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"ख़ान सर" का नाम पूछा गया, लल्लनटॉप के कमरे में जवाब दिया!

खान सर ने बताया, कैसे उन्होंने 'खान GS रिसर्च सेंटर' खोला.

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लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में ख़ान सर.

पटना वाले खान सर. इनके पढ़ाने का तरीका इतना निराला है कि सोशल मीडिया पर ये वीडियो भयंकर वायरल होते हैं. लेकिन एक सवाल अक्सर लोग पूछते हैं कि आखिर इनकी कोचिंग का नाम 'खान GS रिसर्च सेेंटर' ही क्यों है. खान सर जब लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में आए तो उनसे ये सवाल पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा, 

“हमने देखा है कि टीचर (सरनेम) को उसके टाइटल से बुलाया जाता है या उसका नाम भी उसके टाइटल से ही रखा जाता है. तो हमारे भी मन में आया कि क्या नाम रखा जाए. जो भी स्टूडेंट थे हमारे उन्होंने ख़ान सर बुलाना शुरू किया और कहा कि सर जैसा आप पढ़ाते हैं ऐसा लगता ही नहीं है कि आप GS पढ़ा रहे हैं. ऐसा लगता है की हम GS में रिसर्च कर रहे हैं. तो हमने नाम रख दिया ख़ान GS रिसर्च सेंटर.”

ख़ान सर ने ये भी बताया कि जो भी नाम रखता है उसको नहीं पता होता है कि आगे चलकर उसकी कोचिंग का नाम कितना मशहूर होगा. उन्होंने कहा कि अगर शुरुआत में अगर किसी को पता होगा कि ऐसा होने वाला है तो वो कुछ सोचकर और भी नाम रख सकता है. मज़ाकिया लहज़े में उन्होंने कहा कि नाम तो कुछ भी रख सकते हैं, स्पेस स्टेशन ही नाम रख दो. ख़ान सर ने आगे बताया, 

“स्टार्टिंग फेज़ में हमको आईडिया नहीं था आगे क्या होगा. हम बस पढ़ा रहे थे. हमने 6 लोगों से शुरुआत की थी. और आज इतने ज़्यादा हो गए है हमे भी नहीं पता है.”

कोचिंग की शुरुआत कैसे हुई 

गेस्ट इन द न्यूज़ रूम में खान सर ने बताया कि उन्होंने पढ़ाने की शुरूआत कैसे की थी. उन्होंने बताया कि शुरू में उन्हें पढ़ने में दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन ग्यारहवीं कक्षा के बाद से उनके जीवन में बदलाव आने शुरू हुए. उन्होंने बताया, 

“घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो पापा ने कहा कि तुम कुछ कर लो, कुछ सीख लो. उस समय हमे समझ नहीं आया क्या सीखें, क्या पढ़े. इसलिए शुरुआत में हमने वेल्डिंग का काम करना शुरू कर दिया. फिर JCB चलाना सीखा. लेकिन फिर एक दिन हमारे दोस्तों ने कहा कि इन सबसे कोई काम नहीं चलेगा. इसके बाद में हमने होम ट्यूशन देना शुरू किया. वहां लड़के सब हमारी ही तरह थे. कोई पढ़ना नहीं चाहता था. लेकिन जब हमने पढ़ाना शुरू किया तो उनका मन लगने लगा. आसपास के लोगों ने भी अपने बच्चों को हमारे पास पढ़ने के लिए भेजना शुरू किया. बाद में हमारे पास कोचिंग सेंटर से ऑफर आने लगे. तो हमने वहां से शुरुआत करते हुए एक दिन अपना ही कोचिंग सेंटर खोल लिया.”

ख़ान सर ने ये भी बताया कि उनका पढ़ाई में इसलिए मन नहीं लगता था क्योंकि जो भी टीचर जो भी सब्जेक्ट उन्हें पढ़ाते थे वो उन्हें समझ नहीं आता था. इसलिए उन्होंने जब पढ़ाना शुरू किया अपने अलग तरीके से पढ़ाया. 

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