सोवियत संघ के 15 घटक देशों में से अधिकांश पूर्वी देशों के लोग तानाशाही शासन से पीड़ित थे. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था भी कई कारणों से डगमगा गई, लोगों में असुरक्षा का माहौल था. 1985 में, मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने. गोर्बाचेव ने कई सुधारवादी नीतियों को अपनाया. 1990 में गोर्बाचेव संघ के अध्यक्ष भी बने लेकिन उन्हें उखाड़ फेंकने का प्रयास किया गया, जिसके बाद सोवियत संघ के विघटन की पटकथा सच साबित हुई. देखें वीडियो.