The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'प्लान दिल्ली' के लिए कर्नाटक में 3 डिप्टी सीएम वाला फॉर्मूला ला रही कांग्रेस?

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के दावों के बीच कांग्रेस क्या प्लान बना रही?

post-main-image
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी कर रहे हैं (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत तो मिल गया है पर मुख्यमंत्री के नाम पर रस्साकशी जारी है. सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार का कोई पुख़्ता हल निकालने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस आलाक़मान बैठकों की मैराथन से गुजर रहे हैं. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ने ही मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा आलाकमान को ज़ाहिर कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया है कि अधिकतर विधायक उन्हें मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. वहीं कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए अपने काम और बलिदान गिना रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि जब तक सीएम नहीं बनूंगा तब तक दाढ़ी नहीं बनवाऊंगा. संख्याबल के सवाल पर डीके शिवकुमार का जवाब था कि जो कांग्रेस की संख्या है वही उनकी भी संख्या है. इस बयान का परोक्ष मतलब हुआ कि वो अपने आपको कांग्रेस विधायक दल का नेता मान रहे हैं. लब्बोलुबाब ये है कि अंदरखाने महत्वाकांक्षा का द्वंद जारी है.   

14 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के विधायकों का मन टटोलने के लिए तीन सदस्यीय पर्यवेक्षक दल बनाया था. इसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस के पूर्व महासचिव दीपक बावरिया और वर्तमान महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह शामिल थे. पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस विधायक दल (congress legislative party-CLP) के साथ बैठक की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में सिद्दारमैया का पलड़ा भारी नज़र आया. फिर कांग्रेस विधायक दल ने मुख्यमंत्री के नाम पर आखिरी फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और आलाकमान पर छोड़ दिया. पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस आलाकमान ने सोमवार को डी. शिवकुमार और सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाया था. सिद्धारमैया तो शाम तक दिल्ली पहुंच गए पर डीके शिवकुमार ने आखिरी वक्त पर 'पेट खराब होने' की बात कहते हुए अपना दौरा रद्द कर दिया. राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि डीके शिवकुमार ने कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए अपना दौरा रद्द किया था. 

उधर राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि जिसे विधायक मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं उसे ही कर्नाटक की लगाम सौंपी जाएगी. खैर, कांग्रेस आलाकमान दावेदारी और पैरवी की खींचतान के बीच फिट फॉर्मूला बनाने में लगा है. दोनों दावेदारों की दावेदारी और लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के फायदे का अंकगणित किस समीकरण में है. कांग्रेस नेतृत्व इसे ही नाप-जांच रहा है.  

सिद्धारमैया के दावे में है दम

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक दल (congress legislative party-CLP) की बैठक में सिद्धारमैया को 90 विधायकों का समर्थन है. डीके शिवकुमार के पास हालांकि संख्या के लिहाज़ से तो आधे विधायक हैं पर कर्नाटक कांग्रेस में उनकी पकड़ अच्छी है. संगठन डीके शिवकुमार की वकालत कर रहा है. दलील दी जा रही है कि कर्नाटक को एक युवा मुख्यमंत्री की जरूरत है. सिद्धारमैया की उम्र अधिक है और वो मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भी रह चुके हैं. सिद्धारमैया के समर्थक इस कमजोरी को मजबूती की तरह पेश कर रहे हैं. उनका कहना है कि सिद्धारमैया को सरकार चलाने का अनुभव है. वो वरिष्ट हैं इसलिए कैबिनेट में सामंजस्य बनाकर चल सकते हैं.

सिद्धारमैया कुरूबा जाति से आते हैं. इस जातीय समुदाय की जनसंख्या कर्नाटक की कुल जनसंख्या का 7 प्रतिशत है. संख्याबल के लिहाज़ से ये एक ताक़तवर समुदाय कहा जा सकता है. इसके अलावा सिद्धारमैया अपनी सोशल इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं. वो देवराज अर्स मॉडल की राजनीति करते हैं, जिसमें अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और गैर-लिंगायत/गैर-वोक्कालिगा वोटों की जुटान करने का फॉर्मूला काम करता है. प्रदेश में एससी/एसटी (SC/ST) की जनसंख्या करीब 27 प्रतिशत और अन्य समुदाय की जनसंख्या लगभग 39 प्रतिशत मानी जाती है. सिद्धारमैया की अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों, गैर-लिंगायत/गैर-वोक्कालिगा और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों पर गहरी पकड़ है. इस लिहाज से कांग्रेस उन्हें 2024 तक मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहती है. जिससे उसे इन समुदायों का वोट मिल सके और कर्नाटक के रास्ते वो दिल्ली में दाखिल हो सकें.

