मणिपुर के हिंगांग सीट पर वर्तमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की टक्कर पी शरतचंद्र सिंह से थी (फोटो- इंडिया टुडे, FB/N Biren Singh)
मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान होना जारी है. पहली सीट पर फाइनल रिजल्ट आ गया है. वो भी वर्तमान मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह (N Biren Singh) की हिंगांग (Heingang) सीट. उन्होंने यहां एक बार फिर बाजी मार ली है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक एन बीरेन सिंह को 24 हजार 814 वोट मिले हैं. उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पी शरतचंद्र सिंह को 18 हजार 271 वोटों के मार्जिन से हराया है. उन्हें 6,486 वोट मिले हैं.
जीत के बाद क्या बोले एन बीरेन सिंह?
सीएम सिंह के आवास पर नतीजों के बाद जश्न का माहौल है. वहीं, जीत के बाद एन बीरेन सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री चेहरे पर फैसला राष्ट्रीय नेता लेंगे. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा,
पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश करने में समय लेगी, (पहले) राज्य के नतीजे आ जाने दीजिए.
जब उनसे मुख्यमंत्री पद को लेकर सवाल किया गया तो बीरेन सिंह ने कहा-
हमारे राष्ट्रीय नेता सीएम फेस तय करेंगे. हम पीएम मोदी के 'समावेशी विकास' मंत्र पर फोकस करेंगे.
राज्य में भाजपा दोबारा सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है. इसपर सीएम और BJP नेता ने सभी का धन्यवाद किया है. समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में उन्होंने कहा,
मैं मणिपुर की जनता का धन्यवाद देता हूं. मैं अपने राष्ट्रीय नेताओं, पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा को हमारा मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद देता हूं. जिसकी वजह से हम मणिपुर में जीते हैं.
हिंगांग मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले की सीट है. यहां 28 फरवरी को पहले चरण के तहत वोटिंग हुई थी. चुनाव आयोग के मुताबिक, क्षेत्र में 78.03 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछली बार के चुनाव में भी सीएम एन बिरेन सिंह ने पी शरतचंद्र सिंह को हराया था, जो उस वक्त तृणमूल कांग्रेस (TMC) के टिकट पर चुनाव लड़े थे. तब बीरेन सिंह को 10 हजार 439 वोट मिले थे. वहीं शरतचंद्र को 9,233 लोगों ने वोट किया था. हिंगांग में बीरेन सिंह का दबदबा लगभग दो दशकों से है. वे यहां 2002 में जीते, 2007 में जीते, 2012 में भी वही चुने गए और पिछले चुनाव का हाल हमने आपको बता ही दिया. दिलचस्प बात ये कि इन 20 सालों में बीरेन सिंह ने 3 पार्टियां बदलीं, लेकिन उनकी जीत का सिलसिला कभी नहीं रुका. 2002 में सिंह ने डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपल्स पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 2007 और 2012 में वो कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले उन्होंने बड़ा रिस्क उठाया. तत्कालीन कांग्रेस सरकार से असंतोष के चलते उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गए. खतरा उठाने का बीरेन सिंह को बड़ा फायदा मिला. उन्होंने चुनाव तो जीता ही, साथ ही मणिपुर में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री भी बने.
कभी फुटबॉल में था इंटरेस्ट
एक जनवरी 1961 को मणिपुर में जन्मे एन बीरेन सिंह राजनीति में आने से पहले पत्रकार और फुटबॉलर रहे हैं. शुरू से उनकी दिलचस्पी फुटबॉल में थी. कम ही लोग जानते हैं कि 18 साल की उम्र में बीरेन सिंह बीएसएफ की एक फुटबॉल टीम के लिए चुन लिए गए थे. वे 1981 में कोलकाता के मोहन बागान फुटबॉल क्लब को डूरंट कप में हराने वाली बीएसएफ टीम का हिस्सा भी थे. बाद में उन्होंने राज्य टीम के लिए खेलना जारी रखा. खेल के साथ एन बीरेन सिंह पत्रकारिता से भी जुड़े रहे. इसके लिए उन्होंने पहले बीएसएफ से इस्तीफा दिया और स्थानीय भाषा के अखबार की शुरुआत की. बताया जाता है कि इसके लिए उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली एक जमीन भी बेचनी पड़ी थी. बाद में बीरेन सिंह राजनीति में उतरे और यहां भी सफल रहे. 10 मार्च को मिली सफलता के बाद उनके आवास पर समर्थकों का जश्न जारी है.