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वो 10 इंडियन फिल्में, जो रिलीज़ हो पाती तो गदर मचा देती

इसमें से एक पिक्चर वीरप्पन पर बन रही थी. कहते हैं जिस दिन शूट शुरू हुआ, उसी दिन वीरप्पन मार दिया गया. वीरप्पन की मौत ही पिक्चर की मौत भी साबित हुई.

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तीन पिक्चरों में सलमान, अमिताभ और आमिर

फिल्में सपने की तरह होती हैं. दर्शक के लिए ऐसा सपना, जो वो जी नहीं सका. फिल्ममेकर के लिए ऐसा सपना, जो वो जीना चाहता है. दूसरों को दिखाना चाहता है. पर कुछ सपने ऐसे रहे; जो देखे गए लेकिन दिखाए न जा सके. या फिर जो बनने के क्रम में कैंसिल हो गए. ऐसी ही कुछ इनकम्प्लीट या अनरिलीज्ड इंडियन मूवीज के बारे में हम आपको बताएंगे. उनका प्रोडक्शन किसी कारणवश पूरा नहीं हुआ. उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. शुरू करते हैं.

1) टाइम मशीन
ये ‘टाइम मशीन’ के सेट की तस्वीर है

'मिस्टर इंडिया' बनाने वाले शेखर कपूर 1992 में एक साइंस फिक्शन फिल्म बना रहे थे, नाम था 'टाइम मशीन'. इसे हॉलीवुड मूवी 'बैक टू फ्यूचर' पर बेस्ड बताया गया. आमिर खान लीड रोल में थे. वो टाइम ट्रैवल के जरिए नाइन्टीज से सिक्सटीज में जाकर अपने पेरेंट्स से मिलते. उनके पेरेंट्स बने थे, नसीरुद्दीन शाह और रेखा. विजय आनंद टाइम मशीन बनाने वाले साइन्टिस्ट की भूमिका में थे. रवीना टंडन, अमरीश पुरी और गुलशन ग्रोवर भी फिल्म का हिस्सा थे. इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी थी. 10-11 रील्स तैयार भी हो चुके थे. कई रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि 'टाइम मशीन' की 80 फीसदी शूटिंग पूरी हो चुकी थी. मगर प्रोड्यूसर्स की पैसों की तंगी की वजह ये फिल्म रुक गई. उन्होंने कहा कि उनके पास जैसे ही पैसे आएंगे, इस फिल्म को पूरा किया जाएगा. मगर तमाम कोशिशों के बावजूद इस प्रोजेक्ट को रिवाइव नहीं किया जा सका. फिर 2008 में हिंदुस्तान टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी. कहा गया, शेखर अपना ड्रीम प्रोजेक्ट रिवाइव करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने UTV से कोई डील भी की है. इस बार रणबीर कपूर आमिर खान वाला रोल करेंगे. पर ऐसा हो न सका. फिल्म अब भी ठंडे बस्ते में ही है. 

2) तालिस्मान

तालिस्मान. अमिताभ बच्चन की एक तिलिस्मी पिक्चर. 2009 के आसपास फिल्म प्लान हुई. विधु विनोद चोपड़ा इसके प्रोड्यूसर थे. 'नीरजा' बनाने वाले राम माधवानी डायरेक्टर थे. इसका डेढ़ मिनट का टीजर भी रिलीज किया गया. योद्धा बने अमिताभ बच्चन युद्धक्षेत्र में खड़े होकर कहते हैं 'नो वॉर'. ये देवकीनंदन खत्री के फेमस नॉवेल 'चंद्रकांता' का अडैप्टेशन थी. बॉलीवुड लाइफ के अनुसार राम माधवानी और स्वानन्द किरकिरे 14 पन्नों का एक ड्राफ्ट भी लिख चुके थे. पर कुछ पैसों की दिक्कत थी. कुछ विधु विनोद चोपड़ा स्क्रिप्ट से संतुष्ट नहीं थे. इसलिए ये पिक्चर टीजर आने बाद भी बन नहीं सकी.

3) दस
'सुनो गौर से दुनिया वालों' गाने में संजय दत्त अरु सलमान

कहते हैं 'दस' मुकुल आनंद का ड्रीम प्रोजेक्ट थी. 1996 के आसपास फिल्म का शूट भी शुरू हो गया था. सलमान खान और संजय दत्त आर्मी ऑफिसर के रोल्स में थे. रवीना टंडन निगेटिव किरदार में थी. शिल्पा शेट्टी और विनोद खन्ना भी फिल्म में अहम भूमिकाएं निभा रहे थे. 'दस' राहुल देव के करियर की डेब्यू फिल्म होने वाली थी. पर मुकुल आनंद की शूट के दौरान ही मौत हो गई. इस कारण पिक्चर आगे बन नहीं सकी. हालांकि इसके म्यूजिक को मुकुल को ट्रिब्यूट देते हुए रिलीज किया गया. 'सुनो गौर से दुनिया वालो' इसी पिक्चर का हिस्सा था. किसी फिल्म में शंकर एहसान लॉय का ये पहला गाना था.