डीके शिवकुमार भी नहले पे दहला

डीके शिवकुमार कांग्रेस के संकट मोचन माने जाते हैं. उन्हें कर्नाटक में कांग्रेस का अमित शाह कहा जाता है. पार्टी के लिए संसाधन जुटाने, अक्रामक प्रचार की रणनीति बनाने, विधायकों की तोड़-फोड़ से निपटने से लेकर किसी कांग्रेस शासित राज्य में राजनीतिक संकट की घड़ी में पार्टी विधायकों को राज्य में रखने तक का इंतजाम करने में डीके शिवकुमार आगे रहे हैं. शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के नेता हैं. ये समुदाय संख्याबल और सियासी हैसियत के लिहाज़ से प्रदेश में लिंगायतों के बाद दूसरे पायदान पर आता है. प्रदेश में लिंगायतों की जनसंख्या 16 प्रतिशत के करीब है और वोक्कालिगा समुदाय की जनसंख्या कर्नाटक की कुल जनसंख्या का लगभग 11 प्रतिशत है. वोक्कालिगा समुदाय कर्नाटक की 50 से अधिक सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी करने वालों का तर्क है कि अगर शिवकुमार मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं तो कांग्रेस जनता दल (सेक्युलर) JD(S) के वोक्कालिगा वोटों में सेंधमारी कर सकेगी और आने वाले लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस JD(S) को रेस से बाहर कर देगी. इसके अलावा शिवकुमार पैसे से मजबूत नेता हैं. प्रदेश के भीतर और बाहर फंड जुटाने में भी शिवकुमार कारगर हो सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व कई सारे प्लान बी (plan B) पर काम कर रहा है. उन्हीं में से एक में "2 इयर सीएम फॉर्मूला" भी है. जिसके मुताबिक डीके शिवकुमार को आखिरी दो सालों में मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव है. हालांकि डीके शिवकुमार ने इस फॉर्मूले को विधायक दल की बैठक में ही ये कहते हुए नकार दिया कि ये फॉर्मूला कारगर नहीं है. अन्य राज्यों में इस फॉर्मूले को फेल होते हुए देख चुके हैं.

कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला

कांग्रेस कर्नाटक को दिल्ली का दरवाजा मानकर चल रही है. इतिहास में भी आपातकाल के बाद जनता पार्टी के नेता राजनरायण से रायबरेली में चुनाव हारकर इंदिरा सत्ता से बाहर हुई थीं तो उन्होंने कर्नाटक से ही वापसी की थी. कांग्रेस को एक बार फिर कर्नाटक से वापसी की उम्मीद है. इसलिए कांग्रेस हर मोर्चे पर मजबूत किलाबंदी करना चाहती है. कांग्रेस आलाकमान इसके लिए एक मास्टर फॉर्मूले पर काम कर रहा है. इसके मुताबिक कांग्रेस कर्नाटक की चार बड़ी जातियों (समुदाय) लिंगायत, वोक्कालिगा, कुरूबा और अनुसुचित जाति/अनुसूचित जनजाति (SC/ST) को साधना चाहती है. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टस में कांग्रेस के अंदरखाने से ख़बर आ रही है कि कांग्रेस तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को अमल में लाना चाहती है. इस फॉर्मूले के हिसाब से कुरूबा समुदाय से आने वाले सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. और उनके साथ तीन उप-मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं. ये तीने डिप्टी सीएम लिंगायत, वोक्कालिगा और (SC/ST) समुदाय से होंगे. कांग्रेस आलाकमान वोक्कालिगा समुदाय से डीके शिवकुमार, लिंगायत समुदाय से एमबी पाटिल और (SC/ST)समुदाय से सतीश जारकीहोली को डिप्टी सीएम बनाना चाहता है. कांग्रेस कुरूबा (7%), लिंगायत (16%) वोक्कालिगा (11%) (SC/ST) (27%) को साधकर एक मजबूत और जिताऊ सियासी समीकरण बनाना चहती है. इस प्लान के हिसाब से कांग्रेस 61 % के बीच सत्ता की साझेदारी का संदेश देकर उन्हें आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करना चाहती है.

ये कर्नाटक में कांग्रेस का मास्टर प्लान है पर इसमें अभी बहुत पेंचोख़म हैं. डीके शिवकुमार सीएम से कम पर मानेंगे ये देखना होगा. सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार की रस्साकशी में ऊंट किस करवट बैठेगा, हो सकता है ये शाम तक साफ हो जाए पर शक्ति का संतुलन और सत्ता में साझेदारी का सवाल कैसे हल होगा. कौन का फॉर्मूला फिट बैठेगा जो खेमों के खेल को निपटा सके. ये देखने वाला होगा.
      
                                                                                                         (ये स्टोरी हमारे साथी अनुराग अनंत ने की है)
 

वीडियो: सिद्धारमैया इंटरव्यू में कर्नाटक सीएम का नाम बता गए!