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अस्थिर पाकिस्तान से भारत को क्या मुश्किलें हो सकती हैं?

मिलिट्री और ISI अपना कंट्रोल बनाए रखने के लिए कश्मीर और बॉर्डर इश्यूज का कैसे इस्तेमाल करती है?

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इमरान खान की गिरफ़्तारी के बाद पाकिस्तान में बवाल शुरू हो गया है (फोटो: इंडिया टुडे)

9 मई को हमने एक वीडियो देखा. काली यूनिफ़ॉर्म, हेलमेट, डंडों और शील्ड से लैस सुरक्षाकर्मी एक मुल्क की राजधानी में स्थित हाई कोर्ट में खिड़की तोड़कर घुसते हैं और एक शख्स को कॉलर से खींचकर ले जाते हैं. ये शख्स कुछ साल पहले तक इसी मुल्क का प्रधानमंत्री हुआ करता था. मुल्क का इतिहास ऐसा कि पहले प्रधानमंत्री की गोली मारकर हत्या कर दी गई. एक पूर्व प्रधानमंत्री को फांसी पर चढ़ा दिया गया और एक पूर्व प्रधानमंत्री को बीच रैली में गोलियों से भून दिया गया. और ये मुल्क हमारा पड़ोसी है. पाकिस्तान.

पड़ोसी मुल्क में हालात सही नहीं हैं. उनकी स्थानीय पुलिस तो कहती है कि हालात क़ाबू में हैं, लेकिन जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, उससे ये बयानी खोखली लगती है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान गिरफ़्तार कर लिए गए हैं. देश में हालात अराजक हैं.

जब से इमरान ख़ान ने सरकार और सेना की मुखर आलोचना शुरू की थी, तभी से उनके ख़िलाफ़ मुकदमों की संख्या बढ़ने लगी. उनके ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी होने लगे. उन्हें कई बार गिरफ़्तार करने की कोशिश भी की गईं. कई मरतबे पुलिस लाव-लश्कर लेकर इमरान के घर भी पहुंची, मगर उन्हें बेरंग ही वापस लौटना पड़ा. कुछ दफ़ा इमरान के समर्थकों ने गिरफ़्तारी नहीं होने दी, तो कई बार अदालत ने अरेस्ट वॉरंट या तो खारिज कर दिया या उसकी मियाद बढ़ा दी. बचते-बचते 9 मई 2023 की तारीख़ आ ही गई.

इमरान, 9 मई की दोपहर दो बजे, इस्लामाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे. एक केस की पेशी के लिए. वो कोर्ट के बायोमेट्रिक रूम में थे, जब पाकिस्तान की पैरामिलिट्री फ़ोर्स - पाक रेंजर्स उन्हें वहीं से उठाकर ले गई. इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के वकील ने ये भी आरोप लगाए कि गिरफ़्तारी के दौरान पाक रेंजर्स ने इमरान के सेक्योरिटी परसनल, पार्टी के अन्य सदस्यों और ख़ुद इमरान ख़ान को भी पीटा. इसके बाद तहरीक़-ए-इंसाफ़ या PTI ने अपने कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरने के लिए कहा और तभी से पूरा देश हिंसा की ज़द में है. अभी हालात कैसे हैं, आपको ये बताया जाए. इससे पहले बेसिक सवालों से ही शुरू करते हैं.

पहला सवाल तो यही कि इमरान को गिरफ़्तार क्यों किया गया है? पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद इमरान अदालत में पेश नहीं हो रहे थे, इसीलिए उन्हें हिरासत में लिया गया है. अब सवाल है कि उन्हें किस केस की पेशी के लिए बुलाया जा रहा था, जहां वो कथित तौर पर जा नहीं रहे थे?

