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"जो फिल्में 10 मिनट नहीं देखी जातीं, उनको OTT वाले मोस्ट वॉच्ड का टाइटल दे देते हैं" - पहलाज निहलानी

पूर्व सेंसर बोर्ड चीफ पहलाज निहलानी का कहना है कि या तो OTT वाले खुद को बेवकूफ बना रहे हैं या लोगों को.

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पहलाज निहलानी ने 'पठान' को लेकर हुई सेंसर बोर्ड वाली कन्ट्रोवर्सी पर भी बात की.

Pathaan की रिलीज़ से पहले Besharam Rang को लेकर बहुत हाय-तौबा मची थी. लोग गाने में दीपिका की बिकीनी के रंग पर लड़ रहे थे. तब मीडिया ने सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी से बात की थी. पहलाज का रवैया फिल्मों में सेंसरशिप को लेकर बहुत सख्त रहता था. हालांकि उन्होंने ‘पठान’ को लेकर कहा कि उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं. और फिल्म के इर्द-गिर्द शोर सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए किया जा रहा है. ‘पठान’ रिलीज़ हो गई. सारा मामला शांत हो गया. उसके बाद अब पहलाज निहलानी ने मीडिया इंटरव्यू दिया है. 

बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू में उन्होंने आज के बदलते सिनेमा पर बात की. कहा कि कैसे OTT वाले लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ बड़े स्टार्स की फिल्में पिट रही हैं, वहीं दूसरी ओर OTT प्लेटफॉर्म दावे कर रहे हैं कि उनकी फिल्मों को करोड़ों लोग देख रहे हैं. उन्होंने इस बारे में कहा,

मुझे नहीं पता कि उन्हें ये आंकड़े मिल कहां से रहे हैं. जो फिल्म 10 मिनट भी देखने का मन नहीं करता, ऐसी फिल्मों को मोस्ट वॉच्ड फिल्म ऑफ द ईयर का टाइटल दिया जाता है. समझ नहीं आता कि ये लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं या अपने आप को. 

सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष बनने से पहले पहलाज निहलानी एक प्रोड्यूसर थे. उन्होंने ‘आंखें’ और ‘शोला और शबनम’ जैसी फिल्मों पर पैसा लगाया. नब्बे के दशक में बनी कई गोविंदा और अक्षय कुमार की फिल्मों में आपको पहलाज निहलानी का नाम मिलेगा. उनसे पूछा गया कि नाइंटीज़ और अब के बॉक्स ऑफिस में क्या फर्क है. उन्होंने ‘पठान’ का एग्ज़ैम्पल देते हुए समझाया कि उस दौर में ऐसी फिल्म आज जैसा ही बिज़नेस करती. उनके मुताबिक ‘पठान’ जैसी फिल्म को नाइंटीज़ में 150 सिनेमाघरों में रिलीज़ किया जाता. फिर भी ये आज के समय जितनी ही कमाई करती. भले ही टिकट की कीमत और स्क्रीन की संख्या ज़्यादा हो. उन्होंने बताया कि नाइंटीज़ में फिल्में सात करोड़ के फुटफॉल पर गर्व करती थीं. जबकि आज ‘पठान’ पांच करोड़ फुटफॉल तक भी नहीं पहुंचेगी. 

फुटफॉल यानी किसी फिल्म की कितनी टिकट बिकीं. निहलानी ने इन सब के अलावा सेंसर बोर्ड में अपने दिनों पर भी बात की. कहा कि उन्होंने संस्था में एक सिस्टम बनाया जिसे अब तक फॉलो किया जा रहा है.              

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