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जब एक लाश के साथ पूरी रात सोते रहे पीयूष मिश्रा!

"सुबह उठते ही मेरी नज़र उसकी शक्ल पर पड़ी. रातभर मैं एक लाश के साथ सो रहा था."

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पीयूष मिश्रा ने बताया कि पटरी पर सोने के लिए पांच रुपए देने पड़ते और फुटपाथ के लिए 10 रुपए. फोटो - स्क्रीनशॉट

पीयूष मिश्रा की किताब ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ आई है. उसी के सिलसिले में वो हाल ही में लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में बतौर गेस्ट आए थे. Guest in The Newsroom में उन्होंने अपनी फिल्मों पर, किताबों पर, संगीत और अपने जीवन पर बात की. अपनी लाइफ के एक डार्क इंसीडेंट को याद किया. जब वो पूरी रात मुंबई शहर की एक पटरी पर एक लाश के बगल में सोए. लेट एटीज़ में पीयूष मिश्रा दिल्ली को पीछे छोड़कर मुंबई आ गए. स्ट्रगल करने के लिए. पैसे खत्म होते जा रहे थे. लेकिन शराब की तलब जस-की-तस बनी हुई थी. 

पीयूष बताते हैं कि उन्हें Alcoholism का रोग लग चुका था. एक दिन वो शराब पीकर निकले. मकान मालिक के पास पहुंचे. वहां जमकर झगड़ा किया. उससे कहा कि सुबह 11 बजे तक रहने दो. उसके बाद तुम्हारा कमरा खाली कर दूंगा. छत छिन जाने के बाद उनको अपना अगला ठिकाना मिला – दादर. पीयूष दादर के बारे में बताते हैं,

दादर में सोने की बड़ी अजीब व्यवस्था थी. पटरी थी और उससे एक फुट ऊपर फुटपाथ. पटरी पर सोने के पांच रुपए लगते थे और फुटपाथ के लिए 10 रुपए. वो भेद इसलिए था कि पटरी पर से गाड़ी गुज़र सकती है. 

पीयूष ने फुटपाथ पर सोना चुना. वो बताते हैं कि हर रात एक ‘भाई’ आता. लात मारकर सोते हुए लोगों को उठाता. सोते वक्त लोगों को अपने हाथ में पैसे रखने पड़ते. जैसे ही वो लात मारता तभी उसे पैसे देने होते. पीयूष रोज़ हाथ में 10 रुपए लेकर सोते. वहां एक और शख्स था जिसे सब ‘सींकिया’ कहते. वो स्मैक एडिक्ट था. स्मैक की वजह से उसका शरीर खोखला पड़ चुका था. वो पीयूष मिश्रा के सामने रोता. कहता कि खाना छोड़ सकता हूं लेकिन स्मैक नहीं. पीयूष आगे बताते हैं,

एक रात वो बहुत ज़्यादा स्मैक मारकर आया. उसके पास एक चादर थी. मैंने थोड़ी चादर ली. चादर ओढ़कर हम दोनों सो गए. सुबह उठते ही मेरी नज़र सबसे पहले उसके चेहरे पर पड़ी. मालूम चला कि ये आदमी मर चुका है. रातभर मैं एक लाश के साथ में सोता रहा था. 

पीयूष बताते हैं कि ये देखकर उनका दम निकल गया. उसके बाद तुरंत उन्होंने मुंबई छोड़ने का फैसला कर डाला. पीयूष दिल्ली लौट आए.

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