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कभी थी शेयर बाजार की शान, अब दिवालिया, जानिए अनिल अंबानी की कंपनी कैसे डूबी

रिलायंस कैपिटल को शेयर बाजार से डीलिस्ट कर दिया गया है यानी अब इस कंपनी को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की इजाजत नहीं होगी.

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Relinace Capital - Anil Ambani

अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) एक समय पर निफ़्टी 50 की शान थी. लेकिन समय का चक्र बदला और अब ये कंपनी बिकने की कगार पर खड़ी है. भारी कर्ज़ में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की इस कंपनी के शेयर की वैल्यू ज़ीरो हो गई है. रिलायंस कैपिटल को शेयर बाजार से डीलिस्ट कर दिया गया है. यानी अब इस कंपनी को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की इजाजत नहीं होगी.

रिलायंस कैपिटल, ग्राहकों को फाइनेंस से जुड़ी करीब 20 सर्विसेस देती थी. निफ़्टी मिडकैप 50 का हिस्सा रही यह कंपनी लाइफ, जेनरल इंश्यरेस और हेल्थ इंश्‍योरेंस से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराती थी. इसके अलावा इस कंपनी ने कमर्शियल लोन, होम लोन, इक्विटी और कमोडिटी ब्रोकिंग जैसे क्षेत्रों में भी सेवाएं दी हैं.

दरअसल, हुआ ये कि रिलायंस कैपिटल में पब्लिक शेयर होल्डिंग यानी निवेशकों की हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से भी ज़्यादा है. इसमें सबसे ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर हैं. रिटेल इन्वेस्टर्स वो लोग होते हैं, जो किसी ट्रेडिशनल या फिर ऑनलाइन ब्रोकरेज कंपनी के ज़रिए शेयर, सिक्योरिटीज, बॉन्ड्स या म्यूचुअल फण्ड में पैसा लगाते और बेचते हैं. आरबीआई (RBI) ने रिलायंस कैपिटल के खिलाफ एनसीएलटी (NCLT) का रुख किया. इस तरह से अनिल अंबानी की इस कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के तहत कार्यवाई चल रही है.

लंबे समय से कर्ज में फंसी थी कंपनी

बताया जा रहा था कि काफी लम्बे समय से रिलायंस कैपिटल कर्ज़े में फंसी हुई थी. 14 सितम्बर, गुरुवार को एक समिति ने कंपनी के रेसोल्यूशन प्रोसेस की समीक्षा की थी. इसी के तहत कंपनी की बिक्री को लेकर बोलियां मंगाई गई थीं. रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए कई कंपनियों ने बोलियां लगाई हैं. रिलायंस कैपिटल की खरीदारी के लिए बैंकों को कुल 14 प्रस्ताव मिले. जिनमें से कुछ पीरामल ग्रुप, कोसमी फाइनेंसियल सर्विसेज, इंडसइंड बैंक, ऑक्ट्री कैपिटल, और टोरेंट ग्रुप थे. रिलायंस कैपिटल ने सूचना दी कि कंपनी के कर्ज़दाताओं की 18वीं सालाना बैठक मुंबई में हुई थी.

आपको बता दें कि अनिल अंबानी की ही एक और कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के शेयरों की भी ट्रेडिंग रोक दी गयी है. यह कंपनी भी अब इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के दायरे में आ गयी है. और दिवालिया प्रक्रिया से गुज़र रही है.

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं शिवानी ने लिखी है.)

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