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तिहाड़ जेल गैंगवॉर पर दिल्ली हाईकोर्ट में कैसे फंस गई केजरीवाल सरकार?

जेल के अंदर पुलिस के सामने हुई गैंग्स्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या.

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तिहाड़ जेल में टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के CCTV फुटेज का स्क्रीनशॉट

2 मई 2023. दिल्ली की हाई सेक्योरिटी तिहाड़ जेल से खबर आई कि सुबह चार हमलावरों ने गैंग्स्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी. तब जेल प्रशासन का कहना था कि टिल्लू की मौत हार्ट अटैक से हुई है. हालांकि, तब भी सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में यही छपा था कि लोहे की रॉड और धारदार हथियरों से टिल्लू की हत्या की गई है. अंततः प्रशासन का दावा ग़लत निकला और सूत्रों का सही. वीडियो भी सामने आए, जिसमें साफ नज़र आया कि जेल में तैनात सुरक्षाकर्मियों तक के सामने ताजपुरिया पर कई बार वार हुआ. लेकिन एक को छोड़ किसी ने दखल देने की ज़हमत नहीं उठाई.

इसी साल अप्रैल में तिहाड़ में लॉरेन्स बिश्नोई गैंग के सदस्य प्रिंस तेवतिया की हत्या हुई थी. उसे भी ताजपुरिया की तरह ही मारा गया था. ठीक इसी तरह नवंबर 2020 में दिलशेर आज़ाद नाम के अंडरट्रायल कैदी की हत्या हुई थी.

आप गूगल पर ''तिहाड़'' और ''मर्डर'' लिखकर सर्च करेंगे तो एक एक कर खबरों के लिंक मिलते हैं, जिनसे साफ होता है कि जिस तिहाड़ को कभी इंडिया तो कभी एशिया की सबसे सुरक्षित जेल माना जाता है, उसी के भीतर अपराधी कितने आराम से जब जिसे चाहें, मरवा देते हैं. तिहाड़ का प्रशासन है दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के पास. सुरक्षा है तमिल नाडु पुलिस के पास. और जो कैदी यहां रखे जाते हैं, उनका संबंध दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश में घटे बेहद संगीन अपराधों से होता है.

चूंकि ये विषय टिल्लू ताजपुरिया की हत्या से शुरू हुआ था, पहले उसी की बात करते हैं. 2 मई को 4 बदमाशों ने लोहे की रोड और सूए से टिल्लू पर हमला किया था. जैसा कि हमने अभी-अभी आपको बताया, भेद खुला, तब जाकर तिहाड़ प्रशासन ने कबूला कि चारों बदमाश जेल नंबर-9 की फर्स्ट फ्लोर पर बंद थे.

लेकिन ये टिल्लू ताजपुरिया था कौन? ये जानने के लिए आपको एक छोटा सा क़िस्सा सुनाते हैं.
तारीख़ - 24 सितंबर, 2021.
जगह - दिल्ली का रोहिणी कोर्ट.
सुबह के क़रीब 10 बजे होंगे. पुलिस की कई गाड़ियां कोर्ट के बाहर आकर रूकती हैं. दिल्ली पुलिस के 7 से 8 जवान, हथियारों के साथ उतरे और कोर्ट के अंदर एक दुर्दांत अपराधी को लेकर बढ़ने लगे. अपराधी का नाम -- जितेंद्र गोगी. दिल्ली का एक कुख्यात गैंगस्टर, जिसके नाम पर अपहरण, वसूली और हत्या के कई मुक़दमे थे. क़रीब 1 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली पुलिस ने जितेंद्र गोगी को 207 नम्बर कोर्ट में पेश किया.

जितेंद्र गोगी हाई-रिस्क पर था, माने उसकी जान को खतरा था. इसलिए पुलिस वाले ज़्यादा चौकन्ने भी थे. स्पेशल सेल के 8 जवान सिविल ड्रेस में हथियारों के साथ गोगी के साथ कोर्ट में थे. ASJ गगनदीप सिंह सुनवाई कर रहे थे. तभी अचानक, दो लोग - जो वकील के भेष में थे - अपनी कुर्सी से उठे और पिस्टल से ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे. इनका निशाना था जितेंद्र गोगी. गोगी को आठ से ज्यादा गोलियां मारी गईं. वो वहीं ढेर हो गया. स्पेशल सेल के जवान भी मुस्तैद थे, उन्होंने जवाबी फ़ायरिंग की, जिसमें दोनों हमलावरों को जान चली गई.
मामले की जांच हुई. कुछ रोज़ बाद पता चला कि जितेंद्र गोगी के मर्डर की साज़िश एक महीने पहले ही रच ली गई थी. दिल्ली की मंडोली जेल में. साज़िश करने वाले का नाम -- सुनील मान उर्फ़ टिल्लू ताजपुरिया.

