Ukraine Returned MBBS Students की पढ़ाई कैसे होगी पूरी? क्या मिलेगा भारत में एडमिशन?

08:10 AM Oct 02, 2022 | मानसी समाधिया
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‘'हम देश के बाहर गए पढ़ने के लिए, सोचा लौट कर देश की सेवा करेंगे. पता नहीं था कि युद्ध छिड़ जाएगा और हमारे घर हमारे देश के लिए ही हम पराए हो जाएंगे’’.

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 ये बात मयंक पाल ने अपने ट्वीट में लिखी. मयंक यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे और युद्ध शुरू होने के बाद वो भारत वापस लौट आए. यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों की जान तो बच गई पर फ्यूचर पर खतरा मंडरा रहा है.

यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट मयंक पाल का ट्वीट (फोटो - ट्विटर)

 

युद्ध के बीच जान बचाने की जद्दोजहद में पीछे छूटी पढ़ाई


20 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुये युद्ध ने यूक्रेन को तबाह करना शुरू किया. मॉल, इंडस्ट्री से लेकर कॉलेज की बिल्डिंगों तक सब पर हमले हुए और इस दौरान यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे लगभग 20 हजार भारतीय स्टूडेंट्स को सब कुछ छोड़ वापस लौटना पड़ा.  इन छात्रों ने वॉर जोन का भयावह नजारा देखा, कोई मीलों पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचा तो किसी ने कई-कई दिन बिस्किट और चिप्स खा कर शेल्टर में गुजारे. आखिरकार टिकिट के हजारों रुपए देकर ये छात्र भारत पहुंचे. पर यहां इनकी परेशानियां खत्म नहीं हुई. अब इन छात्रों को एक बार फिर उसी जमीन पर जाने का डर सता रहा है जहां से वो जान बचाकर भागे थे. यूक्रेन से लौटे छात्र अपना भविष्य बचाने के लिए हर दरवाजा खटखटाकर गुहार लगा रहे हैं.


क्या है स्टूडेंट्स की मांग?


यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों को अब इंतजार करते करते 5 महीने से ज्यादा हो गए हैं. लाखों की फीस देकर विदेश पढ़ने गए छात्रों के सामने अब पढ़ाई जारी रखने और अपने फ्यूचर को बचाने का चैलेंज है. 15 अगस्त को जब देश आजादी के 75 साल की खुशियां मना रहा था तब ये छात्र अपने फ्यूचर के लिए परेशान थे, ट्विटर पर सरकार से मदद मांग रहे थे और #StudentsinDark ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था.  

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत लौटे मेडिकल स्टूडेंट किशन कहते हैं -

‘हमारे सेमेस्टर अभी खत्म हुए हैं एक हफ्ते में नया सेमेस्टर शुरू होने वाला है लेकिन हमें अभी तक ये नहीं पता कि हमें करना क्या है. यूनिवर्सिटी ने हमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ऑप्शन दिए हैं. ऑफलाइन मोड के लिए हमें वापस वॉर जोन में जाना होगा जो बहुत रिस्की है. वहीं ऑनलाइन मोड भी नहीं ले सकते क्यों कि NMC ने इसे मान्यता नहीं दी है. हम और हमारे पैरेंट्स हमारे फ्यूचर को लेकर बहुत परेशान हैं’’.


वहीं एक और स्टूडेंट दीपक का ने कहा -


‘’NMC ने अभी तक अपना स्टैंड साफ नहीं किया है. फोन करो तो कहते हैं कि तुम किससे पूछ कर वहां पढ़ने गए थे? ऐसी स्थिति है कि हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें’’

 

मार्च में यूक्रेन से भारत लौटे मे़डिकल स्टूडेंट्स 


रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई को लेकर मेंटल ट्रॉमा झेल रहे हैं. छात्रों की माने तो उनपर चौतरफा प्रेशर है. एक तरफ उन्हें नेशनल मेडिकल कमीशन(NMC) की तरफ से कोई क्लियर गाइडलाइन नहीं मिल रही है, दूसरी तरफ यूक्रेन में उनकी यूनिवर्सिटीज भी कुछ साफ बोलने को तैयार नहीं हैं और फीस की डिमांड कर रही है, तीसरी तरफ भारत सरकार से इस मामले पर कोई क्लियर भी गाइडलाइन नहीं दे रही है और चौथी तरफ से एडमिशन एजेंट्स फोन कर कर के छात्रों को किसी और देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने की सलाह दे रहे हैं ये कहते हुए कि इसके अलावा अब तुम्हारे पास कोई और चारा नहीं बचा है. इन छात्रों का हेल्पलेस फील करना लाजमी है. यूक्रेन से लौटे छात्र रित्विक का कहना है -


‘’जब हमें ऑपरेशन गंगा के तहत वापस लाया गया था कब कई मंत्रियों ने हमसे वादा किया था कि हमारे फ्यूचर के लिए कुछ किया जाएगा. आज 5 महीने हो गए हैं हम डिप्रेशन में जा रहे हैं. हम सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि हमारी डिग्री यहीं पूरी कराएं और प्रैक्टिस करने के लिए भी अनुमति दें’’


सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा?

