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सरकार के लिए लगातार दूसरी राहत, खुदरा के बाद थोक महंगाई दर में गिरावट

बीते अप्रैल में 33 साल बाद थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार पहुंच गई थी, जून में गिरावट के बाद भी ये 15 फीसदी से ऊपर ही बनी हुई है

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थोक महंगाई दर रिजर्व बैंक की निर्धारित दर से काफी ऊपर है | प्रतीकात्मक फोटो : आजतक

महंगाई के मोर्चे पर सरकार को इस सप्ताह लगातार दूसरी राहत मिली है. खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई (Wholesale Inflation) में भी नरमी देखने को मिली है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में थोक महंगाई की दर 15.18 फीसदी रही. यह मई के 15.88 फीसदी की तुलना में कम है. अगर साल भर पहले से तुलना करें तो थोक महंगाई दर अभी भी काफी ऊपर बनी हुई है. जून 2021 में थोक महंगाई की दर 12.07 फीसदी रही थी. बता दें कि पिछले 15 महीने से थोक महंगाई दर 10 फीसदी से अधिक बनी हुई है.

33 साल बाद थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार हुई

डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी. यानी यह लगातार तीसरा ऐसा महीना है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार रही है. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है. इससे पहले साल 1998 के दिसंबर महीने में थोक महंगाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी.

क्यों थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार पहुंची?

कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की ओर से बताया गया है कि क्यों थोक महंगाई दर ज्यादा बनी हुई है? मंत्रालय का कहना है कि जून में महंगाई की ऊंची दर के लिए मुख्य तौर पर खनिज तेलों, खाने-पीने के सामानों, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, केमिकल्स, केमिकल प्रोडक्ट आदि की अधिक कीमतें जिम्मेदार हैं. इंडिया टुडे के मुताबिक मंत्रालय ने आगे कहा,

'थोक कीमतों के सूचकांक में एक महीने पहले यानी मई 2022 की तुलना में जून 2022 में कोई बदलाव नहीं आया है. पिछले साल के जून महीने की तुलना में कई चीजों के दाम अधिक रहने के चलते थोक महंगाई दर जून 2022 में 15 फीसदी के पार रही.'

इन चीजों के थोक भाव में हुई बढ़ोत्तरी 

14 जुलाई को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, जून 2022 में खाने-पीने की चीजों के थोक भाव 14.39 फीसदी की दर से बढ़े. जबकि सब्जियों के थोक भाव पिछले महीने 56.75 फीसदी, आलू के 39.38 फीसदी और फलों के 20.33 फीसदी की दर से बढ़े. ईंधन और पॉवर बास्केट के थोक भाव 40.38 फीसदी, विनिर्माण वस्तुओं के 9.19 फीसदी, तिलहन के भाव 2.74 फीसदी बढ़े. कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस में तो इस दौरान 77.29 फीसदी का भयानक उछाल देखने को मिला है.

जुलाई में थोक महंगाई दर में कमी के आसार

इधर, भारतीय रेटिंग एजेंसी इक्रा की तरफ से कहा गया है कि जुलाई महीने में थोक महंगाई दर में और कमी आ सकती है और यह 13 फीसदी रह सकती है. एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी और तेल की कीमतों में हो रहे बदलाव के चलते कमी आने के आसार हैं.

खुदरा महंगाई दर में भी मामूली गिरावट

उधर, भारत की खुदरा महंगाई दर में गिरावट आने लगी है. जून महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत रही, जो मई महीने से 0.3 फीसदी कम है. मई में खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी रही थी. हालांकि, खुदरा महंगाई लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय लक्ष्य की सीमा से ऊपर है. अप्रैल में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. बता दें कि रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई की दर के हिसाब से नीतिगत दरों पर फैसला लेता है.

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