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35 पैसे वाला रेलवे इंश्योरेंस ले तो लिया, मगर बाद में ये गलती घरवालों को दौड़ा देगी!

ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद ये जान लेना चाहिए. ऑनलाइन टिकट लेते वक्त हर आदमी इस काम को हलके में लेता है...

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IRCTC पर टिकट बुक करते समय इंश्योरेंस चुनने वालों को 10 लाख रुपये तक का रकम मिल सकता है.

IRCTC पर टिकट बुक करते समय सारी डिटेल्स भरने के बाद एक ऑप्शन आता है. जिसे हम-आप बड़ा हलके में लेते हैं. ऑप्शन "ट्रैवल इंश्योरेंस' चुनने का. जो भले लोग ‘हां’ चुनते हैं, उनको टिकट बुक करते ही SMS और ईमेल पर इंश्योरेंस की जानकारी आ जाती है. जो नहीं चुनते, वो 35 पैसे बचाकर खुद को ही रिस्क में डाल रहे हैं. इसका बड़ा उदाहरण तो ओडिशा में हुआ ट्रेन हादसा ही है. 35 पैसे खर्च करके दुर्घटना होने पर आपको 10,000 से लेकर 10 लाख रुपये तक का सुरक्षा कवर मिल जाता है. नहीं किया तो कुछ नहीं. तो चलिए आपको समझाते हैं कि -

1. इस इंश्योरेंस को लेते वक्त आप कौन सी गलतियां करते हैं. 

2. पॉलिसी को चुनने का सही तरीका क्या है? 

3. किसी अप्रिय घटना के समय बीमा की रकम कहां और कैसे क्लेम की जाती है?

पहले उनकी बात जो 35 पैसे वाला इंश्योरेंस लेते हैं. उनको तुरंत SMS और ईमेल पर इंश्योरेंस की जानकारी आ जाती है. मैसेज में ट्रैवल इंश्योरेंस देने वाली कंपनी का नाम, इंश्योरेंस सर्टिफिकेट नंबर जैसी जानकारी लिखी होती है. मैसेज में ही नीचे एक लिंक दिया होता है, जिसके जरिए यात्री नॉमिनी का नाम भी अपडेट कर सकते हैं. उसी मेल में कंपनी हेल्पलाइन नंबर भी देती है. बीमा से जुड़े किसी सवाल का जवाब इन नंबरों पर फोन करके पता कर सकते हैं. पर ये सब बहुत कम लोग करते हैं. ज्यादातर लोग तो इंश्योरेंस लेकर ही फुर्सत पा जाते हैं. मेल और SMS चेक ही नहीं करते. जान लें कि ऐसा करना बाद में भारी पड़ सकता है.

बीमा से जुड़ी परेशानियों में मदद करने वाले एक प्लेटफॉर्म इंश्योरेंस समाधान के जनरल मैनेजर चिराग निहलानी ने लल्लनटॉप को बताया कि कई बार ऐसा होता है कि 35 पैसे खर्च करके बीमा कवर तो ले लेते हैं, लेकिन घर के सदस्यों को इस कवर के बारे में जानकारी नहीं देते. ऐसे में जानकारी के अभाव में लोग बीमा क्लेम नहीं कर पाते हैं. लोग नॉमिनी भी नहीं भरते हैं, जिससे बाद में दौड़ भाग भी बढ़ जाती है.

ऐसे चेक करें बीमा कवर लिया है या नहीं?

चिराग बताते हैं कि ट्रेन सफर करते समय अगर यात्री की मौत हो जाती है या कोई बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है. इस हालत में ये बीमा कवर बेहद काम आता है. अब सवाल कि इसे चेक कैसे किया जाए? तो परिवार के करीबी लोग यात्री की मेल आईडी पर इसे चेक कर सकते हैं. यहां पता चल जाएगा कि उन्होंने टिकट के साथ बीमा वाले ऑप्शन को चुना था या नहीं. 

अगर वहां जानकारी नहीं मिलती है तो IRCTC के हेल्पलाइन नंबर 139 पर फोन कर सकते हैं. हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजन IRCTC के साथ पीएनआर नंबर साझा करके ये जानकारी मालूम कर सकते हैं. अगर पीएनआर नहीं है तो पीड़ित का रजिस्टर्ड नंबर भी चेक कर सकते हैं. 

IRCTC के बीमा की खास बातें 

IRCTC ने इंश्योरेंस सुविधा के लिए दो कंपनियों के साथ साझेदारी कर रखी है. एक कंपनी का नाम SBI जनरल इंश्योरेंस और दूसरी कंपनी लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड है. अब जानते हैं कि किन स्थितियों में बीमा का क्लेम किया जा सकता है. IRCTC की बेवसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 5 स्थितियों में इस बीमा का पैसा लिया जा सकता है.  

1-सफर के दौरान मौत होने पर 

2-स्थायी आंशिक विकलांगता पर 

3-स्थायी पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 

4- गंभीर चोटों की वजह से अस्पताल में भर्ती होने पर 

5-अगर यात्री की मौत होगी और उनकी डेडबॉडी मिली है तो उसे भेजने के लिए भी बीमा कवर मिलता है

कैसे करें बीमा क्लेम?

