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4 मई को खुलेगा LIC का IPO, सरकार बेचेगी 3.5% हिस्सेदारी

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और भारतीय शेयर बाजार में आने वाले अब तक के सबसे बड़े आईपीओ को लेकर आपका इंतजार खत्म होने वाला है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक यह आईपीओ 4 मई को खुलेगा और 9 मई को बंद होगा. इसका साइज और वैल्युएशन तो घटा ही है, प्राइस भी पहले के अनुमान से कहीं कम रहने वाला है.

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एलआईसी की सांकेतिक तस्वीर

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और भारतीय शेयर बाजार में आने वाले अब तक के सबसे बड़े आईपीओ को लेकर आपका इंतजार खत्म होने वाला है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक यह आईपीओ 4 मई को खुलेगा और 9 मई को बंद होगा. इसका साइज और वैल्युएशन तो घटा ही है, प्राइस भी पहले के अनुमान से कहीं कम रहने वाला है.

‘बिजनेस टुडे’ ने सूत्रों के हवाले से सोमवार देर रात बताया कि मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने एलआईसी के संशोधित ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. सरकार ने इस आईपीओ के तहत एलआईसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी के बजाय अब सिर्फ 3.5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने का फैसला किया है, जिससे आईपीओ का साइज और वैल्युएशन दोनों घट गए हैं. इसके साथ ही आईपीओ से उम्मीद लगाए बैठे निवेशकों और पॉलिसी होल्डर्स को मिलने वाले शेयरों की संख्या और संभावनाएं दोनों घटी हैं.

सरकार ने एलआईसी के आईपीओ का अपडेटेड DRHP यानी संशोधित रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस सेबी के पास एक दिन पहले ही फाइल किया था. नए ड्राफ्ट के मुताबिक बदले हुए मार्केट हालात में अब कंपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के साथ करीब 21,000 करोड़ रुपये का ऑफर लाएगी. ऐसे में जहां कंपनी का मार्केट वैल्युएशन पहले 12 से 15 लाख करोड़ आंका जा रहा था, अब 6 लाख करोड़ रुपये रह जाएगा. मंगलवार को एलआईसी बोर्ड की बैठक होने वाली है, जिसमें 4-9 मई की तारीख के अलावा प्राइस को भी मंजूरी मिल सकती है. सरकार के पास इस आईपीओ को लाने के लिए 12 मई तक का समय था. अगर इस डेडलाइन तक वह आईपीओ नहीं ला पाई तो उसे नए सिरे से डॉक्युमेंट फाइल करने होंगे.

क्यों घटा IPO साइज ?

एलआईसी देश की सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनी है और इसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है. कंपनी की अनुमानित मार्केट वैल्यू में करीब 50 फीसदी की कटौती के पीछे कई तरह की थ्योरीज सामने आ रही हैं. यूक्रेन वॉर शुरू होने के बाद से जहां दुनिया भर की कंपनियों की मार्केट वैल्यू गिरी है, वहीं सरकार ने कुछ ग्लोबल लिस्टेड बीमा कंपनियों की वैल्यू से तुलना करते हुए एलआईसी के नए वैल्युएशन का अनुमान लगाया है. साथ ही एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यू पर रिटर्न को भी ध्यान में रखा गया है. फरवरी में दाखिल DRHP के मुताबिक एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यू 30 सितंबर 2021 तक 5.4 लाख करोड़ थी. यह आकलन ग्लोबल एक्चुअरियल फर्म मिलिमैन एडवाइजर्स ने किया था. किसी भी आईपीओ के प्रॉस्पेक्टस में मार्केट वैल्यू का जिक्र नहीं होता है. लेकिन इंडस्ट्री मानकों के मुताबिक सामान्य हालात में वैल्युएशन , एम्बेडेड वैल्यू का ढाई से तीन गुना होता है . हालांकि एलआईसी का नया वैल्युएशन एम्बेडेड वैल्यू का 1.1  गुना ही है. संशोधित ड्राफ्ट के मुताबिक 6 लाख करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर भी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी से सरकार मार्केट से 21 हजार करोड़ रुपये उगाहने की उम्मीद कर सकती है. इस साइज पर भी एलआईसी का आईपीओ अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. इससे पहले करीब सबसे बड़ा आईपीओ पेटीएम का आया था, जो करीब 18000 करोड़ रुपये का था.

