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SEBI कर रही है हिंडनबर्ग की जांच, बड़ा खुलासा होने वाला है

SEBI को ऐसा क्या मिला जो हिंडनबर्ग की जांच शुरू कर दी?

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Hindenburg Report प्रकाशित होने के बाद Adani Group के स्टॉक्स तेजी से गिरे थे. (फोटो: सोशल मीडिया)

SEBI 'शॉर्ट-सेलिंग' नियमों के संभावित उल्लंघन के लिए रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Adani Hindenburg Row) की जांच कर रही है. यह जानकारी तब आई है जब हाल ही में SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से अडानी मामले की जांच के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था. SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले में कई जटिल पहलुओं की जांच होनी है, जिसमें समय लगेगा.

द हिंदू बिजनेसलाइन से जुड़ीं पलक शाह की रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने अपनी राय हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले और बाद में अडानी ग्रुप में हुई ट्रेडिंग के आधार पर बनाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेडिंग को लेकर ही एजेंसी बड़े खुलासे करेगी. इसके अलावा SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग और FPI नियमों के संभावित उल्लंघन के आधार पर भी अपनी राय बनाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि SEBI अडानी समूह के 12 ट्रांजैक्शन का खासतौर पर निरीक्षण कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी कमेटी

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने SEBI से दो महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा था. इसकी अवधि दो मई को खत्म हो गई थी. उससे पहले ही SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था. एजेंसी की तरफ से कहा गया था कि इस मामले में लेन-देन की जटिलता और धोखाधड़ी की आशंका की प्रकृति और प्रवृत्ति को देखते हुए इस मामले की जांच में लगभग 15 महीने लगेंगे. हालांकि, हमें उम्मीद है कि जांच 6 महीने में पूरी हो जाएगी.

SEBI की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा गया था कि अमेरिका में ऐसी जांच 9 महीने से लेकर 5 साल तक चलती है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में इस मामले की जांच के लिए 6 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी. साथ ही साथ कोर्ट ने SEBI की तरफ से की जा रही जांच को भी जारी रखने का आदेश दिया था. कोर्ट ने SEBI से कहा था कि वो इस बात की जांच करे कि क्या धारा-19 का उल्लंघन हुआ है और क्या अडानी स्टॉक्स की कीमतों में कोई हेर-फेर हुआ है?

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ये भी कहा था कि बाकी जांच एजेंसियां भी SEBI के एक्सपर्ट पैनल की मदद करेंगी. इधर कोर्ट ने जो 6 सदस्यीय कमेटी बनाई, उसमें केवी कामत, नंदन नीलेकणि, ओपी भट्ट, जेपी देवदत्त और सोमशेखर सुंदरेशन शामिल हैं. इस कमेटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मनोहर सप्रे कर रहे हैं. 

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