The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

ख़ुदा का वो बंदा जिसने 25 की उम्र में दुनिया जीती, लेकिन फिर भी उसके नाम का कोई अर्थ नहीं!

फुटबॉल के 'एलियन युग' से पहले का आखिरी इंसान.

post-main-image
2009 Fifa Awards Night की इस फोटो में बाएं से दाएं तरफ दिख रहे हैं Cristiano Ronaldo Andres Iniesta, Kaka, Lionel Messi और Xavi (AFP)

आनंद पिच्चर में राजेश खन्ना ने अमिताभ से कहा था- 'बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं.' सच ही तो कहा था, लंबी जिंदगियां कौन याद रखता है, याद तो 'लार्जर दैन लाइफ' किस्से रहते हैं. ये किस्सा ऐसी ही एक जिंदगी का है. लिख जिंदगी रहे हैं, लेकिन इसे करियर पढ़िएगा. करियर उस बच्चे का, जो कभी इतना कमजोर था कि प्रोफेशनल फुटबॉलर बनने से पहले उसे खास डाइट लेनी पड़ी.

वो बच्चा जो अपना पहला प्रोफेशनल कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के ठीक बाद अपनी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से चोटिल कर बैठा. जब ठीक हुआ तो ऐलान कर दिया,

'मैं ख़ुदा का बंदा हूं.'

वो बच्चा, जो 21 की उम्र में 'कौड़ियों' में बिककर इटली आया. और दो महीने में ही अपने खेल से दिग्गजों को पछाड़ दिया. सिर्फ 25 की उम्र में विश्व का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर बन गया. रिकारदो इज़ेक्सन दॉस सानतोस लेइची. दुनिया इन्हें काका के नाम से जानती है. मज़ेदार है न, राजेश खन्ना को भी लोग काका ही बुलाते थे.

# खास हैं काका

काका की कहानी आम ब्राज़ीली फुटबॉलर से अलग है. आम ब्राज़ीली फुटबॉलर. यानी स्लम में पैदा होना, सड़क पर खेलना और एक दिन स्टार बन जाना. फिर जमकर पार्टियां करना और वक्त से पहले ही अपने करियर का सूर्यास्त कर लेना. काका एक अच्छे परिवार से थे. उनके पिता सिविल इंजिनियर तो मां स्कूल टीचर थीं. परिवार में पैसों की कोई दिक्कत नहीं थी. इसीलिए आम ब्राज़ीली बच्चे से अलग, काका को पढ़ाई और फुटबॉल दोनों पर पूरा ध्यान देने का मौका मिला.

काका का एक छोटा भाई भी है. रोड्रिगो, जिसे दुनिया डिगाओ के रूप में जानती है. डिगाओ जब छोटा था तब उसे रिकारदो बोलने में दिक्कत होती थी. उसने रिकारदो को CACA बुलाना शुरू कर दिया. बाद में यह KAKA बना और आज रिकारदो के असली नाम से ज्यादा लोग ये नाम जानते हैं.

अब KAKA का मतलब ब्राज़ीली पुर्तगाली भाषा की डिक्शनरी में मत खोजिएगा. क्योंकि पुर्तगाली भाषा में KAKA का कोई मतलब नहीं है. वो क्या है कि हर कोई ज़्लाटन नहीं होता न. स्वीडन में Zlatanera (ज़्लाटनएरा) का मतलब डॉमिनेट करना होता है. ये फुटबॉलर ज़्लाटन इब्राहिमोविच के नाम से बना शब्द है.

काका सिर्फ सात साल के थे, जब उनका परिवार गामा जिले से 1000 किलोमीटर दूर साओ पाउलो शहर में शिफ्ट हो गया. उनके फुटबॉल करियर के लिए. सुनकर अजीब लगा होगा लेकिन ब्राज़ील में ये बहुत बड़ी बात नहीं है. वहां फुटबॉल के लिए न सिर्फ बच्चे बल्कि उनका परिवार भी कुछ भी करने को तैयार रहता है. तभी तो ब्राज़ील ने सबसे ज्यादा वर्ल्ड कप जीते हैं. और फुटबॉल की दुनिया को पेले, रोनाल्डो (असली वाले), रोनाल्डीनियो, नेमार जैसे सितारे दिए हैं.

