स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने लैब में बने हीरों के लेन-देन की नीति तैयार की है. ऐसा करने वाला SBI देश का पहला बैंक बन गया है. लैब में बने हीरे देखने में उतने ही असली होते हैं जितने कि जमीन से निकाले गए हीरे. इन हीरों के सारे ही गुण एकदम असली हीरे जैसे होते हैं. इनकी चमक और जगमगाहट में भी नेचुरल हीरे से कमी नहीं होती. हालांकि दूसरे बैंक और पारंपरिक हीरा व्यापारी इन्हें संदेह के साथ देखते हैं. लेकिन SBI ने इस सेक्टर में निवेश का इरादा कर लिया है.
SBI लैब में बने हीरों में ले रहा गजब दिलचस्पी, बनाने वालों को करेगा फंडिंग
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने लैब में बने हीरों के लेन-देन की नीति तैयार की है. ऐसा करने वाला SBI देश का पहला बैंक बन गया है.
हीरे का व्यापार महाराष्ट्र के मुंबई से गुजरात के सूरत का रुख ले रहा है. ये दशकों से हीरा काटने वालों और पॉलिश करने वालों का केन्द्र रहा है. इन दिनों हीरे के व्यापार में काफी धीमें बदलाव हो रहे हैं. खबरों के मुताबिक इसी को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक ने ये नीति तैयार की है. इसे सिंथेटिक हीरे के उत्पादन के लिए कारखाने लगाने वाले कुछ ज्वेलर्स के लिए लाया गया है.
अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक हीरा कारोबार में लगे एक वरिष्ठ व्यापारी का कहना है,
‘‘लैब में बने हीरों का व्यापार हर दिन के साथ मजबूत होता जा रहा हैं. हालांकि, तुलना की जाए तो इसकी मांग अभी भी नेचुरल हीरे के मुकाबले काफी कम है. पर एसबीआई को ऐसा लगता हैं कि ये एक उभरता हुआ व्यवसाय है. पैंडेमिक और लोगों की असली हीरे को खरीदने की असमर्थता की वजह से .सिंथेटिक हीरे की मांग में सुधार आया हैं.’’
लैब में बने हीरे इको फ्रेंडली होने के साथ-साथ असल हीरे से कीमत में 30-40 प्रतिशत सस्ते होते हैं. हालांकि इनका गलत इस्तेमाल भी होता है. कई बार हीरा ज्वेलर्स इनको असली हीरे के साथ मिला कर बेच देते हैं. इसी वजह से जांच एजेंसियां इसके व्यापार पर नजर रखती हैं.
बहरहाल, SBI के एक सोर्स ने कहा है कि कुछ हफ्ते पहले ही बैंक ने हीरे का उत्पादन करने वाले कारखानों की फंडिग के लिए ये नई नीति तैयार की है. अखबार के मुताबिक सूत्र ने बताया कि नीति के तहत फंड मुख्य रूप से मशीनरी आयात के लिए दिया जाएगाा. इसकी शुरुआत के लिए फिलहाल मुंबई और सूरत की कुछ ब्रांचों को चुना गया हैं.
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