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एक छोटा बाथरूम, 3 आईफोन, और मुक्के चलाते दो लोग, कैसे शूट हुआ 'भोंसले' का क्लाइमैक्स सीन?

मनोज बाजपेयी बताते हैं कि 'भोंसले' फिल्म ने उन्हें वो अवॉर्ड दिलाया, जिसकी वो हमेशा से इज़्ज़त करते आए हैं.

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मनोज बाजपेयी को इस फिल्म के लिए नैशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था.

Manoj Bajpayee और Devashish Makhija की फिल्म Joram फिलहाल दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में घूम रही है. जल्द ही हम सभी को भी देखने को मिलेगी. हालांकि इससे पहले भी इन दोनों लोगों ने साथ मिलकर एक मज़बूत फिल्म बनाई थी. नाम है ‘भोंसले’. सोनी लिव पर देखी जा सकती है. बिहार की ज़मीन से आने वाले मनोज बाजपेयी ने फिल्म में एक रिटायर्ड मराठी हवलदार का किरदार निभाया था. अपने काम के लिए उन्हें नैशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. हाल ही में जब मनोज बाजपेयी लल्लनटॉप न्यूज़रूम में आए तब उन्होंने फिल्म से जुड़ा एक किस्सा साझा किया. कैसे जुगाड़ के ज़रिए एक छोटे से बाथरूम में फिल्म का क्लाइमैक्स शूट किया गया. 

फिल्म के क्लाइमैक्स में होता ये है कि कहानी का विलेन बाथरूम में जाता है. उसके पीछे भोंसले भी बाथरूम में घुस जाता है. मनोज ने आगे बताया,

वास्तविकता में बाथरूम उसी साइज़ का बनाया गया, जैसा फिल्म में दिखता है. ये देवाशीष मखीजा जैसे जो जीनियस फिल्ममेकर हैं, ये एकदम परफेक्शन के साथ काम करते हैं. कि मारपीट होगी तो हम बाथरूम को बड़ा नहीं बनाएंगे. ये क्लाइमैक्स i-Phone पर शूट हुआ. जब सामने वाले का शॉट लेना था तो मेरे माथे पर आईफोन बांध दिया. और जब मेरे शॉट लेने थे, तब सामने वाले के माथे पर बांध दिया. 

मनोज बाजपेयी ने बताया कि इसके अलावा एक कैमरापर्सन ऊपर अलग आईफोन से भी शूट कर रहा था. उन्होंने बताया कि फिल्म की बदौलत ही उन्हें Asia Pacific अवॉर्ड भी मिला. वो अवॉर्ड, जिसकी वो बहुत इज़्ज़त करते हैं. मनोज ने बताया कि ये अवॉर्ड ऑस्ट्रेलिया में होस्ट किया जाता है. और जूरी में शामिल लोग अलग-अलग देशों से होते हैं. उनके साथ इस अवॉर्ड के लिए तुर्की, ईरान, चीन, कोरिया से आए एक्टर नॉमिनेट हुए थे. वो बताते हैं कि इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड की जूरी को कोई खोज नहीं सकता. इसमें नामी डायरेक्टर और एडिटर शामिल होते हैं. बता दें कि देवाशीष मखीजा ‘भोंसले’ से पहले ‘अज्जी’ और ‘ऊंगा’ जैसी बुलंद फिल्में भी बना चुके हैं.

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