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मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन, इन लोगों ने सुनकर सिर पकड़ लिया!

तो क्या अब क्रिप्टो का खेल खत्म माना जाए?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो - PTI/Pexels)

वित्त मंत्रालय ने नोटिफ़िकेशन जारी कर दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) से संबंधित लेनदेन और बाक़ी डिजिटल एसेट्स अब मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) प्रावधानों के दायरे में आएंगे. पिछले साल के बजट में जब वित्त मंत्री ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी ट्रांज़ैक्शन पर टैक्स देना होगा, डिजिटल ऐसेट्स टैक्सेबल होंगे; तब कयास लगाए गए थे कि क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार्यता मिल रही है. फिर इस क़दम ने तो ऐसे कयासों को यू-टर्न ही दे दिया है. लेकिन क्रिप्टो के समर्थकों का ये भी कहना है कि क्रिप्टो के विनियमन से सेक्टर को पहचान मिली है. वित्त मंत्रायल ने अपने आधिकारिक नोटिफ़िकेशन में इग्ज़ैक्टली लिखा क्या है? ये क़दम उठाया क्यों गया है? और, इंडस्ट्री में इसे कैसे देखा जा रहा है?

बात हाल की हो, इससे पहले ज़रा सा बैग्राउंड. 2022 के बजट सेशन में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने के लिए एक नया सेक्शन 115-BBH इंट्रोड्यूस किया गया था. इस सेक्शन में मुख्यतः तीन प्रावधान थे:
- फ़ायदे पर इनवेस्टर को फ़्लैट 30% टैक्स देना पड़ेगा. 
- जब भी रेसिडेंट सेलर क्रिप्टो बेचेगा, हर ट्रेड या लेन-देन पर 1% TDS लगेगा. 
- ये TDS 1 जुलाई 2022 से लागू होगा.

बजट के बाद से ही चर्चा होने लगी कि अगर सरकार डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा रही है, तो क्या इसका मतलब है कि सरकार बिटकॉइन जैसी करेंसीज़ को मान्यता दे रही है. 'ठोस' रुपये के बरक्स क्या ये नया कॉइन अर्थ की नींव बन जाएगा? चूंकि क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी की जटिलताओं को समझना और उसे नियमित करने के लिए क़ानून बनाना दुनिया की सब सरकारों के लिए चैलेंज है, इसलिए इन चर्चाओं पर अल्प-विराम लग गया. बीच-बीच में कुछ ख़बरें आती रहती थीं, लेकिन कुछ बड़ा नहीं आया. 
भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियम-क़ानूनों को कोई अंतिम रूप नहीं दिया है. RBI कई बार क्रिप्टो टोकन के इस्तेमाल के ख़िसाफ़ चेता चुकी है.. बैन तक लगाने की बात कह चुकी है. ED एक्सचेंज कॉइनस्विच कुबेर और वज़ीर-एक्स जैसे कई क्रिप्टो एक्सचेंजों जांच कर ही रहा है और अब आया है वित्त मंत्रालय का ये नोटिफ़िकेशन, जो क्रिप्टो की शेडी इमेज को और शेडी साबित कर रहा है.

नोटिफ़िकेशन में क्या है?

मंगवलार, 7 मार्च की शाम को जारी हुए इस नोटिफ़िकेशन में साफ़ तौर पर कहा गया है कि वर्चुअल डिजिटल संपत्ति का लेन-देन और ट्रांज़ैक्शन मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम ऐक्ट (PMLA) क़ानूनों के तहत आएगा. नोटिफ़िकेशन में किन-किन ट्रांज़ैक्शन पर ऐक्शन होने की बात है. इससे पहले ये जान लीजिए कि ये वर्चुअल डिजिटल संपत्ति है क्या?

सांकेतिक तस्वीर - Pexels

इनकम टैक्स ऐक्ट के मुताबिक़, 'वर्चुअल डिजिटल ऐसेट' का मतलब ऐसी कोई भी संपत्ति, जो किसी कोड, संख्या या टोकन के फ़ॉर्मेट में हो. क्योंकि ये भारतीय करेंसी या विदेशी करेंसी तो है नहीं, इसे तो क्रिप्टोग्राफ़िक तरीक़े से ही बनाया जाता है. चाहे किसी भी नाम से बुलाया जाए. 

