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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी से सुनिए द्विअर्थी, C-ग्रेड फिल्में देखने का किस्सा

पिक्चर देखने के बाद नवाज़ के दोस्तों की टोली पुलिया पर बैठकर उस फिल्म पर डिस्कशन करती.

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इंटरव्यू के दौरान नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी. दूसरी तरफ फिल्म 'बदलापुर' के एक सीन फिल्म में देखते नवाज़.

लल्लनटॉप का न्यूज़रूम. गेस्ट थे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी. कमाल की बातें हुईं. आर्ट से लेकर कमर्शियल सिनेमा तक. स्टार्स के टंटों से लेकर नंदिता दास की 'मंटो' तक. ये बातचीत चली घंटों तक. इसी दौरान नवाज़ ने बताया कि वो फिल्में देखने के लिए झूठ बोलते थे. लंबे समय तक C-ग्रेड फिल्मों को चाव से देखा करते थे. जब तक उनका परिचय यूरोपियन-अमेरिका सिनेमा से नहीं हुआ था. 

नवाज़ बताते हैं कि उनके गांव बुढ़ाना में एक कच्चा सिनेमाहॉल हुआ करता था. टीन का. नदी किनारे. वहां अधिकतर C-ग्रेड फिल्में लगा करती थीं. हमनें नवाज़ से पूछा कि ये सी-ग्रेड सिनेमा क्या होता है. उन्होंने बताया-

'' 'जैसे, अंधेरी रात में, दिया तेरे हाथ में' टाइप की फिल्में. ये गंदी फिल्में नहीं होती थीं. बस इनके नाम द्विअर्थी होते थे. एक और फिल्म थी. जिसका नाम था- John Mary Marlo.''

नवाज़ बताते हैं कि इस सिनेमाघर के दो दरवाज़े थे. एक गांव की तरफ खुलता था और दूसरा दरिया की तरफ. दरिया में भैंसे नहाती थीं. इससे जुड़ा एक किस्सा है, जो नवाज़ ने सुनाया. वो बताते हैं कि

''एक बार जीतेंद्र की कोई पिक्चर चल रही थी. क्लोज़ अप सीन आ रहा था. इतनी देर में वहां से एक भैंस गुज़रने लगी. जीतेंद्र के क्लोज़ अप के साथ भैंस की बॉडी दिख रही थी. वो बड़ा अजीब सीन बन गया.''

शायद इस सीन का अटपटापन ही था, जिसकी वजह से ये नवाज़ को याद रह गया. एब्सर्डिज़्म. पिक्चर देखने के बाद दोस्तों की टोली दरिया वाले गेट से बाहर निकलती. पुलिया पर बैठकर उस फिल्म पर डिस्कशन होता. उसके बाद रवानगी होती.

नवाज़ बताते हैं कि उन्होंने इस तरह की फिल्में लंबे समय तक देखीं. ग्रैजुएशन हो गया. बड़ौदा में नौकरी करने लगे. थिएटर भी करते थे. तब भी सी-ग्रेड फिल्में देखने की आदत नहीं छूटी. ये लोग सिनेमाहॉल के बाहर जाकर खड़े हो जाते. जो कोई भी थिएटर से बाहर निकलकर आता, उससे पूछते-

''सीन-वीन है इसमें?''

जब पब्लिक हां में जवाब देती, तब नवाज़ की टोली उस फिल्म का टिकट खरीदती. इसके बाद नवाज़ का एडमिशन NSD यानी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हो गया. NSD पहुंचते ही हालात-जज़्बात सब बदल गए. यूरोपियन-अमेरिकी सिनेमा से वास्ता पड़ा. और ऐसा पड़ा कि आज तक नहीं छूटा. नवाज़ बताते हैं कि इसी वजह से उन्होंने बॉलीवुड फिल्में बहुत कम देखीं.

नवाज़ुद्दीन सिद्दी के साथ 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' का फुल वीडियो आप दी लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पर देख पाएंगे. 

वीडियो देखें: गेस्ट इन द न्यूजरूम: नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बॉयकॉट बॉलीवुड, तीनों खान, 'झूठे' पापा पर क्या बताया?