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"आप फोन रखिए और मैं..." - PM मोदी ने जिस नेता को चुनाव से रोकने के लिए फोन किया था, उसने क्या कहा?

“मैंने इसका विरोध नहीं किया. किसी से कुछ नहीं कहा. सीएम ने मुझसे कहा कि जो हो गया सो हो गया"

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(बाएं-दाएं) पीएम मोदी और कृपाल परमार. (तस्वीरें- पीटीआई और यूट्यूब)

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के उपाध्यक्ष रहे कृपाल परमार का नाम अभी चर्चा में है. पीएम मोदी से फोन पर बात करते हुए वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पीएम मोदी कथित तौर पर उन्हें कह रहे थे कि चुनाव मत लड़ो. निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी ने सस्पेंड भी कर दिया था. अब आजतक से बातचीत में कृपाल परमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले पर अपनी बात रखी है. उनका कहना है कि काफी समय से प्रदेश संगठन में उनका अपमान किया जा रहा था. 

दावा किया है कि उन्होंने कई बार आलाकमान के सामने अपने परेशानी रखी, लेकिन कुछ नहीं किया गया. कृपाल परमार ने कथित रूप से पीएम नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत के बारे में भी जानकारी दी. कहा कि अगर पीएम मोदी नामांकन की आखिरी तारीख से एक दिन पहले फोन कर देते तो वो चुनाव नहीं लड़ते. हालांकि वरिष्ठ नेता ये भी बोले कि अगर वो चुनाव में जीते तो वापस बीजेपी में ही जाएंगे.

क्या बोले कृपाल परमार?

आजतक से जुड़े मनजीत सहगल ने कृपाल परमार से पूछा कि उन्होंने निर्दलीय चुना लड़ने का फैसला क्यों किया. इस पर उन्होंने बताया,

“2017 में मुझे फतेहपुर से चुनाव टिकट दिया गया था. ये बात कई लोगों को पसंद नहीं आई थी. मेरे खिलाफ खड़े प्रतिद्वंद्वी को फाइनेंस किया गया. मैं वो चुनाव 1284 वोटों से हार गया. ये बात जब मैंने हाईकमान को बताना शुरू की, उसके बाद मेरी प्रताड़ना शुरू हुई. मैंने जीवन में पहली बार देखा कि पार्टी बागी को फाइनेंस कर रही है. मेरा शक तब सही साबित हो गया जब बाद में उसको पार्टी में लाया गया. फिर जब उपचुनाव हुआ तो टिकट उसी को दे दिया गया. यानी जिसे मेरे खिलाफ खड़ा किया गया उसका पोषण हुआ, हमारा शोषण हुआ."

कृपाल परमार ने आगे बताया,

“मैंने इसका विरोध नहीं किया. किसी से कुछ नहीं कहा. सीएम ने मुझसे कहा कि जो हो गया सो हो गया, आप पार्टी के साथ चलिए. नड्डा जी का फोन आया. मैंने उनकी बात भी स्वीकार की. सीएम मुझे शिमला लेकर गए. वहां कहा गया कि आपको पूरा मान-सम्मान देंगे. तो मैं फिर पार्टी में सक्रिय हो गया. लेकिन तीन विधानसभा और एक लोकसभा के उपचुनाव के परिणाम पार्टी के खिलाफ आए. मुझे लगा था कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कुछ परिवर्तन करेगा. अब मंडी से पार्टी हारी तो उसकी जिम्मेदारी तो मुख्यमंत्री की है. वो उनका क्षेत्र है. लेकिन उनको किसी ने कुछ नहीं कहा. शिमला में हम हारे. वहां के प्रभारियों के खिलाफ कुछ नहीं किया गया. लेकिन कृपाल परमार को अगली कार्यसमिति में आने से रोक दिया गया.”

कृपाल परमार बताते हैं कि उन्हें बोला गया कि वो मीटिंग में न आएं,

"मैंने प्रदेश अध्यक्ष से पूछा कि मैं प्रदेश का उपाध्यक्ष हूं या नहीं. तो कहते हैं कि आप हैं लेकिन मीटिंग में नहीं आएंगे. इसके बाद मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में मेरे चुनाव क्षेत्र का मंडल भंग कर दिया गया. और यहां के लोगों को दरकिनार करके उनके लोगों को लाया गया जो 2017 के चुनाव में बागी उम्मीदवार के साथ थे. वो भी मेरे लिए जलालत वाली बात थी."

कृपाल परमार के मुताबिक इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ईमेल लिखा था. उसके जवाब में कहा गया कि वो संगठन मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलें. परमार ने आगे बताया,

"तभी मेरी (पीएम मोदी से) वो मुलाकात हुई जिसका मैंने जिक्र किया है. लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष से ज्यादा बात नहीं हुई. उन्होंने किसी और को टाइम दे दिया था. मुझे ये लगता था कि 2017 के बाद अब मुझे टिकट दिया जाएगा. मैं काम करता रहा. लेकिन इनकी (प्रदेश संगठन) नीयत मुझे ठीक नहीं लगती थी. प्रदेश के संगठन महामंत्री ने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया था. मैं किससे बात करता. राष्ट्रीय अध्यक्ष बात नहीं सुन रहे. मुख्यमंत्री बात नहीं कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष का कोई महत्व नहीं है. तो फिर मैं क्या करता?"

