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24 घंटे पहले कहा था पैसा सुरक्षित है, अब अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक डूब गया

जानिए खस्ताहाल में कैसे पहुंचा बैंक.

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सिलिकॉन वैली बैंक (फोटो- रॉयटर्स)

अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर हलचल मच गया है. वजह है वित्तीय संकट में घिरे सिलिकॉन वैली बैंक का बंद होना. 10 मार्च को कैलिफोर्निया के बैंकिंग रेगुलेटर्स ने बैंक को बंद कर दिया. संपत्ति के हिसाब से सिलिकॉन वैली बैंक अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक है. जानकार इसे साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद अमेरिका की सबसे बड़ी बैंकिंग असफलता बता रहे हैं. बैंकिंग रेगुलेटर्स ने फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (FDIC) को फिलहाल रिसीवर नियुक्त किया है, जो बैंक के वित्तीय कामों को देखेगा. बैंक में निवेशकों और ग्राहकों के 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि जमा है. इनमें से 89 फीसदी राशि इंश्योर्ड नहीं थी. इन पैसों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब FDIC के पास ही है.

सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) पिछले कई दिनों से कैश की कमी से जूझ रही थी. यह बैंक स्टार्टअप और टेक कंपनियों को कर्ज देने के लिए जाना जाता था. दो दिन पहले बैंक ने ग्राहकों से पैसे नहीं निकालने की अपील की थी. बैंक बंद होने से ठीक 24 घंटे पहले SVB के CEO ग्रेग बेकर ने ग्राहकों को भरोसा दिलाया था कि उनका पैसा बैंक में सुरक्षित है. हालांकि बैंक बंद होने के बाद ग्राहक दुविधा में फंस गए हैं कि उनका सारा पैसा वापस मिलेगा या नहीं. इस बैंकिंग संकट के बारे में अब तक क्या पता चला है और इसका असर कितना बड़ा होने वाला है, बैंक डूबने के पीछे की कहानी क्या है, सब जानने की कोशिश करते हैं.

FDIC के मुताबिक, सिलिकॉन वैली बैंक की कुल संपत्ति 17 लाख करोड़ रुपये (209 बिलियन डॉलर) से ज्यादा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, FDIC ने SVB की संपत्तियों और डिपोजिट रखने के लिए एक नया बैंक, नेशनल बैंक ऑफ सैंटा क्लारा बना दिया है. यह बैंक 13 मार्च से शुरू हो जाएगा, जो पुराने बैंक द्वारा जारी चेक को क्लियर करेगा. इसके अलावा सभी इंश्योर्ड निवेशक और ग्राहक अपने बैंक अकाउंट को एक्सेस कर पाएंगे.

खस्ताहाल में कैसे पहुंचा बैंक?

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि सिलिकॉल वैली बैंक ने पिछले कुछ सालों में अरबों डॉलर के बॉन्ड खरीदे. दूसरे बैंकों के उलट, सिलिकॉल वैली बैंक ने डिपॉजिट की काफी कम राशि को अपने पास रखा और बाकी को रिटर्न की उम्मीद के साथ निवेश कर दिया. जब तक अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं की, तब तक बैंक का धंधा सही चला. लेकिन पिछले साल से फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की. ब्याज दर बढ़ने के कारण कई स्टार्टअप के लिए मार्केट से फंड उठाना मुश्किल हो गया. सिलिकॉल वैली बैंक के ज्यादातर ग्राहक स्टार्टअप कंपनियां हैं. इन स्टार्टअप ने अपनी जरूरतों के लिए बैंक से पैसे निकालने शुरू कर दिये. इनको भुगतान करने के लिए बैंक ने कई निवेश को मजबूरन ऐसे समय में बेच दिया, जब उनकी कीमत काफी नीचे थी.

8 मार्च को बैंक ने बताया था कि इससे उसे 16 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ. बैंक के मुताबिक उसने कई सिक्योरिटीज को घाटे में बेच दिया. इस अफरातफरी के कारण बैंक के ग्राहकों ने पैसे निकालने शुरू कर दिये. इन सबके बीच बैंक की मूल कंपनी SVB फाइनेंशियल ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई. 9 मार्च को कंपनी के शेयरों की कीमत करीब 60 फीसदी गिर गई.

सिलिकॉन वैली बैंक के बंद होने के बाद कई और बैंकों के शेयरों की कीमत गिर गई. 10 मार्च को सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्स्ट रिपब्लिक बैंक और न्यूयॉर्क स्थित सिग्नेचर बैंक के शेयर 20 फीसदी तक गिर गए. हालांकि जेपी मॉर्गन सहित देश के दूसरे बैंकों की स्थिति पर ज्यादा असर नहीं हुआ है. सिलिकॉन वैली बैंक इस साल बंद होने वाला पहला FDIC इंश्योर्ड संस्थान है. इससे पहले अक्टूबर 2020 में अल्मेना स्टेट बैंक को बंद किया गया था.

बैंक डूबने का दूसरा बड़ा केस

कुल पूंजी के हिसाब से देखा जाया तो अमेरिका में बैंक डूबने का यह दूसरा सबसे बड़ा मामला है. इससे पहले साल 2008 में वॉशिंगटन म्यूचुअल बैंक डूब गया था. बैंक की कुल संपत्ति 25 लाख करोड़ से ज्यादा थी. दिवालिया होने के बाद वॉशिंगटन म्यूचुअल को अमेरिका के सबसे बड़े बैंक जेपी मॉर्गन ने खरीदा था. साल 2008 की आर्थिक मंदी ने अमेरिका ने बैंकों के लिए नियम सख्त बना दिये थे. जिसमें संकट के समय एक निश्चित राशि रिजर्व के तौर पर रखनी पड़ेगी. हालांकि साल 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बिल पर साइन किया था, जिससे क्षेत्रीय बैंकों की स्क्रूटनी में ढील दी गई थी. सिलिकॉन वैली बैंक संकट के बाद अब सबकी नजर दूसरे बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरफ है.

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