पीड़ित या उसके नॉमिनी को या कानूनी वारिस को क्लेम फॉर्म के मुताबिक लिखित में इंश्योरेंस कंपनी के नजदीकी कार्यालय में क्लेम के लिए आवेदन करना होगा. यह आवेदन हादसे वाले दिन के 4 महीने के अंदर पहुंच जाना चाहिए. उसके बाद आवेदन मान्य नहीं होगा. बीमा के लिए दावा करते समय सभी जरूरी जानकारियां, सबूत, सर्टिफिकेट देने होंगे. दावा करने वाले को पॉलिसी के सबूत भी देने होंगे. आपको बता दें कि मृत्यु ही स्थिति में यात्री ने जिसे नॉमिनी बनाया है, उसे क्लेम के पैसे मिलेंगे. अगर नॉमिनी ना हो तो कानूनी वारिस को क्लेम के पैसे दिए जाएंगे.

मौत होने पर दावा करने के लिए ये कागज जरूरी

1-रेलवे अथॉरिटी की तरफ से ट्रेन एक्सीडेंट या अप्रिय घटना होने की पुष्टि की रिपोर्ट. 
2-रेलवे अथॉरिटी की तरफ से एक्सीडेंट में मृत यात्रियों की जानकारी वाली रिपोर्ट.
3-पूरी तरह भरा हुआ एक्सीडेंट क्लेम फॉर्म जिस पर नॉमिनी या कानूनी वारिस के हस्ताक्षर हों.
4-अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करवाने के लिए NEFT की आवश्यक डिटेल और एक कैंसिल्ड चेक.
5-नॉमिनी का फोटो आईडेंटिटी प्रूफ.

विकलांगता की स्थिति में ये कागज लगेंगे

1-रेलवे अथॉरिटी की तरफ से ट्रेन एक्सीडेंट या अप्रिय घटना होने की पुष्टि की रिपोर्ट.
2-इलाज करने वाले डॉक्टर की तरफ से विकलांगता की गहनता बताने वाली रिपोर्ट.
3-डॉक्टर की सलाह लेने के बाद इलाज के लिए जो दवाएं खरीदी गई हैं उनके बिल.
4-पूरी तरह भरा हुआ एक्सीडेंट क्लेम फॉर्म जिस पर नॉमिनी या कानूनी वारिस के साइन हों.
5-जिस अस्पताल में इलाज हुआ हुआ है वहां के सिविल सर्जन की तरफ से साइन डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट. ये भी बताना होगा कि उक्त आदमी की विकलांगता कितने फीसदी है.
6-एफआईआर (FIR) की साइन कॉपी.
7-विकलांगता को साबित करने वाले सभी एक्स-रे/जांच रिपोर्ट और फिल्म.
8-NEFT डिटेल और कैंसिल्ड चेक के साथ क्लेम फॉर्म.
9-विकलांगता के बाद और पहले की तस्वीर.

अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में

1-रेलवे अथॉरिटी की तरफ से ट्रेन एक्सीडेंट या अप्रिय घटना होने की पुष्टि की रिपोर्ट. 
2-डिस्चार्ज समरी यानी अस्पताल में छुट्टी होने के समय मिले कागजात 
3-हॉस्पिटल के बिल और मेडिकल बिल
4-एडवांस और फाइनल रसीद (सभी रसीद पर नंबर, साइन और स्टाम्प लगा होना चाहिए)
5-दवाइयों की पर्ची
6-जांच की टेस्ट रिपोर्ट, एक्सरे, स्कैन, ECG और अन्य रिपोर्ट जो डॉक्टर की मांग पर की गई हों
7-अगर बाहर से दवाइयां ली गई हैं तो उसका कैश मेमो/बिल.

और क्या कहती है 35 पैसे वाली पॉलिसी?

इंश्योरेंस लेने पर अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में पॉलिसी के तहत 2 लाख रुपये, स्थायी आंशिक विकलांगता के लिए 7.5 लाख रुपये, मृत्यु होने की स्थिति में 10 लाख रुपये का कवर दिया जाता है. IRCTC कहती है कि नॉमिनेशन नहीं भरा गया हो और कोई दावा करे तो क्लेम का पैसा कानूनी उत्तराधिकारी के नाम पर जारी कर दिया जाता है. 5 साल के बच्चों के लिए यह बीमा पॉलिसी नहीं लागू होगी. एक बार प्रीमियम देने के बाद इसे कैंसिल नहीं किया जा सकता है. सभी क्लास के यात्रियों पर एक ही ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी लागू होती है.

नियम के मुताबिक सभी जरूरी कागजात जमा होने के 15 दिनों के अंदर बीमा पॉलिसी की रकम मिल जानी चाहिए. कोई भी धांधली, फर्जीवाड़ा या नकली सर्टिफिकेट कागजात पाए जाने पर इंश्योरेंस कंपनी के पास क्लेम मना करने का अधिकार होगा. क्लेम के पैसे भारतीय रुपये में दिए जाएंगे. सिर्फ भारतीय लोगों को ही इस बीमा का फायदा मिलेगा.

बिना रिजर्वेशन वाले लोगों को नहीं मिलेगा मुआवजा?

ट्रैवल इंश्योरेंस लेने का विकल्प फिलहाल सिर्फ आरक्षित टिकट लेने वालों को ही दिया जाता है. ऐसे में किसी हादसे की स्थिति में बिना रिजर्वेशन वाले पीड़ित यात्री सिर्फ सरकार की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे के ही हकदार होंगे.

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