4) आलीशान

अमिताभ बच्चन की एक और फिल्म 'आलीशान' कुछ दिन के शूट के बाद बंद हो गई. 1988 में आई 'शहंशाह' के लिए टीनू आनंद ने डिम्पल कपाड़िया को साइन किया था. कहा जाता है, अमिताभ की आपत्ति के बाद उन्हें फिल्म से हटाकर मीनाक्षी शेषाद्री को ले लिया गया. पर डिम्पल साइनिंग अमाउन्ट वापस करने को तैयार नहीं थीं. टीनू ने उन्हें अमिताभ के साथ दो फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया. एक थी 'महाकाल' और दूसरी थी 'आलीशान'. पर दोनों ही बन नहीं सकीं. 'आलीशान' के न बनने के दो कारण बताए जाते हैं. पहला कि अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर दोनों जन 'मैं आज़ाद हूं' नाम की पिक्चर करने चले गए. दूसरा कारण बताया कि फिल्म की स्टोरी लीक हो गई. इसी वजह से टीनू ने फिल्म रोक दी. हालांकि दोनों ही कारण सिर्फ उड़ती हुई खबरे हैं.

5) लेट्स कैच वीरप्पन

2004 में टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर छपी कि रामगोपाल वर्मा वीरप्पन पर एक फिल्म लिख रहे हैं. ये तीन गांव वालों की कहानी है. वो वीरप्पन को पकड़कर सरकारी ईनाम अपने नाम करना चाहते हैं. फिल्म की शूटिंग अगस्त में शुरू होगी. फिल्म का शूट भी शुरू हुआ. पर अगस्त में नहीं, अक्टूबर में. 'फ़िल्मी कीड़े' नाम की वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जिस रोज़ पिक्चर की शूटिंग का पहला दिन था, उसी दिन वीरप्पन को मार दिया गया. रामगोपाल वर्मा की फिल्म का आइडिया ही वीरप्पन को पकड़ने का था. अब वीरप्पन ही नहीं बचा, तो उसे पकड़ा कैसे जाए. इसलिए फिल्म रोक दी गई.

6) खबरदार

'हक़ीकत' बनाने वाले डायरेक्टर टी. रामाराव 1984 में 'खबरदार' नाम से एक पिक्चर बना रहे थे. ये अमिताभ बच्चन और कमल हासन की पहली फिल्म होने वाली थे. पर 16 रील शूट होने के बाद फिल्म रोक दी गई. इस फिल्म को अमिताभ बच्चन ने बीच में ही छोड़ दिया. कहा गया अमिताभ को कमल हासन का किरदार ज़्यादा मजबूत लग रहा था. स्क्रिप्ट के अनुसार कमल हासन के कैरेक्टर को फिल्म में मरना था. इस वजह से कमल हासन का किरदार लोगों के बीच ज़्यादा पैठ बना लेगा. सारी लाइमलाइट अमिताभ की जगह कमल को मिल जाएगी. इसलिए उन्होंने फिल्म से हाथ खींच लिए. फिल्म छोड़ने के हर्जाने के तौर पर अमिताभ ने रामाराव को उनकी अगली फिल्म के लिए पहले से ही अपना समय दे दिया.

7) लेडीज ओनली

कमल हासन की 1997 के आसपास की एक और पिक्चर, जो रिलीज नहीं हो सकी. नाम था, 'लेडीज ओनली'. इसमें रणधीर कपूर लीड रोल में थे. शिल्पा शिरोड़कर, सीमा बिस्वास, हीरा राजगोपाल ने अहम किरदार निभाए थे. ये तमिल फिल्म Magalir Mattum का हिंदी रीमेक था. हालांकि ये खुद एक अमेरिकन फिल्म 'नाइन टू फाइव' से इंस्पायर्ड थी. दिनेश शैलेन्द्र इसके डायरेक्टर थे. ये एक ही ऑफिस में काम करने वाली तीन औरतों की कहानी है. वो अपने बॉस के शोषण से परेशान होकर उसके मर्डर का प्लान बनाती हैं. कमल हासन इसके प्रोड्यूसर थे. इसके साथ वो फिल्म में डेडबॉडी बने थे. फिल्म किसी कारणवश पूरी नहीं हो सकी.

