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आपको भनक नहीं, आपके पीएफ का पैसा अडानी के पास है!

अडानी समूह की दो कंपनियों में ईपीएफओ ने कितना पैसा निवेश किया हुआ है?

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ईपीएफओ (सांकेतिक तस्वीर)

एलआईसी और एसबीआई की तरह भारत के करोड़ों सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोगों के पीएफ के पैसों की देखभाल करने वाले ईपीएफओ यानी इंप्लायी प्रॉविडेंट फंड आर्गेनाजेशन ने भी अडानी समूह की दो कंपनियों में निवेश कर रखा है और हिंडनबर्ग का बवंडर उठने के बाद भी संगठन ने अपना निवेश जारी रखा है. समाचार पत्र द हिन्दू की खबर बताती है कि ईपीएफओ ने अडानी समूह की दो कंपनियों में निवेश किया हुआ है और इस साल कम से कम सितंबर तक ईपीएफओ इन कंपनियों में निवेश करता रहेगा. इस खबर के मुताबिक ईपीएफओ के टस्ट्रीज की आज (27 मार्च) बैठक शुरू होने वाली है. अगर इस बैठक में इस बारे में चर्चा होगी तो ही भले कुछ बदलाव हो.

ईपीएफओ भारत में नौकरीपेशा लोगों के रिटायरमेंट फंड की देखभाल करने वाला सबसे बड़ा संगठन है. मौजूदा समय में ईपीएफओ के करीब 28 करोड़ मेंबर हैं. ईपीएफओ अपने कॉर्पस का 15 फीसदी निवेश नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई 50 और बांबे स्टॉक एक्सचेंज बीएसई सेंसेक्स से जुड़े एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश करता है. एलआईसी ऑफ इंडिया के बाद ईपीएफओ दूसरा सबसे बड़ा गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान है जोकि निफ्टी 50 पर नज़र रखने वाले ईटीएफ में अपने इक्विटी निवेश का करीब 85 फीसदी हिस्सा इन ईटीएफ में लगाता है. 

ईपीएफओ ने पिछले साल सितंबर में अडानी एंटरप्राइजेज को अपनी निवेश की लिस्ट में जोड़ा था और सितंबर 2023 तक इसमें निवेश का फैसला किया है. इसके अलावा ईपीएफओ ने अडानी समूह की दूसरी प्रमुख कंपनियों में से एक अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड में भी निवेश कर रखा है. यह कंपनी सितंबर 2015 से निफ्टी 50 का हिस्सा है. एनएसई की सब्सिडियरी एनएसई इंडाइसेस ने अगले सितंबर 2023 तक अडानी समूह के दोनों स्टॉक को निफ्टी 50 में शामिल रखने का फैसला किया है. ऐसे में ईपीएफओ का पैसा जो निफ्टी के ईटीएफ में निवेश किया जाएगा वो पैसा अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में भी निवेश होता रहेगा.

'दि हिंदू' ने इस बारे में जब सेंट्रल प्रॉविडेड फंड कमिश्नर नीलम शमि राव से सवाल पूछा तो उन्होंने अडानी समूह के स्टॉक्स में ईपीएफओ के एक्सपोजर पर कोई जवाब नहीं दिया है. दि हिंदू ने उनसे ये भी सवाल किया गया था कि अडानी समूह के लेकर हिंडनहर्ग के रिसर्च रिपोर्ट के बाद फंड मैनेजर्स को अडानी समूह के स्टॉक्स में निवेश न करने को लेकर क्या आदेश दिया गया है जिससे आम लोगों के रिटायरमेंट फंड को संभावित नुकसान से बचाया जा सके. मार्च 2022 तक ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के जरिए बाजार में 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. एक अनुमान के तहत 2022-23 में 38,000 करोड़ रुपये और निवेश किए गए हैं.

ईपीएफओ के ट्रस्टी, जिनसे द हिंदू ने संपर्क किया ने कहा कि उन्हें अडानी के एक्सपोजर के बारे में कुछ भी पता नहीं था. लेकिन केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में होने वाली बोर्ड की दो दिवसीय बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है. 27 मार्च से ईपीएफओ की बैठक चल रही है. इस बैठक में करेंट फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.15 फीसदी तय की गई है. जबकि इससे पिछले साल हुई ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी तय की गई थी. यह ब्याज दर 45 साल में सबसे कम है. वहीं इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ईपीएफओ ने छह महीने पहले ही अडानी एंटरप्राइजेज में निवेश करना शुरू ही किया है. इसलिए अभी ज्यादा निवेश नहीं हो पाया होगा. आपको बता दें कि सितंबर 2016 में ईपीएफओ ने कुल कॉर्पस का 10 फीसदी शेयर बाजार में निवेश का फैसला किया था जिसे 2017 में बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया.

24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है. ऐसे में इसका असर 2022-23 के लिए ईपीएफओ के तय किए जाने वाले ब्याज दर पर भी असर डाल सकता है क्योंकि ईपीएफओ का ईटीएफ में किया गए निवेश पर रिटर्न घटेगा.  24 मार्च तक के आंकड़ें देखें तो अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर का भाव जब एनएसई निफ्टी 50 में शामिल किया गया था तब से करीब 50 फीसदी नीचे है. वहीं दिसंबर 2022 के अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर (4,190 रुपये ) से 58.5 फीसदी नीचे था. इसी तरह अडानी पोर्ट्स सितंबर 2022 के स्तर (988 रुपये) के अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर से 35 फीसदी नीचे है.

 

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