देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) के आईपीओ का आगाज जितना धूम-धड़ाके के साथ हुआ था, अंजाम उतना ही मायूस करने वाला रहा. मंगलवार 17 मई को सुबह 10 बजे एलआईसी का आईपीओ शेयर बाजार में करीब 8 फीसदी डिस्काउंट यानी नुकसान पर लिस्ट हुआ. आईपीओ की 949 रुपये ऑफर प्राइस के मुकाबले यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 867 रुपये और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 872 रुपये मूल्य पर लिस्ट हुआ. एलआईसी पॉलिसी होल्डर्स को ऑफर प्राइस पर 60 रुपये की छूट मिली थी यानी उन्हें 889 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयरों का आवंटन हुआ था. अन्य खुदरा निवेशकों को 904 रुपये पर शेयर मिले थे. ऐसे में पॉलिसी धारकों, कर्मचारियों और खुदरा निवेशकों को भी लिस्टिंग पर नुकसान झेलना पड़ा है. लिस्टिंग के चंद मिनटों के भीतर ही एलआईसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन फिसलकर 5.57 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो इश्यू प्राइस पर 6 लाख करोड़ रुपये आंका गया था. इस तरह लिस्टिंग पर ही निवेशकों को करीब 42,500 करोड़ रुपये की चपत लग गई. इस गिरावट के बाद भी एलआईसी देश की पांचवी सबसे ज्यादा वैल्युएशन वाली कंपनी है.
LIC-IPO की लिस्टिंग पर लगी 42,500 करोड़ की चपत, अब क्या करें ?
मंगलवार 17 मई को सुबह 10 बजे एलआईसी का आईपीओ शेयर बाजार में करीब 8 फीसदी डिस्काउंट यानी नुकसान पर लिस्ट हुआ. आईपीओ की 949 रुपये ऑफर प्राइस के मुकाबले यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 867 रुपये और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 872 रुपये मूल्य पर लिस्ट हुआ.
अब क्या करें निवेशक ?
मार्केट जानकारों का कहना है कि शेयर बाजारों में जारी उतार-चढ़ाव इस आईपीओ पर भारी पड़ा. महंगाई, बढ़ती ब्याज दरों और ग्लोबल रुख के चलते बाजारों में एक तरह की अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे निवेशक हाथखींचकर खरीदारी कर रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट लंबी अवधि में एलआईसी को लेकर अब भी बुलिश हैं और शेयर में बने रहने की सलाह दे रहे हैं.
स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने बिजनेस टुडे को बताया-
" एलआईसी बीमा बाजार की सबसे बड़ी कंपनी है और लंबी अवधि में यह फायदे में रहेगी. बीमा कारोबार में यह बहुत मायने रखता है कि आपका दायरा कितना बड़ा है. फिलहाल कोई बीमा कंपनी एलआईसी के बराबर नहीं है. ऐसे में हम निवेशकों को सलाह देंगे कि वे नेगेटिव लिस्टिंग से निराश न हों और लंबी अवधि तक कंपनी में बने रहें.''
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने केवल लिस्टिंग गेन के लिए निवेश किया था, उन्हें 800 रु. का स्टॉप लॉस मेनटेन करना चाहिए. नए निवेशकों को गिरावट का फायदा उठाते हुए खरीदारी करनी चाहिए. चूंकि कंपनी ने पिछले साल कोई डिविडेंड नहीं दिया था, ऐसे में इस बात के आसार हैं कि वह इस साल अच्छे डिविडेंड का ऐलान करे.
ब्रोकरेज अब भी हैं बुलिश
दूसरी तरफ, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी (Macquarie) ने एलआईसी के स्टॉक में खरीदारी की सलाह दी है और इसका टारगेट प्राइस 1000 रुपये तय किया है. अन्य एक्सपर्ट भी लंबी अवधि में एलआईसी के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं. सरकार एलआईसी में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर मार्केट से 20,557 करोड़ रुपये जुटाने के मकसद से यह आईपीओ लाई थी. आईपीओ 2 मई को एंकर इनवेस्टर्स यानी बड़े संस्थागत निवेशकों के लिए और 4 मई को आम निवेशकों के लिए खुला और 9 मई को बंद हो गया. आईपीओ का प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये प्रति शेयर रखा गया था, लेकिन ओवर सब्सक्रिप्शन के चलते यह अपर प्राइस यानी 949 रुपये प्रति शेयर पर आवंटित हुआ था.
यह आईपीओ बंद होने के दिन करीब तीन गुना सब्सक्राइब हुआ था. आईपीओ के तहत 50 फीसदी शेयर क्वलिफाइड इंस्टिट्यूशनल बायर्स (QIB) और एंकर इनेस्टर्स के लिए रिजर्व रखे गए थे. 15 फीसदी शेयर नॉन-इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) यानी 2 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए और 35 फीसदी शेयर खुदरा निवेशकों के लिए रिजर्व थे. खुदरा कैटेगरी में ही 10 फीसदी शेयर एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए आरक्षित रखे गए थे. इस तरह पॉलिसी होल्डर्स के लिए करीब 2.21 करोड़ शेयर रिजर्व थे, जबकि कर्मचारियों के लिए 15.85 लाख शेयर रिजर्व थे. बीमाधारकों को 60 रुपये प्रति शेयर, जबकि खुदरा निवेशकों और कर्मचारियों के लिए 45 रुपये का डिस्काउंट दिया गया था.
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