1976 में ही मिथुन ने ‘मृग्या’ अपना डेब्यू किया था 

8) सरहद

'बॉर्डर' बनाने वाले डायरेक्टर जेपी दत्ता अपनी पहली पिक्चर 'सरहद' नाम से बना रहे थे. ये भारतीय युद्ध बंदियों की कहानी थी. विनोद खन्ना और बिंदिया गोस्वामी लीड रोल्स में थे. ये मिथुन चक्रवर्ती की पहली पिक्चर हो सकती थी. लेकिन फिल्म रिलीज नहीं हो सकी. कहा जाता है फिल्म की शूटिंग भी शुरू हुई थी, लेकिन बीच में प्रोड्यूसर के पैसे खत्म हो गए. फिल्म रोक दी गई.

9) रिश्ता
रिश्ता' के मुहूरत पर अमिताभ बच्चन, आमिर खान और माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म के डायरेक्टर इंदर कुमार.

1995 में इंदर कुमार दो नई फिल्में शुरू करने जा रहे थे. पहली फिल्म थी- 'इश्क'. इसमें आमिर खान, जूही चावला, अजय देवगन और काजोल काम कर रहे थे. दूसरी फिल्म का नाम नहीं तय हुआ था मगर मुहूरत वगैरह हो चुका था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, आमिर खान और माधुरी दीक्षित काम करने वाले थे. मीडिया ने इस फिल्म को 'रिश्ता' नाम दे दिया, जो कि संभवत: इस फिल्म का टेंटेटिव टाइटल था. चर्चा ये थी कि अमिताभ, इंदर कुमार की 'इश्क' में भी एक छोटा सा रोल करने वाले हैं. उनकी आवाज़ में सुदेश भोंसले ने फिल्म का एक गाना 'मिस्टर लोवा लोवा' रिकॉर्ड भी कर लिया था. मगर इंदर को लगने लगा कि वो देश के टॉप स्टार्स को लेकर एक साथ दो फिल्में नहीं बना सकते हैं. इसलिए उन्होंने 'रिश्ता' को होल्ड पर डाल दिया. 'रिश्ता' के शेल्व होने के बाद इंदर ने 'इश्क' से भी अमिताभ बच्चन का गेस्ट अपीयरेंस ड्रॉप कर दिया. 'रिश्ता' के न बनने की असली वजह आमिर खान बताए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि आमिर, अमिताभ बच्चन के सामने अपनी हाइट को लेकर कॉन्शस हो रहे थे. उन्हें लग रहा था कि अमिताभ बच्चन जैसी लंबी-चौड़ी पर्सनैलिटी के सामने वो ठीक नहीं लगेंगे. इसलिए आमिर उनके साथ 'रिश्ता' में काम नहीं करना चाहते थे. और इसी वजह से फिल्म 'इश्क' से भी उनका कैमियो भी हटा दिया गया.

10) चाणक्य

1980 में मशहूर फिल्ममेकर बी.आर. चोपड़ा ने ‘चाणक्य’ की कहानी पर फिल्म बनाने की घोषणा की. इस फिल्म का नाम था ‘चाणक्य चंद्रगुप्त’. फिल्म में चाणक्य का रोल दिलीप कुमार करने वाले थे. धर्मेंद्र को चंद्रगुप्त मौर्य के रोल में कास्ट किया गया था. इन दोनों के अलावा शम्मी कपूर, हेमा मालिनी और परवीन बाबी भी इस फिल्म का हिस्सा थीं. फिल्म को बनाने की सारी तैयारी हो चुकी थी. मगर मेकर्स किसी फाइनेंशियल क्राइसिस का शिकार हो गए. बी.आर. चोपड़ा को मन मसोसकर ये फिल्म बंद करनी पड़ी. इससे जुड़ा एक कमाल का ट्रीविया भी है. चाणक्य की तैयारी के लिए मेकअप आर्टिस्ट पंडारी दादा को लंदन भेजा गया. बेसिकली सारी जुगत इसलिए भिड़ाई जा रही थी, ताकि दिलीप कुमार को बिना बाल के स्क्रीन पर दिखाया जा सके. मगर इसके लिए दिलीप कुमार के बाल साफ करने का ऑप्शन नहीं था. ऐसे में पंडारी दादा लंदन गए. वहां उन्होंने ऐनी स्पीयर्स नाम की मेकअप आर्टिस्ट के साथ मिलकर एक बॉल्ड कैप यानी एक विग डिज़ाइन की. इस विग को दिलीप कुमार पूरी फिल्म में पहनने वाले थे. इससे वो स्क्रीन पर गंजे नज़र आते. बताया जाता है कि उस ज़माने में इस विग को बनाने में लाखों रुपए का खर्च आया था. लेकिन तमाम तैयारी ज़ाया ही गई. 

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