# लड़का स्टार बनेगा

यहां एक लोकल क्लब के लिए खेलते हुए काका पर नज़र पड़ी साओ पाउलो फुटबॉल क्लब की. जैसे हमारे यहां IPL टीमों का हाल है, वैसे ही वहां फुटबॉल क्लबों का हाल है. साओ पाउलो फुटबॉल क्लब ब्राज़ील का सबसे सफल फुटबॉल क्लब है. काका यहां जुड़ गए. फिर आया साल 1997. इधर भारत में ऋषभ पंत पैदा हुए उधर 15 साल के काका के बारे में लोगों की राय बन गई,

'लड़का स्टार बनेगा.'

लेकिन टिकटॉक से बाहर स्टार बनना आसान थोड़े न है. काका फुटबॉल खेलने में तो हल्क थे, लेकिन बॉडी रॉकेट रकून जैसी थी. ऐसे में क्लब ने उन्हें अपने एक्सरसाइज फिजियो डॉक्टर तुरिबिओ लीते डे बार्रोस नेतो के पास भेजा.
 

ये रहे रॉकेट रकून, हल्क को तो आप जानते ही होंगे

 डॉक्टर नेतो बताते हैं कि काका उस वक्त बेहद कमजोर थे. उनका शरीर प्रोफेशनल फुटबॉल खेलने के लायक नहीं था. क्लब उनका वजन बढ़ाने के लिए हार्मोनल ट्रीटमेंट कराना चाहता था. डॉक्टर नेतो के मुताबिक,

'वह अपने पेरेंट्स के साथ मेरे पास आया. जब मैंने उसे उसके माता-पिता के साथ देखा. तो उनकी लंबाई देख मुझे यकीन हो गया कि इसका विकास तो होना ही है. मैंने उनसे कहा- आप जेनेटिक्स में भरोसा रखते हैं? अगर रखते हैं, तो इसे कोई हार्मोनल ट्रीटमेंट मत दीजिए.'

डॉक्टर ने काका के लिए खास डायट प्लान बनाया और अगले 18 महीनों में काका का वजन 10 किलो बढ़ गया. अब काका प्रोफेशनल फुटबॉल के लिए तैयार थे. लेकिन जिंदगी को इस तैयारी से क्या? उसके तो अपने ही फंडे हैं. साल 2000 का अक्टूबर महीना. भारत के लोग नारायण शंकर और राज आर्यन की 'मोहब्बतें' देख रहे थे और उधर 18 साल के काका, साओ पाउलो की सीनियर टीम में एंट्री करने के काफी करीब थे.

इधर लोगों को राज-मेघा की लव-स्टोरी का सैड एंड दिखता है, उधर एक स्विमिंग पूल में कूदते वक्त काका की स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगती है. चोट दोनों की ही बेहद गंभीर थी. लेकिन दोनों रुकने वाले नहीं थे. क्योंकि राज और काका दोनों को दुनिया बदलनी थी.
 

Kaka World Cup 2002 800
Football World Cup 2002 की ट्रॉफी के साथ Kaka. टीशर्ट पर लिखा है- I Belong To Jesus.
# I Belong To Jesus

इस चोट से उबरने के बाद काका काफी बदल चुके थे. उन्हें यकीन हो गया कि ऊपरवाले के चलते ही वह अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो पाए हैं. इस घटना ने काका के करियर, खासतौर से उनकी सोच पर काफी असर डाला. साल 2001 में साओ पाउलो के लिए डेब्यू करने वाले काका 2003 में इटैलियन क्लब AC मिलान से जुड़े. AC मिलान इटली के सबसे बड़े फुटबॉल क्लबों में से एक है.

60 लाख पाउंड में काका को खरीदने वाले AC मिलान के प्रेसिडेंट ने इस रकम को 'कौड़ियों' की संज्ञा दी थी. सही ही दी थी, क्योंकि छह साल बाद मिलान ने काका को साढ़े पांच करोड़ पाउंड में बेचा. और इस सौदे से पहले उनके पास काका के लिए 10 करोड़ पाउंड का ऑफर था. लेकिन काका ने ये ऑफर ठुकराते हुए मिलान में रुकना पसंद किया. काका के लिए मिलान वैसा ही था जैसे निर्जरा प्रेमी राधे भैया के लिए उनका पूर्व कॉलेज.
 