टिल्लू ताजपुरिया, पर दिल्ली-NCR में हत्या, किडनैपिंग और उगाही के 19 मामले दर्ज थे. वो दिल्ली के ताजपुर गांव का था, इसीलिए नाम के आगे ताजपुरिया लगाता था. अपना गैंग दिल्ली के अलीपुर और हरियाणा के सोनीपत से चलाता था. 2016 में सोनीपत पुलिस ने टिल्लू को पहली बार गिरफ़्तार किया था और वो तब से जेल में ही था. साल 2022 आते-आते टिल्लू ताजपुरिया पर आतंकियों से जुड़े होने के आरोप भी लगने लगे और 26 अगस्त 2022 को टिल्लू समेत कई और गैंगस्टर्स के ख़िलाफ़ NIA ने एक FIR दर्ज की.

बीते छह सालों में टिल्लू और गोगी गैंग्स की भिड़ंत में 12 लोगों की हत्या हुई. ये बताता है कि तिहाड़ में बंद होने के बावजूद टिल्लू अपना गैंग ऑपरेट कर पा रहा था. आप पूछेंगे कि जब टिल्लू जेल में इतना कंफर्टेबल था, तब उसकी हत्या कैसे हो गई? तो जवाब है - अदावत. बताया जाता है कि कभी टिल्लू और गोगी पक्के दोस्त थे. दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रद्धानंद कॉलेज में साथ पढ़ते थे. फिर कॉलेज के छात्रसंग चुनावों की वजह से दोनों के बीच खटास आ गई. कुछ ऐसा मामला था कि दोनों अलग-अलग उम्मीदवारों को सपोर्ट कर रहे थे. इसी के चलते झगड़ा हो गया और शुरू हो गई रंजिश. टिल्लू का नाम गोगी की हत्या में आया और दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, जिन लोगों ने टिल्लू की हत्या की है, वो जितेंद्र गोगी गैंग के हैं.  

जेल के अंदर से गैंगवॉर की खबरें अब तक सूत्रों के हवाले से आती थीं. लेकिन इस बार सीसीटीवी फुटेज सामने आए. वीडियो में दिखता है कि तीन-चार लोग टिल्लू ताजपुरिया को उसकी सेल से निकालते हैं और फिर किसी नुकीले हथियार से उस पर बेरहमी से हमला करते हैं. और घेरकर तब तक मारते हैं जब तक वो खून से लथपथ नहीं हो जाता. इस वाकये के 4 मिनट बाद का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर आया है. जिसमें दिखता है कि कुछ पुलिसकर्मी एक चादर पर टिल्लू को लेकर आते हैं. उसी दौरान एक बार फिर कुछ कैदी एक गेट से निकलर टिल्लू पर हमला करते हैं. वीडियो जेल की सेंट्रल गैलरी का है. दोबारा जब हमला होता है, उस दौरान सभी पुलिसवाले पीछे हट जाते हैं. वीडियो में वहां वर्दी में कम से कम आठ पुलिस वाले मौजूद दिख रहे हैं. एक पुलिस वाला एक कैदी को पकड़कर दूर करता है. तब तक दूसरा कैदी टिल्लू पर किसी नुकीली चीज से हमला करने लगता है. बाकी पुलिस वाले देखते रहते हैं और उसे हटाने की कोशिश नहीं करते हैं.

इस फुटेज के बाद जेल सुरक्षा पर सवाल उठे. पहले तो टिल्लू ताजपुरिया की सेल में घुसकर हत्या हुई. उसके बाद पुलिस वालों के सामने दोबारा उस पर हमला होता है. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा. टिल्लू के पिता और भाई ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक अर्ज़ी दायर की थी, कि टिल्लू की हत्या की जांच CBI करे. साथ ही पेटिशन में ये भी कहा कि उन्हें अपने जीवन का ख़तरा है और उन्हें सुरक्षा दी जाए. इस अर्ज़ी की सुनवाई करते हुए जस्टिस जस्मीत सिंह ने कहा कि जो हुआ, वो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है. और, तिहाड़ जेल के डीजी से जवाब मांगा कि जेल परिसर के अंदर चाकू कैसे आए. कोर्ट में और क्या-क्या हुआ, वो जान लीजिए.

