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LIC को डबल फायदा, निवेशकों के 'अच्छे दिन' कब?

एलआईसी को वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में जबरदस्त मुनाफा हुआ है. इसके अलावा एलआईसी को अडानी समूह की कंपनियों में निवेश से भी मोटा फायदा हुआ है.

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वित्त वर्ष 2022-23 में एलआईसी का शुद्ध मुनाफा करीब 9 गुना बढ़कर 35 हजार 997 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है.

काफी समय से कभी शेयरों में गिरावट तो कभी अडानी समूह में निवेश को लेकर लोगों की आलोचना का सामना करने के बाद अब देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC के लिए एक नहीं दो गुड न्यूज आई हैं. पहली खुशखबरी ये है कि एलआईसी को जबरदस्त मुनाफा हुआ है. एलआईसी को दूसरी गुड न्यूज अडानी ने दी है. एलआईसी को अडानी समूह की कंपनियों में निवेश से मोटा फायदा हुआ है. 

पहले बात करते हैं कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट्स की. एलआईसी की तरफ से जारी वित्तीय नतीजों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में उसका कुल मुनाफा करीब 5 गुना बढ़कर 13 हजार 428 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 की चौथी तिमाही में एलआईसी का शुद्ध मुनाफा करीब 2,372 करोड़ रुपये रहा था. वहीं अगर पूरे वित्त वर्ष 2022-23 की बात करें, तो इस दौरान एलआईसी का शुद्ध मुनाफा करीब 9 गुना बढ़कर 35 हजार 997 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है जबकि इससे पहले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में एलआईसी को सिर्फ 4,125 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था. इससे पता चलता है कि बीते साल एलआईसी को बंपर फायदा हुआ है.

इसके अलावा अडानी समूह में एलआईसी का निवेश भी जमकर फायदा पहुंचा रहा है. अडानी समूह में एलआईसी के निवेश की वैल्यू में 6200 करोड़ रुपये का उछाल देखने को मिला. 23 मई 2023 को अडानी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी के निवेश का बाजार मूल्य बढ़कर 45 हजार 481 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इसी साल 24 जनवरी अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी. इसके चलते फरवरी महीने से लेकर अप्रैल तक एलआईसी को अडानी समूह में किये गए निवेश पर भारी नुकसान हो रहा था. लेकिन मार्च में अमेरिकी फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स के मुखिया राजीव जैन ने अडानी को निवेश के जरिये संजीवनी दी थी. तब से लेकर जैन अडानी की कंपनियों में करीब 30 हजार करोड़ रुपये का मोटा निवेश कर चुके हैं. इसके बाद 19 मई को सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट ने भी अपनी रिपोर्ट जमा की थी. तब कहा गया कि ये रिपोर्ट समूह के लिए क्लीन चिट की तरह है.

सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स रॉकेट पर सवार नजर आ रहे हैं. इस तेजी का बड़ा फायदा देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी को भी हुआ है.  

अब समझते हैं कि एलआईसी को जो दोहरी खुशी मिली है उसके बाद क्या निवेशकों के भी 'अच्छे दिन' आएंगे. दरअसल पिछले साल जब एलआईसी का आईपीओ लांच हुआ तो इसमें रिटेल इनवेस्टर्स ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. लेकिन पिछले एक साल में एलआईसी के शेयरों में पैसा लगाने वाले निवेशकों को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले साल जब ये आईपीओ बाजार में आया था तो कंपनी ने अपने शेयरों का इश्यू प्राइस 949 रुपये रखा था और लेकिन इसकी लिस्टिंग 9 फीसदी गिरावट के साथ 867 रुपये 20 पैसे पर हुई थी. लेकिन एक साल बीत चुका है. इसके बावजूद एलआईसी के शेयर खरीदने वाले लोग नुकसान में हैं क्योंकि एलआईसी का शेयर अपने इश्यू प्राइस से अब भी 35 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है. इस तरह से एक साल में इस शेयर ने निवेशकों के 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डुबा दिये हैं. शेयरों में आई भारी गिरावट की वजह से एलआईसी का मार्केट कैप घटकर 3.5 लाख करोड़ रुपये से नीचे रह गया है जबकि आईपीओ की लिस्टिंग के समय एलआईसी का मार्केट कैप 6 लाख करोड़ रुपये के आसपास था. 

हालांकि, चौथी तिमाही में बंपर मुनाफे के बाद LIC ने इस खुशी को अपने निवेशकों के साथ बांटने का ऐलान किया है. कंपनी ने 31 मार्च, 2023 को खत्म हो रही तिमाही में प्रत्येक 10 रुपए के फेस वैल्यू पर 3 रुपए प्रति इक्विटी शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया है. LIC की ओर से जारी किए गए अन्य आकंड़ों को देखें तो इंश्योरेंस कंपनी की नेट प्रीमियम से होने वाली आय 8 फीसदी घटकर 1.31 लाख करोड़ रुपये रही. एक साल पहले ये 1.43 लाख करोड़ रुपये रही थी. इसके अलावा लिस्टिंग के बाद एलआईसी का चौथी तिमाही में प्रीमियम 12,811 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की तिमाही में 14,614 करोड़ रुपये से 12 फीसदी कम है. जनवरी-मार्च अवधि के लिए निवेश से आय मामूली रूप से बढ़कर 67 हजार 846 करोड़ रुपये हो गई.

इससे पहले एलआईसी की निवेश से कमाई 67 हजार 498 करोड़ रुपये रही थी. वहीं एलआईसी के निवेशकों के लिए राहत की बात ये है कि तिमाही नतीजों के बाद से एलआईसी के शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. गुरुवार को एलआईसी का शेयर 4 फीसदी की जोरदार तेजी के साथ 603 रुपये पर पहुंच गया. आपको बता दें कि पिछले एक साल में म्यूचुअल फंड्स और एफआईआई ने इसमें अपनी हिस्सेदारी कम की है. मार्च के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक एलआईसी में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी 0.63 फीसदी रह गई है जो दिसंबर में 0.66 फीसदी थी. इसी तरह एफआईआई की हिस्सेदारी भी 0.17 फीसदी से घटकर 0.08 परसेंट रह गई है. लेकिन इस दौरान रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी 1.92 परसेंट से बढ़कर 2.04 फीसदी हो गई है.

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