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नेटफ्लिक्स की सीरीज 'स्कूप' के ये 8 कैरेक्टर किन लोगों पर बेस्ड हैं?

दो हॉट-शॉट पुलिस अफसर, चार बड़े पत्रकार, आतकंवाद की आरोपी रहीं एक साध्वी और एक हार्ड कोर क्रिमिनल. सबके असली नाम-काम जान लीजिए. एक पुलिस अफसर ने बाद में खुद को गोली मार ली थी.

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तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रही जिग्ना की ज़िन्दगी उस दिन बदल जाती है जब उसके एक साथी पत्रकार की हत्या कर दी जाती है.

नेटफ्लिक्स पर एक वेब सीरीज़ आई है, ‘स्कूप’. इस शब्द के अर्थ पर जाएं, तो इसके कई मतलब होते हैं. लेकिन यहां पर स्कूप का मतलब है सनसनीखेज़ खबर निकालना यानी ब्रेकिंग न्यूज़. खबरों की दुनिया में ये शब्द बहुत आम है. ये सीरीज़ जिग्ना वोरा की किताब ‘Behind the Bars in Byculla: My Days in Prison’ पर आधारित है. सीरीज़ बनाई है हंसल मेहता और मृण्मयी लागू वैकुल ने. कहानी है एक क्राइम जर्नलिस्ट जागृति पाठक की. महिलाओं के लिए कम सुरक्षित मानी जाने वाली क्राइम रिपोर्टिंग बीट में जागृति के उत्थान और पतन की कहानी है ये सीरीज़. ये फिल्म एक रियल लाइफ इवेंट पर आधारित है, जिसके किरदार भी रियल लाइफ से इंस्पायर्ड हैं. सीरीज़ में इनके नाम बदल दिए गए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि स्क्रीन पर दिखे ये किरदार आखिर कौन हैं?

#1. जागृति पाठक 
स्कूप में करिश्मा तन्ना लीड रोल में हैं. उनका किरदार पत्रकार जिग्ना वोरा से इंस्पायर्ड है. नाम बदल कर जागृति पाठक कर दिया गया है. जिग्ना पर सीनियर क्राइम जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे की हत्या का आरोप लगा था. ये घटना जून 2011 की है. उस वक़्त जिग्ना 'द एशियन एज' में काम कर रही थीं. इस केस ने उनके जर्नलिज्म करियर को ख़त्म कर दिया. उन पर आरोप थे कि उन्होंने जे डे की डिटेल्स माफिया डॉन छोटा राजन को सौंपी. ATS ने उन पर मकोका लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया था. जिग्ना ने तकरीबन नौ महीने जेल में काटे. 2018 में उन्हें कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. जिग्ना आज कल टैरो कार्ड रीडर और लेखिका हैं. अपने जेल के दिनों पर आधारित एक किताब भी लिखी उन्होंने, जिसका नाम हम आपको शुरू में बता चुके हैं. 

#2. जयदेब सेन 
'स्कूप' में जागृति पाठक को सीनियर जर्नलिस्ट जयदेब सेन के मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है. जयदेब सेन का किरदार प्रोसेनजीत चटर्जी ने निभाया है. ये किरदार सीनियर क्राइम जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे पर आधारित है, जिन्हें सब जे डे कहते थे. जे डे की 2011 में मुंबई के पवई में हीरानंदानी गार्डन्स के पास हत्या कर दी गई. इसकी ज़िम्मेदारी छोटा राजन ने ली. कहा गया कि अपने खिलाफ लिखे कुछ आर्टिकल्स की वजह से छोटा राजन उनसे खफा था. मई 2018 में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने छोटा राजन के साथ 7 और लोगों को दोषी ठहराया. छोटा राजन को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई.

#3. इमरान सिद्दीकी
'स्कूप' में जागृति का बॉस है इमरान सिद्दीकी. जिस न्यूज़पेपर में जागृति काम कर रही होती है, उसका रेजिडेंट एडिटर-इन-चीफ. ये किरदार इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट रह चुके एस हुसैन ज़ैदी से इंस्पायर्ड है. इस पूरी घटना के समय हुसैन 'द एशियन एज' में बतौर रेजिडेंट एडिटर-इन-चीफ काम कर रहे थे. ज़ैदी ने मुंबई माफिया वर्ल्ड पर कई किताबें लिखीं. ‘डोंगरी टू दुबई’, ‘सिक्स डिकेड्स ऑफ द मुंबई माफिया’, ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘माई नेम इज अबू सलेम’ और ‘मुंबई एवेंजर्स’ उनकी कुछ फेमस किताबें हैं. फिल्म में ये किरदार ज़ीशान अय्यूब ने निभाया है.