पहले तो पूरी घटना का CCTV फ़ुटेज ओपन कोर्ट में चलाया गया. वीडियो देखने के बाद, दिल्ली सरकार की ओर से आए वकील राहुल त्यागी ने कहा कि तमिलनाडु पुलिस, दिल्ली जेल की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है. मामले की जांच की जा रही है और इसे स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिया गया है.
इस पर जज ने कहा कि उन्होंने CCTV देखा है. कहा,

“उसे (टिल्लू को) पहले अपने सेल निकाला गया और चाकू मारकर हत्या कर दी गई. ये बिल्कुल अस्वीकार्य है. हर क़ैदी की सुरक्षा का ज़िम्मा दिल्ली प्रशासन का है. और अदालत ये समझ नहीं पा रही कि अगर पूरी घटना जेल में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई, तो जब घटना हो रही थी तब कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?”

अदालत ने ये भी निर्देश दिए कि इस पूरे मसले की जांच हो और रिपोर्ट में उन जेल अधिकारियों की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही होनी चाहिए, जो इन खामियों के लिए ज़िम्मेदार थे.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ये एक अभूतपूर्व स्थिति है और इसमें शामिल सभी लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. जब अदालत ने पूछा कि क्या किसी को निलंबित किया गया है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें निलंबन के बारे में जेल अधिकारियों से बात करनी होगी.

निलंबन के बारे में हम ही बता देते हैं. 5 मई को ही ख़बर आ गई थी कि इस हत्याकांड के सिलसिले में असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट समेत तिहाड़ जेल के नौ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया. दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले की इनक्वायरी की थी और तिहाड़ जेल के प्रमुख ने इनक्वायरी की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी. इसी के बाद ये कार्रवाई की गई थी. प्रतिवेदन के आधार पर दो सहायक अधीक्षकों और चार वॉर्डरों को निलम्बित किया गया था और दो प्रधान वॉर्डरों के ख़िलाफ़ विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ शुरू की गई है.

टिल्लू ताजपुरिया की जेल में हत्या इकलौता मामला नहीं है जिसमें तिहाड़ जेल प्रशासन सवालों के घेरे में रही हो. पिछले साल दिल्ली सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को स्पेशल ट्रीटमेंट के मामले में भी तिहाड़ जेल प्रशासन पर सवाल उठे थे. दरअसल प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. उन पर शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था.

गिरफ्तारी के बाद सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. अक्टूबर 2022 में ED ने दिल्ली की एक कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि सत्येंद्र जैन, जेल में 'ऐश-ओ-आराम' वाला जीवन बिता रहे हैं. हेड मसाज, फ़ुट मसाज और बैक मसाज करवा रहे हैं. VIP ट्रीटमेंट मिल रहा है. उन्हें घर का खाना मुहैया करवाया जाता है. और 14 नवंबर की तारीख को तिहाड़ जेल का एक सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होता है. वीडियो में सत्येंद्र जैन मसाज कराते हुए नजर आ रहे थे.

इधर आम आदमी पार्टी कहती है कि सत्येंद्र जैन की तबीयत ठीक नहीं, इसलिए उन्हें फिजियोथेरपिस्ट मुहैया कराया गया है. लेकिन मसला यहीं तक नहीं रूकता. एक के बाद एक कई और वीडियो आते हैं. किसी वीडियो में सत्येंद्र जैन, बाहर का खाना खाते दिखते हैं तो किसी में लोगों और जेल के सीनियर ऑफिशियल्स के साथ मीटिंग करते. यहां आपको बता दें कि जैन तब दिल्ली सरकार में जेल मंत्री हुआ करते थे और तिहाड़ जेल दिल्ली सरकार के ही अंतर्गत आता है.

जेल में VIP सुविधा देने पर विवाद शुरू हुआ तो 14 नवंबर को जेल नंबर 7 के सुपरिटेंडेंट अजित कुमार को सस्पेंड कर दिया गया. इससे पहले 4 नवंबर को डीजी जेल संदीप गोयल को भी पद से हटाकर मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया था. इस पूरे मामले में तिहाड़ जेल के 50 से अधिक कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई थी. दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय सक्सेना ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम, प्रिंसिपल सेक्रेटरी लॉ, प्रिंसिपल सेक्रेटरी विजिलेंस की एक जांच कमेटी बनाई थी. जिसने जैन पर लगे आरोपों को सही पाया था. कमेटी ने पाया था कि जैन की सेवा में लगा व्यक्ति कोई फिजियोथेरपिस्ट नहीं बल्कि बलात्कार का एक आरोपी है. इसके अलावा जैन, तय समय के अलावा भी लोगों से मुलाकात करते थे. इसमें वो लोग भी शामिल थे जो सत्येंद्र जैन के मामले में सह-आरोपी थे.