कृपाल परमार ने बताया कि ये सब होने के बाद उन्होंने आखिरी बार जेपी नड्डा से बात कर कहा था कि वो केवल सम्मानपूर्वक विदाई चाहते हैं, क्योंकि मौजूदा माहौल में वो अनफिट महसूस कर रहे थे. इस सम्मानपूर्वक विदाई के रूप में उन्होंने पार्टी से चुनाव टिकट मांगा था, जो उन्हें नहीं मिला.

पार्टी के खिलाफ जाने के फैसले के पीछे परमार ने किसी रिपोर्ट का भी जिक्र किया है. कहा कि उपुचनाव से पहले सीएम ने ये रिपोर्ट तैयार की थी. उन्होंने बताया,

“मैं संयोग से दिल्ली में था. मैंने वो रिपोर्ट पढ़ी. कहा गया कि एजेंसियों ने रिपोर्ट तैयार की है. लेकिन वो तथ्यों से परे थी. मैंने सीएम से कहा कि ये सर्वे रिपोर्ट है जिसमें कृपाल परमार का राजनीतिक रूप से कत्ल करने की साजिश है. सीएम ने मुझे वादा किया कि ये रिपोर्ट वो आलाकमान को नहीं देंगे. लेकिन प्रधानमंत्री से मिलने वाला जो फोटो वायरल हुआ, उसमें वो रिपोर्ट पीएम के हाथ में थी. मैंने फिर नड्डा जी से कहा कि ये रिपोर्ट झूठी है. इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि मैं क्यों चिंता कर रहा हूं.”

“मोदी भगवान, लेकिन फिर भी लड़ूंगा चुनाव”

कुछ दिन पहले कृपाल परमार का एक वीडियो काफी वायरल हुआ था. इसमें वो कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर रहे थे. कहा गया कि खुद पीएम मोदी ने उन्हें कॉल कर चुनाव से पीछे हटने का आदेश दिया था. हालांकि परमार चुनाव लड़ रहे हैं. अब उनका कहना है,

“मेरा ख्याल है उनको फोन नहीं करना पड़ता अगर पार्टी के लोग यहां भी साजिश नहीं करते. अगर मुझे मोदी जी 29 तारीख को नामांकन वापस लेने के समय से पांच मिनट पहले भी फोन करते तो मैं उन्हें कहता कि आप फोन रखिए. मैं नामांकन वापस लेकर आपको कॉल करता हूं. लेकिन यहां भी मेरे साथ साजिश हुई. मोदी जी ने मुझे कहा कि उन्हें अभी इस सबका पता चला है. जबकि मेरी उनसे बात हो रही थी सुबह 12 बजे के आसपास से. मैंने पीएम से कहा कि अगर आप कल मुझे कहते तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी.”

“बीजेपी में लौटूंगा”

कृपाल परमार का कहना है कि उनके पास निर्दलीय चुनाव लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था. वो बोले,

"मैंने कल भी कहा है कि मुझे (राजनीतिक रूप से) इतना मारा गया कि मेरा एहसास खत्म हो गया है. पीएम ने मुझे जो भी कहा वो उनके और मेरे संबंधों के आधार पर कहा. और मैं कांग्रेस वालों से ये कहना चाहता हूं कि उन्हें (मोदी) मुझे कहने का अधिकार है. उन्होंने ये आधार अर्जित किया है. मैंने उनको ये अधिकार दिया है. मुझे कोई मलाल नहीं है कि उन्होंने मुझे क्या कहा है. मोदी जी ने मुझे जो कहा वो मेरे बुजुर्गों का हक था. और जो मैं कर रहा हूं वो बाल हठ है.

पिता भगवान का रूप होता है. बड़ों का हक है. और परिवार में बाल हठ भी तो होता है. बच्चे कभी जिद भी तो करते हैं. अगर जीत गया तो फिर बीजेपी में जाऊंगा. इस उम्र में और कहां जाऊंगा? मैं जीत रहा हूं. अगर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति हुई और मेरे एक वोट से कांग्रेस की सरकार बनने की नौबत आई तो वो सरकार नहीं बनेगी. मैं बीजेपी के साथ रहूंगा."

कृपाल परमार ने कहा कि उनके पीएम मोदी से लंबे समय से संबंध हैं. लेकिन प्रदेश संगठन ने पिछले पांच सालों में उन्हें और प्रधानमंत्री को आमने-सामने नहीं होने दिया. उन्हें पीएम से जुड़े किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. परमार का मानना है कि पीएम से उनकी नजदीकी कुछ लोगों को पसंद नहीं आई. वे इससे डरते थे और इसी डर के चलते उन्हें परेशान किया गया.

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