Radhe Bhaiya Kaka Milan 800
अपने पूर्व कॉलेज की लाइब्रेरी में Radhe Bhaiya और Champions League Match में गोल करने के बाद लोगों को अपनी जर्सी पर लगा Milan का Badge दिखाते Kaka (IMDB और AFP)
 

काका ने अपनी बेस्ट फुटबॉल मिलान के लिए ही खेली. पहले ही सीजन में काका ने अपने प्रदर्शन से क्लब लेजेंड रुइ कोस्टा को टीम से बाहर कर दिया. इस बारे में मिलान की मशहूर वेबसाइट फोर्ज़ा इटैलिया फुटबॉल के एडिटर डेविड शिवोने ने ब्लेचर रिपोर्ट फुटबॉल से कहा था,

'मुझे याद है जब उसने मिलान जॉइन किया था. मैंने सुना कि मिलान ने इस ब्राज़ीलियन को साइन किया है. उन दिनों इंटरनेट की पहुंच सब तक नहीं थी. आपको इन युवा प्लेयर्स के बारे में तभी सुनने को मिलता था जब कोई उन्हें खरीद लेता था.

उस वक्त मिलान में रुइ कोस्टा थे. जो लंबे वक्त से सेरी आ (इटली की टॉप डिविजन फुटबॉल) में खेल रहे थे. कोस्टा मिलान के इतिहास के सबसे महंगे प्लेयर थे. लेकिन काका के आने के दो या तीन महीने बाद ही वह ज्यादातर वक्त बेंच पर दिखने लगे. उस दौर में मुझे लगता था कि काका जब भी पिच पर उतरेंगे, गोल करेंगे.'

मिलान ने 2001 में कोस्टा को लगभग चार करोड़ पाउंड की रकम में खरीद था. काका ना सिर्फ टीम में बल्कि मिलान के पूरे सिस्टम में बेहतरीन तरह से सेट हुए. प्लेयर्स को चोट से बचाने के लिए बनी मिलान लैब के फाउंडर जीन पिएरे मीरसेमैन के मुताबिक,

'काका को बहुत अच्छे से रिसीव किया गया था. वह बहुत, बहुत प्यारे इंसान थे. बहुत ज्यादा शांत... लोग कहते थे कि काका ऐसे इंसान हैं जिसे कोई भी मां अपनी बेटी का हाथ दे दे. आपको उन्हें पसंद करना ही पड़ता. उनके बारे में कुछ भी नेगेटिव नहीं था. किसी भी परेशानी में वह जिस तरह से खुद को हैंडल करते थे, यह कमाल था.'

Kaka Milan Celebration 800
2005 Champions League Final के दौरान अपने साथियों के साथ एक गोल का जश्न मनाते Kaka (सेंटर में)


2007 में जब 26 साल के धोनी ने भारत को T20 वर्ल्ड चैंपियन बनाया, काका 25 की उम्र में मिलान के साथ चैंपियंस लीग जीत चुके थे. उस मिलान टीम की ऐवरेज उम्र 34 साल थी. टीम के बाकी प्लेयर्स के लिए काका छोटे भाई जैसे थे. छोटा भाई जो बड़े भाईयों की टीम की जान था.

इस चैंपियंस लीग फाइनल से पहले का एक मजेदार किस्सा है. लियोनल मेसी उस वक्त अर्जेंटीना के लिए डेब्यू कर चुके थे. वर्ल्ड कप से लौटे मेसी अर्जेंटीना के साथ इंग्लैंड आए. यहां उनकी टीम को ब्राज़ील के साथ एक फ्रेंडली मैच खेलना था.

