The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

WTO में छाया रहा भारत, इन 3 मुद्दों पर बनी सहमति

इस बैठक में WTO के सदस्य इस बात पर राजी हो गए हैं कि 5 साल बिना पेटेंट धारक की सहमति के कोरोना वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकेगा

post-main-image
पीयूष गोयल

WTO की 12वीं मंत्रिस्तर की वार्ता स्विटजरलैंड की राजधानी जिनेवा में हुई. इस बैठक में भारत छाया रहा. भारत ने काफी मजबूती के साथ अपने मुद्दे WTO के मंच पर उठाये. इस बैठक में भारत को क्या हासिल हुआ है इसे समझेंगे लेकिन आगे बढ़ने से पहले समझते हैं कि आखिर विश्व व्यापार संगठन (WTO) और मंत्रिस्तरीय सम्मेलन हैं क्या. विश्व व्यापार संगठन यानी WTO दुनिया का इकलौता अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया के 75 फीसदी से ज्यादा देशों के बीच व्यापार के कायदे कानून तय करता है. 1995 में यह संगठन अस्तिव में आया था. फिलहाल 164 देश WTO के सदस्य हैं. WTO में सभी निर्णय सदस्य देशों की सर्वसम्मति से लिए जाते हैं. इस संगठन का उद्देश्य फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना है. व्यापार अच्छे से चलता रहे इसके लिए WTO के सदस्य देश कुछ नियम कायदे तय करते हैं और इन पर मुहर लगने के बाद अमल में लाते हैं. यह संगठन व्यापार नियमों पर चर्चा परिचर्चा करने के साथ साथ आर्थिक विवादों को निपटाने में भी मदद करता है. वहीं, मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में किसी भी प्रस्ताव से जुड़े फैसले लिये जाते है. आमतौर पर हर दो साल में इसकी बैठक होती है और WTO के सभी सदस्य इस बैठक में हिस्सा लेते हैं. इस साल WTO का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 12-17 जून तक जिनेवा में आयोजित किया गया था.

कोरोना वैक्सीन के पेटेंट को लेकर समय सीमा बढ़ी

 अब नजर डालते हैं कि इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई और भारत को क्या हासिल हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक WTO में तीन मुख्य बातों पर सहमति बनी है. पहला इस बैठक में WTO के सदस्य इस बात पर राजी हो गए हैं कि 5 साल बिना पेटेंट धारक की सहमति के कोरोना वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकेगा. दरअसल, कोरोना की वैक्सीन पर दुनिया की कई बड़ी कंपनियों का पेंटेट है इस वजह से इन कंपनियों का कब्जा होने से छोटी कंपनियां इसे नहीं बना सकती थीं लेकिन अब 5 साल तक इस पर कोई रोक टोक नहीं होगी. इसका सीधा फायदा दुनियाभर के विकासशील देशों के साथ भारत को भी मिलेगा. भारत वैक्सीन हब के रूप में उभर सकता है. वैक्सीन पेटेंट में छूट से भारत में अधिक मात्रा में वैक्सीन का उत्पादन हो सकेगा और इसका निर्यात भी हो सकेगा. देशवासियों को और सस्ती कीमत पर कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगी.विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने कहा, '' इस फैसले पर सहमति बनने से कोरोना की वैक्सीन उत्पादन करने में आसानी होगी और जरूरतमंदों को कम कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध होगी. अगर किसी देश में कोरोना संकट गहराया तो दूसरे देश में कोरोना का वैक्सीन का निर्माण कर सके हैं."  आपको बता दें कि वर्तमान समझौता 2020 में भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा दिए गए मूल प्रस्ताव का हिस्सा है. 2020 से भारत और दक्षिण अफ्रीका के देश कोरोना के टीके, इसके इलाज और टेस्टिग किट आदि पर पेंटेट से छूट चाहते थे. अमीर दवा कंपनियों ने इसका कड़ा विरोध किया था. 

