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डूब सकता है सरकारी बैंकों का 40 हजार करोड़ का कर्ज, बैड बैंक कर रहा टेकओवर की तैयारी

बैड बैंक का काम बैंकों में फंसे हुए कर्जों का टेकओवर करना होता है. 18 कंपनियों का है ये कर्ज.

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सांकेतिक फोटो. (फोटो: सोशल मीडिया)

नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (NARCL) लगभग 40 हजार करोड़ रुपये के कुल क़र्ज़ वाले 18 संकटग्रस्त खातों का अधिग्रहण करने का विचार कर रही है. NARCL को बैड बैंक भी कहा जाता है. इन खातों को 31 अक्टूबर तक ख़रीदा जा सकता है. इकॉनमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्रालय और सरकारी बैंको के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई एक बैठक में इन खातों को खरीदने पर सहमति बनी थी.

खबर में ये कहा गया है कि NARCL ने 16 सितम्बर को बैंको को जानकारी दी थी कि वो दो स्टेप में 18 खातों का अधिग्रहण करेगा. इसके लिए दो लिस्ट बनाई गई थीं. पहली लिस्ट में 8 अकाउंट शामिल हैं और इनका कुल क़र्ज़ 16,744 करोड़ रुपये है. वहीं, दूसरी लिस्ट में 10 खाते शामिल हैं और इनका कुल क़र्ज़ 18,177 करोड़ रुपये है. ये भी खबर आई है कि NARCL ने ईवाई, पीडब्ल्यूसी, अल्वारेज़ और मार्सल, केपीएमजी, ग्रांट थॉर्नटन जैसे सलाहकारों को 18 खातों की बोली फाइनल करने के लिए नियुक्त किया है. ये इन खातों के लिए आये प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में मदद करेगा.

रिपोर्ट के अनुसार, जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर, मीनाक्षी एनर्जी, मित्तल कॉर्प, रेनबो पेपर्स एंड कंसोलिडेटेड कंस्ट्रस्क्शन कंपनी का नाम पहली लिस्ट में शामिल है. दूसरी लिस्ट में कॉस्टल इनर्जेन, रोल्टा और मैकनैली भारत इंजीनियरिंग है.

क्‍या है बैड बैंक?

सरकार ने संकट में फंसे कर्जों को ठीक करने के लिए बैड बैंक एसेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी NPA का टेकओवर करना होता है. इसका काम किसी भी मुश्किल में फंसे या डूबते कर्ज या संपत्ति को बचाना है. मतलब बैड असेट को गुड एसेट में बदलने का है. भारत ने भी बैड बैंक की स्थापना की है, जिसे नेशनल एसेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के रूप में पंजीकृत किया गया है. बैकों के NPA को घटाने के लिए इसकी स्‍थापना की गई है.

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