 

आपने छात्रों की बात सुनी. अब सरकार का इस पूरे मामले पर क्या रूख है वो भी समझ लीजिए. लोकसभा में यूक्रेन मामले को लेकर 22 और 29 जुलाई को पूछे गए सवाल के जवाब में  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 के साथ-साथ विनियमों में मेडिकल छात्रों को किसी भी विदेशी मेडिकल संस्थानों से भारतीय मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने या स्थानांतरित करने का कोई प्रावधान नहीं हैं।


इसके अलावा विदेश मामलों की पार्लियामेंट्री कमिटी ने 3 अगस्त को लोकसभा में अपनी 15वीं रिपोर्ट पेश की थी. इसमें कमिटी ने सुझाव दिया था कि सभी छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई और ट्रेनिंग पूरी करने के लिये एडमिट किया जाये. लेकिन फिर गाईडलाइन और पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर ना होने का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया गया.  इधर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 13 अगस्त को कहा था -

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो-इंडिया टुडे)

 


‘‘हम यूक्रेन की सरकार से बात कर रहे हैं और वहां के फॉरेन मिनिस्टर से स्टूडेंट्स की पढ़ाई को लेकर चर्चा कर रहे हैं.  हम ये भी देखने की कोशिश कर रहे हैं कि इसके अलावा और क्या ऑप्शन हो सकते हैं. पर ये इतना आसान नहीं है क्यों कि छात्रों के ट्रांस्फर को लेकर भी कई रेगुलेशन्स हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय भी इसपर काम कर रहे हैं.’’


यूक्रेन से लौटे इन स्टूडेंट्स की क्लासेज ऑनलाइन चल रही हैं. जिसकी वजह से उन्हें इस बात का डर भी सता रहा है कि NMC बिना किसी क्लिनीकल ट्रेनिंग के उनकी डिग्री को वैलिड नही मानेगी. इसलिये स्टूडेंट्स सरकार से ये डिमांड कर रहे हैं की उन्हें इंटर्नशिप करने का ऑप्शन दिया जाये. लेकिन सरकार और NMC की ओर से कोई क्लियर गाइडलाइन नहीं दी गई हैं.   यूक्रेन में यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट को ऑनलाइन क्लासेज से लेकर किसी और देश जाकर पढ़ाई जारी रखने का भी विकल्प दे रही है. लेकिन ये कदम भी स्टूडेंट्स के लिए फाइनेंशियली कठिन होगा.  


NMC ऑनलाइन क्लास को नहीं दे रही मान्यता


यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को 1 सितंबर से नये सेमेस्टर की फीस भी जमा करनी है. जिसके लिये उनके पास 15 दिन का समय होगा. लेकिन स्टूडेंट्स अब दुविधा में हैं की क्या करें. एक तरफ NMC ऑलाइन पूरी की गई डिग्री को मान्यता नहीं देगी. दूसरी ओर यूक्रेन में युद्ध की बजह से उनकी यूनिवर्सिटी भी कुछ साफ बोलने की स्थिती में नहीं है. इधर भारत सरकार इतने सारे स्टूडेंट्स को लेकर कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती. स्टूडेंट्स NMC से ऑनलाइन क्लासेस को मान्यता देने की गुजारिश कर रहे हैं. ताकि जब तक स्तिथि साफ ना हो वो जहां हैं वहीं रहकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.


पर मेडिकल की डिग्री पर पढ़ाई घर बैठे होना भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है. ये प्रैक्टिस के साथ पढ़ा जाने वाला कोर्स है. पढ़ाई के लिये कई छात्रों ने लोन लिया हुआ है जिसके कारण वो वापस यूक्रेन जाकर अपनी पढ़ाई जारी करने के लिये भी तैयार हैं, या कह लीजिए मजबूर हैं. लेकिन फिलहाल सरकार की किसी एडवाइजरी के बिना यूक्रेन जाना छात्रों के लिए पॉसिबल नहीं है. यानि फिलहाल कोई रास्ता आसान नजर नहीं आ रहा है. अब छात्रों की सरकार से यही रिक्वेस्ट है कि वो कोई ऐसा रास्ता निकालें जिससे इनका और वक्त, पैसा और फ्यूचर बर्बाद ना हो.

 

 

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