#4. JCP श्रॉफ 
'स्कूप' में आपने देखा होगा कि जागृति अपनी खबर कन्फर्म करने के लिए अक्सर JCP श्रॉफ से मिलती है. श्रॉफ के मन में जागृति के लिए सॉफ्ट कॉर्नर है. जब जागृति इस मर्डर केस में फंसती है, तो श्रॉफ उसकी कोई मदद करने के बजाय उसे फंसा देता है. सीरीज़ में ये कैरेक्टर प्ले किया है हरमन बावेजा ने. हरमन का ये किरदार सीनियर आईपीएस हिमांशु रॉय से इंस्पायर्ड है. 2011 में जब जिग्ना वोरा केस की इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, उस समय हिमांशु रॉय मुंबई पुलिस में जॉइंट कमिश्नर थे. बाद में रॉय एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क नाम से मशहूर हुए. 2018 में हिमांशु रॉय ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी. उन्हें कैंसर हो गया था और वो काफी समय से डिप्रेशन में थे. एक दिन वो सुबह उठे और उन्होंने अपना पसंदीदा खाना बनाने को कहा. खाना खा कर वो अपने कमरे में गए, एक लेटर लिखा और खुद को गोली मार ली.

#5. लीना प्रधान 
जागृति 'ईस्टर्न एज' नाम के अखबार में काम करती है, लेकिन इससे पहले वो 'सिटी मिरर' में काम करती थीं. 'सिटी मिरर' की एडिटर इन चीफ थीं लीना प्रधान. लीना प्रधान का किरदार सीनियर जर्नलिस्ट मीनल बघेल से प्रेरित है. 2011 में जब जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे की हत्या हुई, उस समय मीनल 'मुंबई मिरर' नाम के न्यूज़पेपर की एडिटर थीं. अभी मीनल हिन्दुस्तान टाइम्स में एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं. उनकी एक किताब भी छप चुकी है. जिसका नाम है 'डेथ इन मुंबई'. ये किताब फेमस मारिया सुसाइराज केस पर आधारित है.

#6. ADGP रमेश मलिक  
'स्कूप' में दिखाया गया ADGP रमेश मलिक का किरदार पूर्व आईपीएस ऑफिसर राकेश मारिया पर आधारित है. साल 1993 में मुंबई बम धमाकों की जांच के दौरान संजय दत्त का नाम आया था. उन्हें राकेश मारिया ने ही मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ़्तार किया था. 2008 में हुए मुंबई हमलों की जांच की ज़िम्मेदारी भी राकेश मारिया को दी गई थी. उन्होंने इस मामले में पकड़े गए अजमल कसाब से पूछताछ की थी. ‘Black Friday’ और ‘The Attacks of 26/11’ जैसी फिल्मों में भी मारिया से प्रेरित किरदार निभाए जा चुके हैं

#7. रंभा मां 
जिस समय जागृति पाठक सेन दादा की हत्या के आरोप में जेल में बंद होती है, उसी समय वहां एक और महिला सज़ा काट रही होती है. इस महिला की मर्ज़ी के बिना जेल के अन्दर एक पत्ता तक नहीं हिलता. नाम है रंभा मां. ये किरदार हार्ड कोर क्रिमिनल जया छेड़ा पर आधारित है. जेल में सब उन्हें जया मां कहा करते थे. जया मुंबई के मटका किंग सुरेश भगत की पत्नी थीं. 3000 करोड़ के बिज़नेस के मालिक सुरेश भगत की 2008 में एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. एक ट्रक सुरेश की कार को रौंद के चला गया था. सुरेश की मौत के बाद जया ने मटके का कारोबार संभाला और उन्हें मटका क्वीन कहा जाने लगा. 2013 में जया को सुरेश की हत्या का दोषी ठहराया गया और उसे आजीवन कारावास की सज़ा हुई. 2018 में उसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने मेडिकल वजहों से ज़मानत दे दी.

#8. शारदा मां 
शो में दिखाया गया है कि जेल में जागृति को एक साध्वी मिलती हैं, जो उसके प्रति सहानुभूति दिखाती हैं. ज़ाहिर सी बात है अपने फायदे के लिए. शारदा मां का किरदार निभाया है शिखा तलसानिया ने. ये कैरेक्टर इंस्पायर्ड है साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से. प्रज्ञा ठाकुर उस वक्त मालेगांव बॉम्ब ब्लास्ट के आरोप में भायखला जेल में बंद थीं. जेल में जिग्ना वोरा की प्रज्ञा ठाकुर से कई मुलाकातें हुईं. अपनी किताब में जिग्ना वोरा ने साध्वी प्रज्ञा पर बहुत विस्तार से लिखा है. 

 

वीडियो: सीरीज़ रिव्यू- कैसी है 'स्कूप'