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'कब्ज़ा': क्या है ये कन्नड़ फिल्म, जिसे लोग KGF 3 कह रहे हैं

एक नई कन्नड़ फिल्म का टीज़र आया है, जिसके बाद KGF 3 और KGF रीमेक जैसे शब्द सोशल मीडिया पर घूम रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, जानने के लिए पूरा मामला पढिए.

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KGF की तरह 'कब्ज़ा' को भी दो पार्ट्स में रिलीज़ किया जाएगा.

हाल ही में एक कन्नड़ फिल्म का टीज़र रिलीज हुआ है. फिल्म का नाम है ‘कब्ज़ा’. KGF के फुटप्रिंटस पर चलते हुए ये फिल्म भी एक पैन इंडिया रिलीज़ होने वाली है. जिसे कन्नड़ समेत तमिल, तेलुगु, हिंदी, मलयालम, मराठी और बांग्ला में रिलीज़ किया जाएगा. सात भाषाओं में रिलीज़ होने वाली ये पहली कन्नड़ फिल्म है. 17 सितंबर को फिल्म का टीज़र आया, जिसके बाद ये खबर लिखे जाने तक इसे करीब डेढ़ करोड़ बार यूट्यूब पर देखा जा चुका है. फिल्म की तारीफ हो रही है, इंतज़ार हो रहा है. लेकिन इन सब के बीच एक और बात हो रही है. ‘कब्ज़ा’ को KGF से जोड़ना. 

ट्रेड ऐनलिस्ट तरन आदर्श ने फिल्म का टीज़र अपने ट्विटर पर शेयर किया. जिसके जवाब में एक यूज़र ने लिखा,

KGF की कॉपी पेस्ट. 

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दूसरे ने लिखा,

ऐसा क्यों लग रहा है कि इन्होंने KGF का सामान इस्तेमाल कर के ही ये मूवी बना दी. 

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आगे किसी ने इसे KGF का टीज़र कहा तो किसी ने KGF का रीमेक. 

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एक और यूज़र ने लिखा,

कमाल का टीज़र है. KGF 3 को सिनेमाघरों में देखने का इंतज़ार नहीं कर सकता. 

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दूसरे यूज़र ने लिखा,

फिल्ममेकर्स को KGF के नशे से बाहर आने की ज़रूरत है. हर कोई वैसी फिल्म नहीं बना सकता. फ्रेम्स की तरफ देखो, म्यूज़िक वगैरह सब KGF जैसा है. 

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‘कब्ज़ा’ की तुलना KGF से करनेवालों की तादाद भले ही ज़्यादा थी. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो फिल्म को सपोर्ट कर रहे थे. ऐसे ही एक यूज़र ने लिखा,

एक बार फिर कन्नड़ इंडस्ट्री से कुछ बड़ा निकलने वाला है. इसमें KGF की छाया भले ही है लेकिन फिर भी एकदम नया है. बिल्कुल इंट्रेस्टिंग और ओरिजिनल लग रहा है. 

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‘कब्ज़ा’ की KGF से इतनी तुलना क्यों हो रही है. ये पक्ष समझने से पहले फिल्म के बारे में और इसे बनानेवालों के बारे में समझना होगा. ‘कब्ज़ा’ के टीज़र में कोई भी डायलॉग नहीं. बस विज़ुअल्स की मदद से ही कहानी बताने की कोशिश की गई है. कहानी खुलती है साल 1942 से. आज़ादी के संग्राम की कुछ झलकियां दिखती हैं. फिर कुछ खतरनाक किस्म के लोग भी दिखते हैं. जिनमें से कुछ के कपड़ों को देखकर ‘पीकी ब्लाइंडर्स’ याद आता है. गोलीबारी, खून-खराबा. हर वो एलिमेंट, जो एक गैंगस्टर एक्शन ड्रामा फिल्म में होता है. मेकर्स ने फिल्म की कहानी पर पूरे डिटेल्स रिलीज़ नहीं किए हैं. बस बेसिक जानकारी ही बाहर आई है. जैसे ये फिल्म शुरू होगी महात्मा गांधी को माननेवाले एक स्वतंत्रता सेनानी से. उन पर बुरी तरह हमला होता है और वो इस हमले में मारे जाते हैं. आगे हालात उनके बेटे को माफिया तक ले जाते हैं. जिसकी सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते वो देश का सबसे बड़ा गैंगस्टर बनता है. 

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KGF की सफलता ने ‘कब्ज़ा’ जैसी फिल्मों के लिए रास्ता भी खोला है और फॉर्मूला भी दिया है.  

फिल्म में उपेन्द्र ये गैंगस्टर बने हैं. KGF के बाद से कन्नड़ सिनेमा को फॉलो करने वालों के लिए ये नाम शायद दिमाग में कोई घंटी न बजाए. लेकिन कन्नड़ सिनेमा में उपेन्द्र या कहें तो उप्पी एक बड़ा नाम हैं. दो दशकों से भी ज़्यादा समय से वो कन्नड़ सिनेमा में काम कर रहे हैं. फिल्में बना चुके हैं, लिख चुके हैं और एक्टिंग भी करते हैं. उनकी फिल्मोग्राफी में अधिकतर फिल्में कमर्शियल मसाला फिल्मों से भरी हैं. मैंने हमारी साथी ज़ीशा से पूछा कि अगर किसी नॉर्थ इंडियन को उपेन्द्र का एक लाइन का परिचय देना हो तो कैसे बताएंगे. उन्होंने सोचकर बताया कि उपेन्द्र कन्नड़ सिनेमा के लिए वैसे ही हैं, जैसे हिंदी फिल्मों के लिए सलमान खान. 