दरअसल, इमरान "अल-क़ादिर ट्रस्ट" केस में आरोपी हैं. पाकिस्तानी अख़बार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इस मामले में उन पर और उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर इस्लामाबाद की रियल एस्टेट कंपनी "बहरिया टाउन" से 500 करोड़ रुपये और सैकड़ों कनाल - जो ज़मीन का एक माप है - लेने के आरोप हैं. एक कनाल में 5445 वर्गफुट होता है. बदले में उन्होंने कंपनी के लिए कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की, नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो NAB इसकी जांच कर रहा है. इसे आप भारत की CBI और ED को मिलाकर बने किसी संगठन की तरह समझ सकते हैं. इमरान के इस केस में जिस अल-क़ादिर ट्रस्ट का नाम आ रहा है, वो असल में एक NGO है - जिसे डोनेशन के तौर पर ज़मीन दान की गई थी. और, इस NGO के केवल दो ही ट्रस्टीज़ हैं: इमरान और बुशरा बीबी.

बीते साल जून में पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी और तभी ये एलान कर दिया था कि एक कमेटी का गठन होगा, जो इमरान पर लग रहे आरोपों की जांच करेगी. जांच चल रही थी, इमरान को-ऑपरेट नहीं कर रहे थे. इसलिए उन्हें धर लिया. ये वहां की सरकार का पक्ष है. इमरान का पक्ष क्या है? अरेस्ट से पहले इमरान ने एक वीडियो ट्वीट किया था. सीधे तौर पर सेना और सरकार पर निशाना साधा था. पाकिस्तान के सीनियर इंटेलिजेंस अफ़सर फ़ैसल नसीर का नाम लेकर कहा कि उन्होंने दो बार इमरान पर जानलेवा हमला करवाया था.

अगला सवाल ये कि अभी इमरान ख़ान कहां हैं? PTI नेताओं का दावा है कि उन्हें एक "सीक्रेट लोकेशन" पर ले जाया गया है और ये भी आशंका जताई है कि उन्हें को प्रताड़ित किया जा सकता है. आज, इमरान को इस्लामाबाद में पुलिस लाइंस मुख्यालय के न्यू पुलिस गेस्ट हाउस में पेश किया गया और वापस ले गए. रिमांड पर क्या फ़ैसला आया? इमरान खान को आठ दिनों के लिए NAB की कस्टडी में भेज दिया गया है. वैसे एजेंसी 10 दिनों की हिरासत चाहती थी.

ये तो कोर्ट का अपडेट हो गया. कोर्ट के बाहर माहौल अराजक है. देशभर में हिंसा हो रही है तोड़फोड़ हो रही है. इमरान खान के समर्थकों ने सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों को निशाना बनाया.

इमरान, अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री बने थे. उनका कार्यकाल अगस्त 2023 में पूरा होना था. लेकिन जैसी कि परंपरा रही है, पहले के 21 पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों की तरह ही इमरान अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. अप्रैल 2022 में उनके ख़िलाफ़ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. और, एक तरफ़ जहां कार्यकाल न पूरा होने की परंपरा बरक़रार रही, एक पुरानी परंपरा टूटी भी. क्या? पाकिस्तान में प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव कभी सफ़ल नहीं हुआ था. मगर इमरान के टाइम खेला हो गया और उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) गठबंधन की सरकार बनी. शहबाज़ शरीफ़ नए प्रधानमंत्री बने. इमरान ने भले ही कुर्सी छोड़ी थी, मगर राजनीति नहीं. उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ ही मोर्चा खोल दिया. वो नया आम चुनाव कराने की मांग पर अड़ गए. आज़ादी मार्च भी निकाला. मगर सरकार नहीं मानी. फिर इमरान ने अपना टारगेट बदल दिया. वो खुलकर मिलिट्री एस्टैबलिशमेंट की आलोचना करने लगे. उसी एस्टैबलिशमेंट की, जिसने उन्हें कुर्सी पर बैठने में मदद की थी.

अब सवाल ये कि इमरान ख़ान चूके कहां? असल में, ये एरर ऑफ़ जजमेंट का क्लासिक केस है. इमरान भांप नहीं पाए कि जिन लोगों के सामने वो गेंद फेंक रहे हैं, वही लोग नियम बनाते हैं.

