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अडानी केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी, अब खुलेगी पूरी कुंडली?

अडानी मामले में बड़ा फैसला आया है.

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उद्योगपति गौतम अडानी. (फाइल फोटो)

अडानी-हिंडनबर्ग (Adani Hindenburg) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 6 सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमेटी बना दी है. इस कमेटी के हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे होंगे. इसके अलावा इस एक्सपर्ट कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल किया गया है. देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने 2 मार्च को ये आदेश दिया है.

कमेटी में कौन-कौन है?

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस मामले में SEBI जो जांच कर रही है, वो जारी रहेगी और साथ ही एक्सपर्ट कमेटी भी अपना काम करती रहेगी. SEBI को 2 महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी. कोर्ट ने ये भी साफ किया कि कमेटी बनाने से मार्केट रेगुलेटर SEBI की स्वतंत्रता और इसकी जांच प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आएगी. अडानी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट का लेटेस्ट ऑर्डर जानने के बाद अब एक्सपर्ट कमेटी में शामिल मेंबर्स के बारे में जान लेते हैं. अभय मनोहर सप्रे 1978 में मध्य प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य बने थे. 1999 में उन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एडिशनल जज के पद पर नियुक्त किया गया. फिर 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.

दूसरे सदस्य हैं इंफ़ोसिस के को-फ़ाउंडर नंदन नीलेकणि. आधार कार्ड, UPI, फास्टैग, GST जैसी टेक्नोलॉजी भी इनके दिमाग़ की ही उपज थीं. के. वी. कामथ देश के मशहूर बैंकर हैं. वो ICICI बैंक के MD-CEO भी रहे और नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष भी रहे. ओम प्रकाश भट्ट पेशे से बैंकर हैं. वो 2006 से 2011 तक भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रहे. एडवोकेट सोमशेखर सुंदरसन कमर्शियल कानून के एक्सपर्ट हैं. वो बिजनेस जर्नलिस्ट भी रह चुके हैं और सोशल मीडिया पर अक्सर कमर्शियल लॉ, बिजनेस, राजनीतिक और संवैधानिक मुद्दों पर राय देते रहते हैं. जस्टिस जेपी देवदत्त बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस हैं और सिक्योरिटीज़ ऐपिलैट ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी रह चुके हैं.

जांच क्या होगी?

अब जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी किन दो पहलुओं की जांच करेगी. पहला, शेयर मार्केट का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मजबूत करने के उपाय सुझाएगी. यानी मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की निगरानी और पुख्ता की जाएगी. दूसरा, अडानी  ग्रुप के शेयर्स में तेज गिरावट से जुड़े विवादों की जांच करेगी. कमेटी के अलावा ​​​​सेबी भी दो पहलुओं की जांच करेगी. पहला, ये कि क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ? दूसरा, क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ? 

अब लगे हाथ ये भी समझ लेते हैं कि सेबी का ये नियम 19 (A) है क्या? दरअसल, ये नियम शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है. भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25 फीसदी शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए.

इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं. मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी. मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की है.

विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की है. जया ठाकुर ने इस मामले में LIC और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भूमिका पर शंका जताई है. उन्‍होंने LIC और SBI की अडानी  एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में निवेश करने के पीछे की पूरी सच्चाई सामने लाने की मांग की गई है. मसलन, LIC ने किसके कहने पर अडानी समूह की कंपनियों में निवेश किया वगैरह वगैरह.

इसी तरह मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है. इन याचिकाओं में ये भी दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ. इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है. यह असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. इससे पहले बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि वो मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता.

अडानी ने किया स्वागत

वहीं  सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक्सपर्ट कमेटी बनाए जाने का अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने ट्वीट कर फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है. सच की जीत होगी. वहीं दो मार्च को अडानी ग्रुप के सभी 10 शेयरों में तेजी देखने को मिली. कारोबार के दौरान अडानी  ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है. अडानी पोर्ट के शेयर में भी 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी है. वहीं अडानी पावर, ट्रांसमिशन, ग्रीन और विल्मर के शेयर 5-5% बढ़कर कारोबार कर रहे हैं. अडानी टोटल गैस और NDTV के शेयर भी 4 फीसदी से ज्यादा चढ़े हैं. वहीं ग्रुप की सीमेंट कंपनी ACC के शेयर में आधा फीसदी और अंबुजा के शेयर में 4 फीसदी से ज्यादा की तेजी है.

हिंडनबर्ग ने  अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी समूह दशकों से अपनी कंपनियों के स्टॉक मैनुपुलेशन में शामिल है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह की तरफ से अकाउंटिंग फ्रॉड किया गया है. हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि अडानी समूह मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल है. हिंडनबर्ग ने दावा किया था ग्रुप की 7 कंपनियों के शेयरों की कीमत 85 फीसदी तक ज्यादा है. 

इसके अलावा अडानी ग्रुप पर 2.20 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज है. ये उसकी समूह की हैसियत से ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया था कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी विदेश में शेल (फर्जी) कंपनियों को मैनेज करते हैं. इनके जरिए भारत में अडानी  ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए. आपको बता दें कि जब से हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई है, तब से लेकर अब तक अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आ चुकी है और समूह की कंपनियों की मार्केट वैल्यू में करीब 12 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ चुकी है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने से पहले अडानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप 19 लाख करोड़ रुपये के आसपास था.

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश भी दिए हैं:
1. सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी
2. केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा
3. कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है
4. कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी
5. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी
6. ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे
7. कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी

वीडियो: खर्चा पानी: अडानी ग्रुप में LIC का निवेश नुकसान में पहुंचा, पाॅलिसी होल्डर्स पर कितना असर पड़ेगा?