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'कबीर सिंह' को मुंहतोड़ जवाब देने वाली फिल्म 'थप्पड़' का ट्रेलर आ गया है, और क्या ज़ोरदार आया है

'थप्पड़' के लिए इस मूवी के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर ने अपना नाम क्यूं बदल लिया?

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थप्पड़ के 31 जनवरी को रिलीज़ हुए ट्रेलर के कुछ स्क्रीन ग्रैब्स.
उस एक थप्पड़ से मुझे वो सारी अनफेयर चीज़ें साफ-साफ दिखने लग गईं, जिन्हें मैं अनदेखा करके मूव ऑन करती जा रही थी.
- ये है थप्पड़ मूवी का एक डायलॉग. जिसे मूवी के ट्रेलर में भी जगह मिली है. ट्रेलर जो 31 जनवरी को ठीक 12 बजे दिन में रिलीज़ हुआ है.
लोग कह रहे हैं कि ये मूवी 'कबीर सिंह' का जवाब है.
और ये उस मूवी से शुरू हुए डिस्कशन और आर्ग्यूमेंट्स को एक पूर्ण विराम देती है. ये बात तो तभी पूरी तरह से साफ़ हो पाएगी, जब मूवी रिलीज़ होगी. लेकिन ट्रेलर से भी कई ऐसी चीज़ें पता चलती हैं जो काफी हद तक इसी ओर इशारा करती हैं.
चलिए ट्रेलर रिलीज़ के मौके पर 'थप्पड़' से जुड़े 5 पॉइंट्स आपको बताते हैं. इनमें कुछ ऐसी बातें भी हैं जो या तो ट्रेलर में नहीं हैं, या जिनपर गौर से देखने पर ही ध्यान जाता है.
# 1) मूवी की कहानी-
थप्पड़ की कहानी एक रियल इंसिडेंट पर बेस्ड बताई जा रही है. एक कोर्ट रूम फैमली ड्रामा जो स्त्री अधिकारों की पुरज़ोर वक़ालत करती है. मूवी की स्टोरी को एक शब्द में कहना हो, तो वो शब्द 'थप्पड़' ही होगा. यूं मूवी का नाम बड़ा सटीक रखा गया है. लेकिन ये मूवी थप्पड़ की नहीं थप्पड़ के बाद की गूंज की बात करती है.
एक घरेलू औरत, जिसके लिए अपने पति की सक्सेस ही उसकी सक्सेस है. जिसका खुद का अस्तित्व पति से शुरू होकर, पति पर खत्म होता है. फिर एक सामन्य से दिन में उसका पति एक 'सामान्य' सी हरकत कर देता है. उसे थप्पड़ मार देता है.
'कबीर सिंह' के एक सीन में शाहिद और कियारा. इसे फिल्म का सबसे विवादित सीन माना गया था. क्योंकि इस सीन में लड़का लड़की को थप्पड़ मारकर और बेइज्ज़ती करके चला जाता है. बावजूद लड़की रो-रोकर उसे रोकने की कोशिश करती है. 'कबीर सिंह' के एक सीन में शाहिद और कियारा. इसे फिल्म का सबसे विवादित सीन माना गया था. क्योंकि इस सीन में लड़का लड़की को थप्पड़ मारकर और बेइज्ज़ती करके चला जाता है. बावजूद लड़की रो-रोकर उसे रोकने की कोशिश करती है.


समाज की नज़रों का ये 'सामान्य', उस घरेलू औरत की नज़र में एक बहुत बड़ी बात है. इसलिए उसे अपने पति से ही नहीं पूरे समाज से लड़ना पड़ जाता है. और यूं इस मूवी का स्पेक्ट्रम एक व्यक्ति, एक परिवार से, एक समाज तक फैल जाता है. बार-बार खबरों की सुर्खियां बनता और उससे ज़्यादा बार घर में ही दब जाता घरेलू हिंसा वाला मुद्दा, इस मूवी के बाद कुंवर नारायण की कविता को कोट करते हुए कहेगा-
अबकी बार लौटा तो, वृहत्तर लौटूंगा.
# 2) ट्रेलर कैसा है-
ट्रेलर शुरू होता है एक सवाल से-
तुम घर क्यूं नहीं जाना चाहतीं? सच क्या है? उसके परिवार से दिक्कत है? उसका कोई अफेयर चल रहा है? आपका कोई अफेयर चल रहा है? तो 'सिर्फ एक' थप्पड़?
मतलब ये कि, गांव, कस्बा या कम पढ़े लिखे लोगों को तो छोड़िए, एक वकील को भी विश्वास नहीं होता है कि कोई औरत 'सिर्फ एक' थप्पड़ के चलते अपना घर छोड़ कर चली आई. ट्रेलर यहां से शुरू होकर मूवी के उन-उन हिस्सों को जोड़कर चलता है, जिससे 'सिर्फ एक थप्पड़' में से 'सिर्फ एक' धुंधला पड़ने लगता है. जिससे पता लगता है कि ये मूवी समाज के एक 'नॉर्म', एक 'सामान्य' पर उंगली रखकर उसके पीछे की सारी परतों को उधेड़ कर उसे 'असामान्य' और 'अस्वीकार्य' बना देने वाली है.
तापसी पन्नू का किरदार जो ट्रेलर के शुरू में गुलज़ार के लिखे एक गीत का मूर्त रूप है-
सूरज से पहले जगाएंगे, और अख़बार की सब सुर्खियां हम गुनगुनाएंगे पेश करेंगे गर्म चाय फिर कोई खबर आई न पसंद तो एंड बदल देंगे