दोनों टीमों के लिए वर्ल्ड कप बेहद खराब गया था. ऐसे में यह मैच कागजों पर ना सही, दिमाग में बेहद अहम था. मैच में ब्राज़ील 2-0 से आगे था. अर्जेंटीना को कॉर्नर मिला. हुलियो बैपटिस्टा ने बॉल को सिर से मारकर गोल से दूर धकेला. बॉल पेनल्टी बॉक्स के बाहर खड़े मेसी के पैर पर आकर गिरी. मेसी वहां काका को, या कहें कि काका वहां मेसी को रोकने के लिए खड़े किए गए थे. फुटबॉल में इसे मार्किंग कहते हैं. मेसी ने बॉल को कंट्रोल करने की कोशिश की. लेकिन बॉल उनके पैर से छिटक गई.

काका ने बॉल लपकी और अकेले ही अर्जेंटीनी गोल की ओर भाग पड़े. दुनिया के सबसे तेज फुटबॉलर्स में शुमार मेसी उस वक्त सिर्फ 19 साल के थे. मेसी ने 24 साल के काका को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए. बुलेट की तरह भागे काका ने अर्जेंटीना के आखिरी डिफेंडर गैब्रिएल मिलितो और अर्जेंटीनी गोलकीपर रोबर्टो अबोदान्ज़ीरी के पीछे गोल कर दिया.

काका के साथ रेस में यह मेसी की पहली हार थी. दूसरी आई 2007 में. जब काका ने मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो दोनों को हराकर बैलन डे ऑर जीता. यह फुटबॉल की दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत अवॉर्ड है. इस अवॉर्ड को जीतने के बाद काका 2009 में स्पैनिश क्लब रियल मैड्रिड आ गए. यहां लगातार बेंच पर बैठने और चोटों के चलते उनके करियर में गिरावट आती गई. काका दोबारा उस ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाए. साल 2017 में सिर्फ 35 साल की उम्र में उन्होंने फुटबॉल से रिटायर होने का फैसला किया.

22 अप्रैल, 1982 को ब्राज़ील के गामा जिले में पैदा हुए काका आज 38 साल के हो गए.

टॉक ऑफ द ट्रिविया

# 2005 के चैंपियंस लीग फाइनल में मिलान को लिवरपूल ने हराया था. मिलान के साथ अपना दूसरा सीजन खेल रहे काका इस मैच में अपनी टीम के बेस्ट प्लेयर थे.

# 2007 के फाइनल में मिलान ने लिवरपूल को हराकर हिसाब बराबर कर लिया. काका इस मैच में भी अपनी टीम के बेस्ट प्लेयर थे. इस सीजन उन्होंने चैंपियंस लीग में सबसे ज्यादा, 10 गोल किए.

# काका ने ब्राज़ील के साथ 2002 का वर्ल्ड कप भी जीत था. हालांकि इस पूरे टूर्नामेंट में वह सिर्फ 18 मिनट खेले थे.

# काका ने 2002 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद अपनी जर्सी उतारी, अंदर उन्होंने एक सफेद टी-शर्ट पहनी थी. इस टी-शर्ट पर लिखा था 'I Belong To Jesus'

# काका ने 2002 वर्ल्ड कप के अलावा ब्राज़ील के लिए दो कंफेडरेशन कप भी जीते.

# मिलान के साथ काका ने इटैलियन लीग, चैंपियंस लीग, सुपरकोपा इटैलिया, UEFA  सुपरकप और FIFA क्लब वर्ल्ड कप जीते.

# रियल मैड्रिड के साथ काका ने एक स्पैनिश लीग और एक कोपा डेल रे जीता.

# साल 2007 में उन्होंने बैलन डे ऑर जीता. इसके अलावा भी उन्हें कई व्यक्तिगत अवॉर्ड्स मिले.

# 2008 से 2017 तक मेसी और रोनाल्डो ने लगातार बैलन डे ऑर जीता. उन दिनों कहा जाता था कि इस अवॉर्ड का 'एलियन काल' यानी मेसी-रोनाल्डो काल शुरू होने से पहले इसे जीतने वाले आखिरी इंसान काका ही थे.

# साल 2012 में काका ट्विटर पर 10 मिलियन फॉलोवर्स वाले पहले एथलीट बने थे.

वीडियो: ज़्लाटन इब्राहिमोविच के मशहूर 'बाइ-साइकल किक' गोल का किस्सा