Shah Rukh Khan और Juhi Chawla की फिल्म Raju Ban Gaya Gentleman ने अपनी रिलीज़ के 31 साल पूरे कर लिए हैं. इसे अज़ीज़ मिर्ज़ा ने बनाया था. शाहरुख के दोस्त और प्रोड्यूसर विवेक वासवानी ने फिल्म को प्रोड्यूस किया था. उन्होंने इसके अलावा ‘पत्थर के फूल’ जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं. हाल ही में बॉलीवुड हंगामा ने ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ को लेकर विवेक वासवानी से बात की.
विवेक से पूछा गया कि 31 साल बाद भी लोग ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ को याद करते हैं. उनके मुताबिक फिल्म के लिए क्या काम कर गया! उन्होंने लंबा-चौड़ा जवाब दिया,
वो एक अच्छी फिल्म है. ये सुनने में बहुत अजीब लगेगा लेकिन हमारे दिनों में हम खुशनुमा फिल्में बनाते थे. ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ एक हैप्पी फिल्म है. हमारे दिनों में हम ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्में बनाते थे. अमिताभ बच्चन की ‘डॉन’ भी एक पिता और उसके अपने दो बच्चों के प्रति प्रेम की कहानी है. हमारी सभी फिल्मों में खुशी और प्यार का एलीमेंट हुआ करता था.
आजकल हम दुख, नफरत और गुस्से के बारे में फिल्में बना रहे हैं. किंग ऑफ रोमांस शाहरुख खान भी ‘पठान’ और ‘जवान’ कर रहे हैं. मैं ये मना नहीं कर रहा हूं कि इन फिल्मों में प्यार का एलीमेंट नहीं है. लेकिन वो उन फिल्मों का प्राइम फैक्टर नहीं. मैंने इस ट्रेंड को बदलते हुए देखा है. जब ‘दूल्हा मिल गया’ नहीं चली तो मैं समझ गया था कि ये अंत की शुरुआत है. अब हम ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरला स्टोरी’ जैसी फिल्में देखना चाहते हैं. शॉर्ट में कहें तो हम वो फिल्में देखना चाहते हैं, जहां लोगों से नफरत की जा रही हो. हम स्क्रीन पर नफरत देखना चाहते हैं. या वास्तविकता में ऐसा नहीं है. फिल्ममेकर्स को लगता है कि हम ऐसी फिल्में देखना चाहते हैं. जब आज के समय लोग टीवी या डिजिटल पर ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ देखते हैं तो उन्हें खुशी मिलती है. वो आपको ऐसी प्यार और करुणा की फीलिंग देती है, जो ‘द कश्मीर फाइल्स’ नहीं देती.
विवेक ने आगे कहा कि वो ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर निशाना नहीं साध रहे. उनका कहना है कि ऐसी फिल्में बनाने का अब ट्रेंड हो चला है. उनका कहना था कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ के 200 करोड़ कमाने का मतलब है कि ऑडियंस को भी इस नफरत से कोई दिक्कत नहीं. उन्होंने कहा कि उनकी तमाम फिल्में नफरत की जगह प्यार के बारे में रही हैं.