डिफेंस एक्सपर्ट सी उदय भास्कर ने इमरान की गिरफ्तारी के बाद मनी कंट्रोल वेबसाइट पर एक एडिटोरियल लिखा. लिखा,    

'इस गिरफ्तारी से सेना की साख को धक्का लगा है. प्रदर्शनकारी सेना मुख्यालय में घुस गए और सेना के वरिष्ठ कमांडरों के घरों में तोड़फोड़ की. पाकिस्तान के इतिहास में इमरान खान से पहले ऐसा कोई नेता नहीं हुआ, जिसने जनता को सेना के खिलाफ लामबंद करने में थोड़ी भी सफलता हासिल की हो. हालांकि  "मेन-इन-खाकी" के ख़िलाफ़ इस गुस्से से राष्ट्र के पावर मैट्रिक्स में कुछ बदलेगा कि नहीं, ये अभी विचारणीय है.'

पाकिस्तान में सेना समाज, अर्थव्यवस्था और सरकार, तीनों में गहरे तक उतरी हुई है. वो मौजूदा पाकिस्तान के लिए स्टील फ्रेम की तरह है. जिसके इर्द-गिर्द बाकी संरचनाएं हैं.

इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से हिंसा हो रही है वो पहली बार नहीं है. इससे पहले भी पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि अक्सर पाकिस्तान सरकार या कोर्ट के फैसलों के खिलाफ भयानक प्रदर्शन होने लगते हैं. बवाल होने लगता है. फिर आर्मी की एंट्री होती है. जो अब तक जो हुआ सो हुआ कहकर मसला आगे न बढ़े का फैसला सुना देती है. और ऐसा एक बार नहीं, कई बार हुआ. मसलन, ऐसा तब भी देखा गया जब सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी की सजा को पलट दिया था, जिन्हें ईशनिंदा के आरोप में फांसी की सजा हुई थी. तब भी जब तहरीक ए लब्बैक पर प्रतिबंध लगा और संगठन के नेताओं को गिरफ्तार किया गया. और तब भी जब फ्रांस में एक टीचर की गला रेतकर हुई हत्या के बाद वहां के राष्ट्रपति ने कहा था कि इस्लाम को बदलने की जरूरत है. इसके बाद पाकिस्तान से फ्रांस के राजदूत को बाहर करने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए थे. और ये सब पिछले कुछ सालों की घटनाएं हैं. और इन घटनाओं से सवाल उठते हैं कि जब भी कोई कानूनी कार्रवाई होती है या फैसला आता है तो फिर बवाल होना, ट्रेंड सा क्यों बन गया है?
  
ये तो हो गई पाकिस्तान की बात अब भारत पर आते हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने इस मसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक और आंतरिक स्थिति बहुत खतरनाक है और अस्थिर पाकिस्तान न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक है. यही चिंता कई और हलकों से भी व्यक्त की गई है. सूत्रों ने दावा किया है कि भारत सरकार पाकिस्तान के हालात पर करीब से नज़र बनाए हुए है.

भारत हमेशा से अपने पड़ोसी देशों के राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर और मजबूत रहने का समर्थक रहा है. लेकिन बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान इस तरह की घटनाओं का गवाह रहा है. और हमने पहले भी देखा है जब-जब पाकिस्तान में अस्थिरता आती है, तब-तब उसका नुकसान भारत को उठाना पड़ा है. फिलहाल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आर्मी लगा दी गई है. सिंध प्रांत ने भी आर्मी से मदद मांगी है. बाकी हिस्सों में भी पुलिस और पैरामिलिट्री तैनात हैं. कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर दिया गया है. पाकिस्तान में चल रहे बवाल पर हमारी नज़र बनी रहेगी और हम नियमित रूप से आपके लिए खबरें लाते रहेंगे. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: इमरान खान की गिरफ्तारी, पाकिस्तान में बवाल, क्या भारत की मुश्किलें भी बढ़ेंगी?