आम निवेशकों पर असर

अब सवाल उठता है कि बिक्री वाली हिस्सेदारी 5 से घटाकर 3.5 फीसदी करने यानी आईपीओ का साइज घटने का आम निवेशकों के ऊपर क्या असर पड़ेगा? अगर आप एलआईसी के आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं तो अब यह जानकर थोड़ी निराशा होगी कि आपको मिलने वाले शेयरों की संख्या घट जाएगी. जब सरकार 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की सोच रही थी, तब कंपनी के करीब 31.6 करोड़ शेयर बाजार में आने वाले थे. अब जब आईपीओ वाली हिस्सेदारी 3.5 फीसदी कर दी गई है तो बाजार में 22.14 करोड़ शेयर ही जारी किए जाएंगे। यानी 1.5 फीसदी हिस्सेदारी घटने से करीब 9.4 करोड़ शेयर कम हो गए हैं.

दूसरा असर आपके रिटर्न पर भी हो सकता है. संशोधित ड्राफ्ट से साफ है कि सरकार को इस बात का अंदाजा हो चला है कि मार्केट के हालात ठीक नहीं है. शेयर बाजारों में अब तक आई गिरावट ने पहले ही कंपनी का अनुमानित वैल्युएशन घटा दिया है. यानी अब प्रति शेयर मिलने वाली रकम का अनुमान भी घट गया है. ऐसे में आईपीओ का प्राइस भी छोटा होगा. खबरों के मुताबिक प्रति शेयर ऑफर प्राइस 950 से 1000 रुपये रखा जाएगा. एक रिपोर्ट में इसके 940 रुपये के आसपास रहने का दावा किया गया है. हालांकि जानकारों की मानें तो एक निवेशक के लिए प्राइस बैंड का कम होना अच्छी बात है, क्योंकि इससे आईपीओ के ओवरवैल्यूड होने का आशंका कम हो जाती है. पेटीएम का आईपीओ जिस तरह नाकाम रहा था, उसके पीछे करीब 2000 रुपये प्रति शेयर कीमत को भी वजह बताया गया था. मार्केट एनालिस्ट्स के मुताबिक यह कीमत पेटीएम की वास्तविक मार्केट वैल्यू से मेल नहीं खाती थी.

यूक्रेन वॉर ने बदला गणित

आपको यह भी बता दें कि एलआईसी का पहला ड्राफ्ट 13 फरवरी को दाखिल हुआ था. उसके कुछ दिनों बाद ही रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया. इस घटना ने दुनिया भर के शेयर और कमोडिटी बाजारों की दिशा बदल दी. सेंसेक्स और निफ्टी में भी तेज गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है. तब से लेकर अब तक भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FII या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPI ने 16 अरब डॉलर निकाल लिए हैं. उसके बाद से ही एलआईसी के आईपीओ में एंकर इनवेस्टर्स की दिलचस्पी घटती चली गई और सरकार को यह आईपीओ टालना पड़ा.
वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार ने विनिवेश और एसेट मॉनेटाइजेशन से पौने दो लाख करोड़ (1.75 लाख करोड़) रुपये कमाई का लक्ष्य रखा था. इसीलिए वह हर हाल में मार्च से पहले यह आईपीओ लाना चाहती थी. लेकिन मार्केट हालात देखते हुए यह साफ हो गया कि कहीं दांव उल्टा न पड़ जाए और एक अच्छी खासी वैल्युएशन वाली कंपनी की लिस्टिंग ढहते हुए बाजारों में करानी पड़ जाए. लेकिन अब भी जब बाजार पर यूक्रेन संकट और बढ़ती ब्याज दरों का साया कायम है, सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. अब देखना होगा कि पहले से छोटे साइज के आईपीओ और कम वैल्युएशन को बाजार किस तरह से लेता है. 

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