फिशरीज सब्सिडी जारी रहने पर बनी सहमति 

कोरोना वैक्सीन के पेटेंट की समय सीमा में छूट के अलावा दूसरा बड़ा समझौता फिशरीज को लेकर है. विश्व व्यापार संगठन ने एक समझौता पारित किया है. इस समझौते के मुताबिक अगले चार साल के लिए समुद्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर अंकुश लगेगा. यह मुद्दा भारत के मछुआरा के लिए काफी महत्वपूर्ण था. इसका अंदाजा आप इस तरह से लगा सकते हैं कि पिछले करीब 21 साल से से WTO के सदस्य देश इस पर बातचीत कर रहे थे और अब तक सहमति नहीं बन पा रही थी. इस समझौते के बाद उन देशों पर अंकुश लगेगा जो ज्यादा से ज्यादा मात्रा में समुद्री मछलियों का दोहन कर रहे हैं. दरअसल, दुनिया के कई देश अपने मछुआरों को भारी सब्सिडी देते हैं और ये देश अपने मछुआरों और मछली पकड़ने के काम में लगे किसानों को आधुनिक नावों से लेकर स्टीमर तक के रूप में तमाम तरह की मदद आदि देते हैं जबकि वह चाहते हैं कि भारत अपने मछुआरों को सब्सिडी में कटौती करे. लेकिन नया समझौता होने पर अवैध रूप से दूसरे के समुद्री इलाके में मछली पकड़ने का काम करने वाले चीन जैसे देशों की करतूतों पर रोक लगेगी. WTO के डायरेक्टर जनरल ओकोंजो-इवेला ने कहा, "डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने पहली बार पर्यावरणीय स्थिरता के साथ एक समझौता किया है." "यह उन 26 करोड़ लोगों की आजीविका के बारे में भी है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समुद्री मछली पालन पर निर्भर हैं." WTO की बैठक से भारत लौटे कामर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने मीडिया से कहा, ''डब्ल्यूटीओ की मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने किसानों और मछुआरों के हितों की पूरी-पूरी रक्षा की है. गोयल ने कहा कि डब्ल्यूटीओ सम्मेलन में जो फैसले लिए गए हैं उनसे वैश्विक कारोबार को बढ़ावा मिलेगा और एक दूसरे के बिजनेस रिलेशन मजबूत होंगे." भारत और दूसरे विकासशील देश इस समझौते को लागू कराने में सफल रहे हैं. द एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और विकासशील देशों ने इस प्रस्ताव को लागू कराने के लिए जमकर लाबिंग की.

फूड सिक्योरिटी को लेकर बड़ा फैसला 

तीसरा बड़ा समझौता फूड सिक्योरिटी से जुड़ा हुआ है. बैठक में दुनियाभर के सदस्य देशों इस बात को लेकर राजी हुए कि संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की तरफ से गरीबों की जरूरत के लिए खरीदे गए भोजन को निर्यात प्रतिबंध से छूट दी जाएगी. दुनियाभर में खाने-पीने की चीजों की सप्लाई में कमी देखने को मिल रही है. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते खाने -पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में यह समझौता ग्लोबल फूड क्राइसिस से निपटने में मददगार साबित हो सकता है. हालांकि, भारत को अन्य देशों में खाद्य निर्यात करने की अनुमति देने की प्रमुख मांग पर 2023 में होने वाले अगले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में चर्चा की जाएगी. 12वीं मिनिस्ट्रियल कांफ्रेस में भारत ने विश्व व्यापार संगठन से ई-कॉमर्स लेनदेन पर कस्टम ड्यूटी के एक्सटेंशन ऑफ मोरोटोरियम के विस्तार की समीक्षा करने के लिए कहा है. इसमें डिजिटली कारोबार करने वाले सामान और सेवाएं शामिल हैं. 

खर्चा-पानी: WTO में बढ़ा भारत का दबदबा, इन 3 मुद्दों पर बनी सहमति