फीसदी हिस्सेदारी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया, जिसमे से 39.4 लाख टन बासमती चावल था. साथ ही 6.11 अरब डॉलर के मूल्य का गैर-बासमती चावल का भी निर्यात किया था. भारत ने 2021-22 में 150 से भी ज़्यादा देशों में गैर बासमती चावलों का निर्यात किया था.

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