अब अगर आप सोच रहे हैं कि जेल के अंदर इस तरह का सिस्टम केवल तिहाड़ में ही है तो आप गलत हैं. 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के दौरान मऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था,

"यहां का बाहुबली जेल मुस्कुराते हुए जाता है, क्योंकि यहां जेल से ही गैंग चलता है.बाहुबलियों के लिए जेल महल होती है. जेल से गैंग चलाने वाले लोग सुन लें, 11 मार्च के बाद वक्त बदलने वाला है, सारा खेल खत्म होने वाला है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये बयान मऊ सदर के तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी को लेकर था. मुख्तार उस समय बांदा जेल में बंद था. और वहीं से चुनाव लड़ रहा था. मार्च 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. शुरूआती दिनों में बतौर मुख्यमंत्री एक सख्त प्रशासक की छवि गढ़ने में लगे हुए थे. उनकी इस छवि को धक्का लगा 9 जुलाई 2018 के दिन. खबर आई कि कड़ी सुरक्षा वाली बाग़पत जेल के भीतर पूर्वांचल के कुख्यात गैंग्स्टर प्रेम प्रकाश शुक्ल उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई है. 8 जुलाई को यानी एक दिन पहले ही मुन्ना बजरंगी को झांसी से बागपत जेल लाया गया था. और इसी जेल में बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर सुनील राठी ने गोली मारकर मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी.

अभी बजरंगी की हत्या का मामला शांत भी न हुआ था कि अतीक अहमद पर उत्तर प्रदेश की जेलों में रहते हुए भी जमीन कब्जाने के आरोप लगने लगे. 2019 में एक प्रॉपर्टी डीलर को लखनऊ से देवरिया जेल अगवा कर ले जाने का आरोप लगा. प्रॉपर्टी डीलर ने कहा कि उसे अतीक ने जेल में पीटा और जबरन कागज पर साइन कराए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल ट्रांस्फर करने का आदेश दिया. लेकिन जेल से चल रहा उसका काला कारोबार नहीं रुका. 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या हो गई. जांच के दौरान पता चला कि उमेश पाल की हत्या का पूरा प्लान साबरमती जेल में बंद अतीक और उत्तर प्रदेश की बरेली जेल में बंद अशरफ ने बनाई. बरेली जेल का सीसीटीवी फुटेज भी आया जिसमें उमेश पाल को गोली मारने के सारे आरोपी एक साथ अशरफ से मिलने गए थे. बरेली जेल में ही उमेश पाल की हत्या की फाइनल प्लानिंग हुई. हत्याकांड के बाद जांच में पता चला कि बरेली जेल प्रशासन की ओर से अशरफ को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा था. जेल विभाग ने जांच के बाद बरेली जेल के अधीक्षक राजीव शुक्ला को सस्पेंड कर दिया. राजीव शुक्ला के साथ-साथ प्रयागराज के नैनी जेल के वरिष्ठ अधीक्षक शशिकांत और बांदा जेल के अधीक्षक अविनाश गौतम को भी सस्पेंड कर दिया गया. नैनी जेल में अतीक का बेटा अली बंद था. और बांदा जेल में पूर्व विधायक और गैंग्स्टर मुख्तार अंसारी. जेल प्रशासन पर इन दोनों को सुविधा मुहैया कराने का आरोप लगा. इसके अलावा बरेली जेल के डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह समेत पांच जेलकर्मियों को भी निलंबित किया गया.

उत्तर प्रदेश से अब पंजाब चलते हैं. लॉरेंस बिश्नोई. हत्या, फिरौती, अपहरण सहित कई अपराधों के कुल 36 मुक़दमों में नामजद. 2014 से ही बठिंडा जेल में बंद है. 15 मार्च को एक टीवी चैनल पर उसका इंटरव्यू एयर किया गया. दावा किया गया कि ये इंटरव्यू जेल से ही किया गया, लेकिन बैकग्राउंड में अंधेरा होने की वजह से ये साफ़ नहीं हो पाया कि वो बैठा कहां है.