उनका इस प्रोजेक्ट से जुड़ना भी ‘कब्ज़ा’ को उसकी स्टार वैल्यू देता है. बाकी फिर उनके साथ किच्चा सुदीप भी हैं. जिन्होंने फिल्म में भार्गव बक्शी नाम का किरदार निभाया है. उपेन्द्र का किरदार एक गैंगस्टर का होगा. वहीं भार्गव बने सुदीप का किरदार उसके लिए मुश्किलें खड़ी करेगा. बताया जा रहा है कि सुदीप का रोल भले ही अहम होगा, पर वो इस फिल्म में सिर्फ कैमियो ही करने वाले हैं. उपेन्द्र और सुदीप के अलावा श्रिया सरन भी लीडिंग किरदारों में से एक निभाएंगी. उनके किरदार का नाम मधुमती बताया गया है और वो एक रानी हैं. फिल्म के डायरेक्टर आर चंद्रू ने मीडिया को बताया था कि ‘कब्ज़ा’ एक काल्पनिक कहानी है. लेकिन उन्होंने असली घटनाओं से  प्रेरणा भी ली है. 

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उपेन्द्र ने फिल्म में लीड रोल किया है. 

प्रकाश राज और हिंदी वाली ‘गजनी’ में विलेन बने प्रदीप रावत भी कास्ट का हिस्सा हैं. मीडिया रिपोर्ट्स ने ‘कब्ज़ा’ से एक और एक्टर को जोड़ा है. उनके मुताबिक मनोज बाजपेयी भी फिल्म में नज़र आएंगे. हालांकि, इस बात का कोई ऑफिशियल कंफर्मेशन नहीं हुआ है. KGF से पहले कन्नड़ सिनेमा की फिल्में इतने बड़े स्केल पर नहीं बनती थीं. KGF की कामयाबी ने कन्नड़ फिल्ममेकर्स के लिए नया रास्ता खोल दिया, साथ ही एक फॉर्मूला भी ईजाद कर के दे दिया. उसकी कामयाबी के एक साल बाद यानी 2019 में ही ‘कब्ज़ा’ पर काम शुरू हो गया. तीन साल बाद अब फिल्म का पूरा काम खत्म हो चुका है. 

‘कब्ज़ा’ के टीज़र में कोई रिलीज़ डेट नहीं बताई गई. हालांकि उपेन्द्र ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि दिसम्बर, 2022 में ही फिल्म को रिलीज़ किया जाएगा. टीज़र इतना लेट इसलिए आया ताकि लोगों में उत्सुकता बनी रहे. उन्होंने KGF से तुलना वाले कमेंट्स पर भी बात की. कहा कि उन्हें गर्व है कि वो कन्नड़ सिनेमा में KGF जैसी ही फिल्म बना रहे हैं. दोनों फिल्मों के बीच की तुलना को टाला नहीं जा सकता. बस रिलीज़ के बाद ही आपको पता चलेगा कि ‘कब्ज़ा’ उससे कितनी अलग फिल्म है. ‘कब्ज़ा’ को KGF से अलग रखकर देखना आसान नहीं. फिल्म का टीज़र पूरी तरह KGF वाली फ़ील लेकर चलता है. दोनों फिल्मों का कलर पैलेट भी बहुत हद तक मिलता-जुलता है. यानी दोनों फिल्मों में एक किस्म के रंग इस्तेमाल हुए हैं.

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बताया जा रहा है कि किच्चा सुदीप का रोल छोटा मगर अहम होगा.  

ये शायद KGF के हिट फॉर्मूला को देखकर किया हो, या मेकर्स की कोई और मंशा रही हो. फिर भी दो नामों की वजह से ‘कब्ज़ा’ बार-बार लोगों को KGF की याद दिलाती रहेगी. पहला है रवि बसरूर का, जिन्होंने KGF के लिए म्यूज़िक दिया. ‘तना री ना रे’ से लेकर ‘सलाम रॉकी भाई’ तक. KGF उनके करियर की ब्रेकथ्रू फिल्म थी. उसकी कामयाबी के बाद उन्होंने और भी इंडस्ट्रीज़ में काम करना शुरू किया. सलमान खान की आने वाली फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ के लिए भी उन्होंने म्यूज़िक दिया है. रवि ही ‘कब्ज़ा’ के भी म्यूज़िक कम्पोज़र हैं.

दूसरा नाम है फिल्म के आर्ट डायरेक्टर जे शिवाकुमार का. शिवाकुमार KGF और ‘कब्ज़ा’ दोनों के आर्ट डायरेक्टर थे. सतही तौर पर समझें तो आर्ट डायरेक्टर का काम होता है फिल्म का सेट तैयार करना. वो कैसा दिखेगा, वहां क्या-क्या चीज़ें होंगी, वो किस धातु की बनी होंगी, ये सब आर्ट डायरेक्टर के ज़िम्मे आता है. KGF से नाराची को याद कीजिए. शिवाकुमार ने फर्स्ट पोस्ट को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने वो दुनिया बनाने के लिए डाक्यूमेंट्री देखी. ये समझने के लिए कि खानों में मजदूर किन हालात में रहते हैं. लोगों से मिले. उसी आधार पर नाराची का लुक तैयार किया. 

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फिल्म इसी साल दिसम्बर में रिलीज़ होगी. 

KGF और ‘कब्ज़ा’ में एक तीसरी समानता भी है. ये दोनों फिल्में दो पार्ट्स के हिसाब से बनाई गई. ‘कब्ज़ा’ की कहानी 1947 से 1984 तक चलेगी. डायरेक्टर आर चंद्रू के मुताबिक इस पूरी कहानी को वो दो पार्ट्स में ही कवर कर पाएंगे.                         

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