'कोहली परिवार' शिरोमणि अकाली दल(SAD) छोड़कर AAP में शामिल हो गया था. कोहली परिवार का अकाली दल के साथ लगभग सात दशकों का जुड़ाव था. अजीतपाल सिंह कोहली ने शिरोमणि अकाली दल पर निशाना साधते हुए कहा था कि पार्टी अब पहले जैसी नहीं रही. पार्टी के नेताओं की पंजाब के युवाओं के लिए कोई मंशा और रोड मैप या नीति नहीं है.
वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) इस साल ख़ूब चर्चा में रहे थे. पार्टी की अंदरूनी तनातनी के बाद पार्टी हाईकमान ने कैप्टन को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया था. पद से हटाए जाने के बाद वह कांग्रेस के बागी हो गए और फिर उन्होंने अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली. BJP के साथ प्री-पोल अलायंस कर ली, लेकिन ये अलायंस भी काम नहीं आया.
कौन कौन था मुकाबले में?
कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध AAP, कांग्रेस और BJP, तीनों ने ही पूर्व पदाधिकारियों को खड़ा किया था. AAP उम्मीदवार अजीतपाल सिंह कोहली पूर्व मेयर हैं. अजीतपाल के पिता सुरजीत सिंह कोहली और दादा सरदार सिंह कोहली पटियाला से विधायक और अकाली सरकार में मंत्री भी रहे हैं.SAD ने पूर्व पार्षद हरपाल जुनेजा को मैदान में उतारा था, जो एक दशक से ज़्यादा समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं. इस मुकाबले में 9657 वोटों के साथ वे तीसरे स्थान पर रहे.
कांग्रेस ने इस सीट पर एक 'हिंदू' चेहरे को मैदान में उतारा था. विष्णु शर्मा. विष्णु भी मेयर रह चुके हैं. अमरिंदर के 2002-07 के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान विष्णु शर्मा मेयर थे. बाद में वे अकाली दल में शामिल हो गए थे. लेकिन जब अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़ी, तो उन्होंने वापस कांग्रेस जॉइन कर ली. उन्हें 7593 वोट्स मिले हैं.
पूरा नतीजा आप यहां देख सकते हैं:
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स्क्रीनशॉट: भारत निर्वाचन आयोग वेबसाइट
'गढ़' नहीं बचा पाए कैप्टन
-Patiala Urban सीट को कैप्टन अमरिंदर सिंह का पारिवारिक गढ़ माना जाता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह इस साल पांचवीं बार इस सीट से चुनाव लड़े हैं. इससे पहले कैप्टन यहां से लगातार 2002, 2007, 2012 और 2017 में विधायक चुने गए थे.-2014 में अमरिंदर सिंह अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतने के बाद उन्हें अपनी विधानसभा सीट छोड़नी पड़ी थी. सीट पर उपचुनाव हुए तो कैप्टन की पत्नी परनीत कौर इस सीट से जीत गई थीं.
-2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बलबीर सिंह को 52,407 वोट से हराया था. 2017 तक पटियाला अर्बन में चुनाव कांग्रेस के लिए आसान था. कारण, कैप्टन की 300 साल पुरानी पारिवारिक लेगेसी. हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात की आशंका लगा रहे थे कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाहर निकलने और उसके बाद पंजाब लोक कांग्रेस के गठन करने के बाद कैप्टन और कांग्रेस का वोट बैंक विभाजित हो गया होगा.
जमघट: पंजाब चुनाव 2022 से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह का इंटरव्यू