इंटरव्यू जेल से लिया गया, जेल प्रशासन ने इस दावे को सीधे ख़ारिज किया था. उनका कहना है कि इंटरव्यू पुराना है और जेल से नहीं लिया गया. पंजाब सरकार ने भी प्रेस रिलीज़ जारी की, कि वीडियो न तो बठिंडा जेल का है और न ही पंजाब की किसी और जेल का. ये बात निराधार है कि साक्षात्कार बठिंडा जेल के अंदर से रिकॉर्ड किया गया था. बठिंडा जेल अधीक्षक एनडी नेगी का कहना था कि जेल में जगह-जगह जैमर लगे हैं और वहां फोन काम नहीं करते. इसलिए जेल के अंदर से कोई भी इंटरव्यू मुमकिन ही नहीं है.

साशन-प्रशासन के इन दावों के बाद बिश्नोई का एक और इंटरव्यू आया. फिर से जेल से ही. सरकार ने तुरंत कोई ऐक्शन लिया हो, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, इसके बाद चंडिगढ़ के वकील ने पंजाब-हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, कि इस पूरे मामले की जांच हो.

जेल के अंदर गैंगवॉर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, पूरा नेटवर्क चलाना. ये हमने आपको अलग-अलग राज्यों की कुछ कहानियां बताईं. फिर चाहे वो गुजरात का साबरमती जेल हो, यूपी की बरेली, नैनी जेल या बांदा जेल हो, या फिर हिंदुस्तान की सबसे चर्चित और सुरक्षित कही जाने वाली तिहाड़ जेल हो, हर जगह करप्शन और क्राइम का गठबंधन देखने को मिलता है. अब यहां सवाल ये है कि आखिर कैसे क्राइम और करप्शन के गठबंधन से जेल अपराधियों का सेफहाउस बनता जा रहा है?

तिहाड़ जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जेल में कैदियों के पास से हथियार बरामद होने की खबरें आती रहती हैं. कुछ हथियार वो जेल में टाइल्स और एग्जॉस्ट फैन की पत्तियों को भी तोड़ कर भी बना लेते हैं. अब जेल में कुछ कैदी ऐसे होते हैं जिनके होने से दूसरे लोगों को खतरा होता है. यानी जो दूसरे कैदियों के लिए खतरा हो सकते हैं. साथ ही ऐसे कैदी भी होते हैं जिनके लिए दूसरे कैदी खतरा हो सकते हैं. यानी जिन्हें दूसरे कैदियों से जान का खतरा हो सकता है. इस तरह के कैदियों के लिए होती है जेल के अंदर होती है हाई सिक्योरिटी वार्ड की व्यवस्था. अधिकतर नामी अपराधियों को हाई सिक्योरिटी वार्ड में ही रखा जाता है.

हमारे कानून में जेल की व्यवस्था की गई ताकि अपराधियों को सजा दी जा सके. उन्हें सुधारा जा सके. जेल इसलिए थे कि कोई भी व्यक्ति अपराध करने से डरे कि अगर वो अपराध करता है तो जेल में डाल दिया जाएगा. लेकिन आज सीन एकदम उल्टा है. अपराधी चाहता है कि वो जेल में ही रहे. कोई अपराधी जेल के अंदर से मीडिया को इंटरव्यू दे रहा है तो कोई अपराधी जेल के अंदर ही लोगों को अगवा कर उठा ला रहा है. कोई जेल के अंदर मालिश करवा रहा है तो कोई अपने परिवार के साथ पकड़ा जा रहा है. जेल के अंदर से ही ये अपराधी अपने आपराधिक साम्राज्य को ऑपरेट कर रहे हैं. जेल के अंदर अपराधियों को सारी सुविधाएं मुहैया मिल रही हैं. जिन जेलों का काम अपराधियों के मन में भय पैदा करना था वो उनके लिए ऐशगाह और सेफहाउस बन गई है. ये बेहद चिंता की बात है.

पुलिस-अदालत-जेल. न्याय व्यवस्था का चक्र इन तीन संस्थाओं के बिना ठीक से नहीं चल सकता. जब तक ये अपने काम में असफल होते रहेंगे, तब तक हमारे सामने वो खबरें आती रहेंगी, जिनमें लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं, खुद जज बन जाते हैं. जिन देशों को हम बनाना रिपब्लिक कहते हैं, वहां इसी तरह काम चलता है. जिसकी लाठी, उसकी भैंस. अब हमें ये चुनना है कि हम क्या कहलाना पसंद करेंगे.

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