लेकिन फिर ये किरदार 'सेल्फ डाउट' फेज़ से होते हुए, ट्रेलर के अंत तक एक मज़बूत और सशक्त किरदार बन जाता है.
ट्रेलर के डायलॉग्स खास तौर पर कोट किए जाने योग्य हैं. इसलिए नहीं कि ये सिर्फ लिखे अच्छे गए हैं. बल्कि इसलिए भी कि इनकी सिचुएशन और इंटेंसिटी बड़ी मारक है-
# जैसे, 'आई डॉन्ट लव यू' सा सामान्य सा डायलॉग.
# जैसे, वकील के 'सिर्फ एक थप्पड़?' वाले सवाल पर तापसी के किरदार का कहना, 'सिर्फ एक थप्पड़. लेकिन... नहीं मार सकता.'
# जैसे, 'जाने दे बेटा, थोड़ा बर्दाश्त करना सीखना चाहिए औरतों को', सरीखी लिजलिजी सीख.
# और कुछ वन लाइनर्स टाइप के डायलॉग्स. जैसे, 'जोड़ के रखनी पड़े कोई चीज़, तो मतलब वो टूटी हुई है.'
# और कुछ दार्शनिक सी बातें, 'हम तो हमेशा सही सोचकर करते हैं, और कई बार सही करने का रिज़ल्ट हैप्पी नहीं होता.' 

# 3) कौन-कौन काम कर रहा है-
तापसी पन्नू. हालिया उन्होंने सामयिक विषयों पर, सामजिक मुद्दों पर बनीं खूब फिल्मों में काम किया है. उनके आने वाले प्रोजेक्ट्स भी कुछ ऐसे ही हैं. अनुभव सिन्हा के साथ उनकी पिछली मूवी 'मुल्क' थी. वो भी काफी पसंद की गई थी. उनकी पिछली मूवी अनुराग कश्यप कैंप की,'सांड की आंख' थी, जो तुषार हीरानंदानी ने डायरेक्ट की थी.
तापसी पन्नू के अपोज़िट में हैं पावेल गुलाटी. पावेल का भी इस मूवी से पहले वाला प्रोजेक्ट अनुराग कश्यप से जुड़ा था. उन्होंने चार डायरेक्टर्स की मूवी 'घोस्ट स्टोरीज़' में अनुराग कश्यप वाले सेगमेंट में एक्ट किया था. इससे पहले वो कुछ मिनी सीरीज़ और वेब सीरीज़ में छोटे मोटे रोल्स करते हुए दिखे थे. यूं ये पावेल की पहली मूवी होगी जो बड़े पर्दे पर रिलीज़ होगी.
मूवी में दिया मिर्ज़ा भी हैं. और इस बात का पता तभी चल गया था जब उन्होंने शूटिंग खत्म होने के बाद क्रू की महिला सदस्यों की एक ग्रुप फोटो ट्वीट की थी. इन तीनों के अलावा ट्रेलर में तन्वी आज़मी, कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह और मानव कौल की भी एक दो झलकियां देखने को मिलती हैं.
# 4) किन्होंने बनाई है-
इस मूवी को डायरेक्ट किया है अनुभव सुशीला सिन्हा ने. जिन्हें हम लोग इस मूवी से पहले अनुभव सिन्हा के नाम से जानते आए हैं. इस मूवी में उन्होंने अपना नाम बदला है. बदला है कहना ग़लत होगा. दरअसल उन्होंने अपनी मां, सुशीला का नाम भी अपने नाम के साथ जोड़ा है. महिला हितों पर बात करती इस मूवी में डायरेक्टर के आगे 'अनुभव सुशीला सिन्हा' लिखा देखना सुखद आश्चर्य है. लेकिन केवल उनका ही नहीं, 'थप्पड़' के प्रोड्यूसर और टी सीरीज़ के मालिक का नाम भी इस मूवी के लिए 'भूषण कृष्णा कुमार' कर दिया गया है.
कल आए थप्पड़ के पोस्टर में आप प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के नाम पढ़ सकते हैं. कल आए थप्पड़ के पोस्टर में आप प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के नाम पढ़ सकते हैं.


जिस तरह बी आर चोपड़ा सामजिक संदेश देने वाली मूवीज़ के लिए विख्यात थे, वही हाल इन दिनों अनुभव सुशीला सिन्हा का भी कहा जा सकता है. इससे पहले, 'आर्टिकल 15' जहां दलित विमर्श था, 'मुल्क' में जहां अल्पसंख्यकों की बात थी, वहीं थप्पड़ 'स्त्री विमर्श' की बात करती है.
# 5) कब आ रही है-
कुछ दिनों से तापसी का इंस्टाग्राम एकाउंट काफी हैपनिंग हो रक्खा है. 29 जनवरी को उनकी 2021 में आने वाली मूवी 'शाबाश मिट्ठू' का फर्स्ट लुक
आया था. उसके अगले दिन ही 'थप्पड़' का फर्स्ट लुक पोस्टर आया. और उसके अगले के अगले दिन, यानी 31 जनवरी को 'थप्पड़' का ट्रेलर आ गया. ये मूवी पहले 06 मार्च, 2020 को रिलीज़ होने वाली थी. लेकिन अब ये एक हफ्ते पहले 28 फरवरी, 2020 को रिलीज़ होगी. 08 मार्च को इंटरनेशनल विमेन्स डे होता है, इसलिए मूवी पहले उस हफ्ते रिलीज़ होने वाली थी. लेकिन फिर जब तापसी ने अपने ट्विटर अकाउंट से नई डेट्स के बारे में जानकारी दी थी तो, अनुभव सिन्हा ने इसपर आश्चर्य जताया था. हो सकता है कि ये एक मज़ाक ही हो, लेकिन उन्होंने कहा था-
अरे यार! 28 फरवरी? मुझे किसी ने नहीं बताया. चल ठीक है फिर.



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