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इरफान संग फिल्म न बनाने के सवाल पर करण जौहर बोले: "उनके करियर पर धब्बा नहीं लगाना चाहता था"

करण बताते हैं कि इरफान के निधन के बाद उनके पास कम-से-कम पांच स्क्रिप्ट आईं, जिनको इरफान के अलावा कोई और नहीं कर सकता था.

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इरफान को लेकर फिल्म न बना पाने को करण अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मलाल मानते हैं.

Karan Johar ने कभी Irrfan Khan को लेकर फिल्म क्यों नहीं बनाई? इसका जवाब खुद करण ने दिया है. उनके मुताबिक वो इरफान के सुंदर फिल्म करियर पर धब्बा नहीं लगाना चाहते थे. इरफान ने लीक से हटकर बने दमदार सिनेमा में हमेशा अपनी जगह पाई. फिर चाहे वो ‘मकबूल’ हो, ‘हासिल’ या फिर ‘पान सिंह तोमर’. उन्होंने ऐसी मिर्च-मसाले मुक्त फिल्में ज़रूर की लेकिन उनकी फिल्मोग्राफी में सिर्फ ऐसी ही फिल्में नहीं. वो कमर्शियल फिल्मों में भी उतने ही ढंग से जंचे. 

इरफान पर जर्नलिस्ट शुभ्रा गुप्ता ने Irrfan: A Life in Movies नाम से किताब लिखी है. उसके सिलसिले में वो फिल्ममेकर्स से मिलीं. उनसे इरफान पर अपनी राय मांगी. करण जौहर ने भी इसी किताब में इरफान के बारे में बात की. उन्होंने माना कि वो इरफान को हल्की कमर्शियल फिल्म ऑफर करने वाले डायरेक्टर नहीं बनना चाहते थे. उन्होंने कहा,

मैं उन्हें कुछ भी ऑफर कर पाता, वो उससे कहीं ज़्यादा मज़बूत कलाकार थे. मैं कभी ऐसे स्क्रीनप्ले, फिल्म या ऐसे किसी आइडिया तक नहीं पहुंच पाया, जो उनके साथ न्याय कर पाता. इसी वजह से मैं उनके साथ कभी कोई फिल्म नहीं कर पाया. क्योंकि मैं वो डायरेक्टर नहीं बनना चाहता था, जो उन्हें हल्की फिल्म दे. मैं उनके सुंदर करियर ग्राफ पर धब्बा नहीं बनना चाहता था. 

करण ने किताब में बताया कि वो ‘मकबूल’ में इरफान को देखकर दंग रह गए थे. उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर विशाल भारद्वाज से भी इरफान की तारीफ की. वो कहते हैं कि किसी भी एक्टर में इरफान जैसी सिनेमा की समझ, प्रतिभा और परफॉरमेंस नहीं थी. आगे कहा,

आप कई सारे एक्टर्स को सांचे में डाल सकते हैं. लेकिन इरफान को जनरलाइज़ नहीं कर सकते. उन्हें किसी सांचे में फिट नहीं किया जा सकता. इसकी साफ वजह है कि उनके जैसा कोई दूसरा नहीं था. 

करण जौहर ने अपने करियर की शुरुआत में बड़े स्टार्स के साथ काम किया. उनकी पहली फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में शाहरुख खान, काजोल और रानी मुखर्जी थे. उसके बाद उन्होंने ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कभी अलविदा ना कहना’ और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ जैसी फिल्में बनाईं. सभी बड़े स्टार्स से सजी हुई फिल्में. वो बताते हैं कि उनके पास इतनी समझ नहीं थी कि इरफान जैसे कलाकार को कैसे इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने बातचीत में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कभी उनके पास इरफान के लायक कोई कहानी ही नहीं पहुंची. 

हालांकि इरफान के निधन के बाद उनके पास करीब पांच स्क्रिप्ट आईं, जिनके लिए इरफान बिल्कुल फिट बैठते. इस बारे में उन्होंने बताया,

इरफान के इंतकाल के बाद कम-से-कम मेरी टेबल पर पांच स्क्रिप्ट पहुंची, जो चीख-चीख कर इरफान का नाम कह रही थीं. और आपको पता है कि वो स्क्रिप्ट मेरी टेबल पर अब क्यों पहुंची? क्योंकि अभी वो समय है, जब सिनेमा ऐसे मटीरियल के लिए तैयार है. 

करण जौहर इरफान और श्रीदेवी को कभी डायरेक्ट न कर पाने को अपने ज़िंदगी के सबसे बड़े मलाल में गिनते हैं.  

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