वापस हाल की ख़बर पर. तो चार मोटे-मोटे पॉइंट्स हैं, कि किन-किन ट्रांज़ैक्शन्स पर ऐक्शन हो सकता है -

(i) वर्चुअल डिजिटल असेट्स और फिएट मुद्रा का लेन-देन;
(ii) वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के एक या ज़्यादा फ़ॉर्म्स का लेन-देन;
(iii) वर्चुअल डिजिटल संपत्ति का ट्रांसफ़र;
(iv) वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों को नियमित करने का सुरक्षित रखरखाव या मैनेजमेंट;
(v) किसी जारीकर्ता की आभासी डिजिटल संपत्ति की पेशकश और बिक्री से संबंधित वित्तीय सेवाओं में भागीदारी और प्रावधान

अब सवाल है कि ये क़दम उठाया क्यों गया है? हमने आपको बताया ही कि आयकर विभाग और ED कई क्रिप्टो कंपनियों की जांच कर रहा है. आर्थिक जानकारों की कहें तो इस क़दम से जांच एजेंसियों को क्रिप्टो कंपनियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी.

इंडस्ट्री में क्या हलचल है?

बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री ने इस क़दम का स्वागत किया है. लेकिन अधिसूचना के व्यापक दायरे और इसे कैसे-कैसे लागू किया जाएगा, इसे लेकर चिंताएं भी हैं. हमने बात की फ़ाइनैंस एक्सपर्ट शरद कोहली से. हमने उनसे दो सवाल पूछे. पहला तो ये कि इस नोटिफ़िकेशन का क्रिप्टो की स्वीकार्यता पर क्या असर पड़ेगा? क्रिप्टो करेंसी के भविष्य की नज़र से ये पॉज़िटिव क़दम है या नेगेटिव? दूसरा सवाल ये कि इंडस्ट्री अंदर इस नोटिफ़िकेशन पर क्या रिऐक्श्न है?

डॉ शरद कोहली ने कहा,

"ये एकदम ऐसा ही है जैसे एक गिलास आधा भारी है, आधा ख़ाली है. अब कोई क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज चलाने वाले तो कहेंगे कि ये बहुत अच्छा हुआ. कैसे बहुत अच्छा हुआ? हम सब जानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी को भारत में रिकग्नाइज़ नहीं किया गया है. तो क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनी चलाने वाले तो ये कहेंगे कि क्रिप्टो सेक्टर को मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून में लाने का मतलब है कि इसको एक पहचान मिली है. इसका मतलब कि हम एक औपचारिक रिकग्निशन की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसा वो सोचते हैं. जो लोग इसे सकारात्मक मान रहे हैं, उनके ऊपर ग़ालिब की लाइन बहुत फिट बैठती है कि दिल को ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है. कि चलिए कम से कम होगी अपराध में तो आ गई. तो कहीं आगे उम्मीद बन गई.

नेगेटिव इस क़दम का ये होगा कि जो लोग क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करते हैं, उनके लिए अब दोहरे क़ानून हैं. हम सब जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल पैसों के हेर-फेर, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और यहां तक कि आतंकवाद की फंडिंग के लिए भी होता है. इस क़ानून के आने के बाद जो अपराधों पर जो क़ानून लगने हैं, वह तो लगेंगे ही. मनी लॉन्ड्रिंग का भी क़ानून लगेगा."

बीते सालों में ख़ूब क्रिप्टो-क्रिप्टो हुआ, लेकिन क्या भारत में क्रिप्टो लीगल है? जवाब हां या नहीं जितना सरल नहीं है. गूगल पर सर्च करेंगे 'is cryptocurrency legal in india?' तो जवाब आएगा: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और वित्त मंत्रालय के अलग-अलग बयानों के आधार पर ये निष्कर्ष निकलता है कि क्रिप्टोकरेंसी अवैध है, लेकिन भारत में इस पर कोई बैन नहीं है. अवैध है, मगर बैन्ड नहीं है.

असल में कोई भी मुद्रा या करेंसी अगर लीगल टेंडर के तहत है, तो ही ये मुद्रा क़र्ज़ निपटाने के काम आ सकती है. क्रिप्टोकरेंसी के 'लीगल टेंडर' होने का मतलब है कि आप इसे उस हर तरह से यूज़ कर सकते हैं जिस तरह से आप अपने स्पेसिफ़िक देश में पारंपरिक मुद्राएं जैसे डॉलर, रुपया, यूरो वग़ैरह का यूज़ करते आए हैं. माने लीगल टेंडर घोषित होने के बाद किसी भी लेन-देन या ख़रीद-फरोख्त में कोई भी उस मुद्रा को लेने से मना नहीं कर सकता. हालांकि, सरकार ने डिजिटल करेंसी को लेकर कोई पुख़्ता नियम नहीं बनाए हैं. कार्य प्रगति पर है.

वीडियो: खर्चा पानी: क्रिप्टोकरेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत लाने से दुखी कौन है?