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सेना और CRPF में फर्क क्या है, CRPF को पेंशन क्यों नहीं मिलती है?

CRPF और बाकी पांच अर्धसैनिक बलों के बारे में जान लीजिए.

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आमतौर पर सेना सिर्फ युद्ध के वक्त ही बॉर्डर पर मोर्चा संभालती है. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
हमारे यहां तमाम लोग सेना और अर्धसैनिक बलों को एक ही मान लेते हैं. बीते कई दिनों से ऐसी चर्चाएं चल रही हैं. लोग सेना के सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों में ज्यादा फर्क नहीं कर पा रहे हैं. इनका काम और सेवा शर्तें भी अलग-अलग होती हैं. ऐसे में सेना और अर्धसैनिक बलों के अंतर को समझना जरूरी है.
सवाल 1- कैसे काम करती हैं सेनाएं?
सेना में सिर्फ इंडियन आर्मी, एयरफोर्स और इंडियन नेवी शामिल हैं. सेना आमतौर पर युद्ध के वक्त मोर्चा संभालती है. शांति के समय सेना देश भर में सेना के लिए बनाई गईं छावनी यानी कैंटोनमेंट में रहती है. आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए अलग-अलग रिहायशी क्षेत्र बनाए गए हैं. आमतौर पर जब युद्ध नहीं होता है, तो सेनाएं वहीं रहती हैं. नेवी का काम समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने का होता है, इसलिए इनको शांति काल में भी समुद्री सीमाओं पर मुस्तैद रहना होता है. तीनों सेनाओं में सैनिकों की तादाद करीब 13.50 लाख है. सेना रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है. सेना में लेफ्टिनेंट, मेजर, कर्नल, ब्रिगेडियर, मेजर जनरल आदि रैंक होती हैं. सैनिकों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है.
अर्धसैनिक बल सेना के कदम से कदम मिलाकर काम करते हैं. फोटो. पीटीआई.
अर्धसैनिक बल सेना के कदम से कदम मिलाकर काम करते हैं. फोटो. पीटीआई.


सवाल 2- अर्धसैनिक बलों में कौन-कौन शामिल हैं?
Central Armed Police Forces के सुरक्षा बलों में CRPF, BSF, ITBP, CISF, Assam Rifles और SSB शामिल हैं. देश में अर्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या 9 लाख से ज्यादा है. अर्धसैनिक बलों को बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, चीन, भूटान और नेपाल से सटी सीमाओं पर ड्यूटी देनी पड़ती है. अर्धसैनिक बलों में सिविल पुलिस की तरह कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, एएसआई, असिस्टेंट कमांडेंट और कमांडेंट, डीआईजी, आईजी और डीजी की पोस्ट होती है. अर्धसैनिक बलों में रिटायरमेंट के बाद आर्मी की तरह पेंशन नहीं मिलती है. अर्धसैनिक बल गृह मंत्रालय के मातहत काम करते हैं.
# CRPF –आतंकवाद और नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सीआरपीएफ यानी केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल को तैनात किया जाता है.
# BSF – बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स को बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटी सीमा ड्यूटी पर लगाया जाता है. बीएसएफ शांति के समय तैनात की जाती है. युद्ध के समय बीएसफ की जगह सेना मोर्चा संभालती है. बॉर्डर पर शांति के वक्त सेना के जवान सीमा से दूर रहते हैं.
# ITBP – भारत तिब्बत सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस को लगाया जाता है.
# CISF – केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल पर सरकारी उपक्रमों की सुरक्षा का जिम्मा है.
# Assam Rifles – इन्हें असम के उग्रवाद प्रभावित इलाकों में ड्यूटी देनी होती है.
# SSB – सशस्त्र सीमा बल को भारत-नेपाल सीमा पर तैनात किया जाता है.
सवाल 3- अर्धसैनिक बलों की बड़ी शिकायत क्या रहती है?
अर्धसैनिक बल बीते कई सालों से सेना जैसी सहूलियतें मांग रहे हैं. उनकी शिकायत रहती है कि वे भी सेना जैसी परिस्थितियों में देश के भीतर और सीमाओं पर काम करते हैं. ऐसे में उनको भी उसी तरह की सेवा शर्तें और सम्मान मिलना चाहिए, जैसा सेना को मिलता है. कॉन्‍फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड पैरा मिलिट्री एसोसिएशन के महासचिव रणवीर सिंह के मुताबिक,
'सातवें वेतन आयोग में अर्धसैनिक बलों को सिविलयन का दर्जा दे दिया गया है. वन रैंक वन पेंशन की बात तो दूर, सातवें वेतन आयोग ने उनको भत्ता तक नहीं दिया है. अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार करती रही है. न केवल पेंशन बंद कर दी गई है, बल्कि फौजियों की तरह एमएसपी भी नहीं देती है. और तो और सेना के कैंटीन में जीएसटी की छूट दी गई है, लेकिन अर्धसैनिक बलों की कैंटीन में जीएसटी से कोई छूट नहीं मिली है.'
हकीकत में अर्धसैनिक बल भी सेना के कदम से कदम मिलाकर देश और देश के नागरिकों की हिफाजत कर रहे हैं. ऐसे में उनकी सेवा को कम करके आंकना जायज़ नहीं कहा जा सकता है.


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