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नॉर्थ कोरिया ने बटन दबाया तो मिसाइल कितने मिनट में अमेरिका पहुंच जाएगी?

क्या उत्तर कोरिया की परमाणु हथियार वाली मिसाइल को अमेरिका रोक लेगा?

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नॉर्थ कोरिया का तानाशाह किम जॉन्ग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो - रायटर्स/गेटी)

आए दिन ख़बरें आती हैं कि नॉर्थ कोरिया (North Korea) के तानाशाह किम जॉन्ग-उन (Kim Jong-Un) ने बैलिस्टिक मिसाइल दाग़ दी. कभी साउथ कोरिया की तरफ़, कभी जापान के पार, कभी अंतरराष्ट्रीय समुद्री बॉर्डर पर. बाक़ी न्यूक्लियर प्रोग्राम्स और टेस्टिंग से जुड़ी ख़बरें भी आती ही हैं.

नॉर्थ कोरिया की हर देश से अदावत है. ईरान, रूस और चीन जैसे कुछ अपवादों को छोड़ कर. इस तरह की ख़बरें भी चलती हैं कि किम जॉन्ग-उन न्यूक्लियर मिसाइल्स भी छोड़ सकता है. इसी बाबत नॉर्थ कोरिया के सगे-संबंधी चीन में एक स्टडी हुई — कि अगर नॉर्थ अमेरिका पर न्यूक्लियर मिसालइल लॉन्च करे, तो कितना टाइम लगेगा?

अमेरिका नॉर्थ कोरिया से आधी दुनिया दूर है. लिट्रली सात समुंद्र पार जितना. मगर इस चीन की स्टडी के मुताबिक़, अगर किम जॉन्ग-उन वो 'लाल बटन' दबा दे, तो एक इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लगभग 33 मिनट में अमेरिका तक पहुंच सकती है.

'बस इतने मिनट में!'

ओपन न्यूक्लियर नेटवर्क की ऐनालिस्ट तियानरान जू ने न्यूज़ संगठन CNN को बताया कि चीनी वैज्ञानिकों ने अमेरिका पर उत्तर कोरिया के मिसाइल हमले का आंकलन किया. और, निष्कर्ष डराने वाले हैं. अगर मिसाइल का डिफ़ेंस सिस्टम इसे रोकने में विफल रहा, तो मिसाइल मध्य अमेरिका तक केवल 33 मिनट में पहुंच जाएगी. ख़तरे की सबसे ज़्यादा ज़द में पश्चिमी तट और पूर्वी तट हैं.

बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियरिंग में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि अध्ययन में उत्तर कोरिया की ह्वासोंग-15 मिसाइल के काल्पनिक लॉन्च को बारीक़ी से पढ़ा-देखा गया है. ये मिलाइल 13,000 किलोमीटर तक जाने वाली वाली परमाणु-सक्षम मिसाइल है. यानी अमेरिका के किसी भी हिस्से पर गिराई जा सकती है.

अमेरिका क्या-क्या कर सकता है?

अगर मिसाइल उत्तर-कोरिया के बीचोंबीच से लॉन्च की जाती है, तो अमेरिका के रक्षा मुख्यालय को 20 सेकंड बाद अलर्ट मिलेगा. इंटरसेप्टिंग मिसाइलों का पहला जत्था अलास्का के फोर्ट ग्रीली से 11 मिनट के अंदर उड़ान भरेगा. अगर वो विफल हो जाएं, तो कैलिफोर्निया में वैंडेनबर्ग स्पेस फ़ोर्स बेस से इंटरसेप्टर्स का एक और जत्था लॉन्च किया जाएगा.

हालांकि, अध्ययन में ये बात भी है कि किसी हमले की पहचान करने और बचाव करने के लिए अमेरिका के मौजूदा मिसाइल डिफ़ेंस नेटवर्क में कई ख़ामियां हैं. अलग-अलग अमेरिकी रिपोर्टों में दर्ज भी है कि अमेरिका का ग्राउंड-आधारित मिड-कोर्स डिफेंस (GMD) प्रोग्राम का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है नहीं. 

सेंटर फ़ॉर आर्म्स कंट्रोल ऐंड नॉन-प्रोलिफेरेशन के मुताबिक़, GMD सिस्टम ने पहले से तय और नियंत्रित टेस्ट्स में भी केवल 55% काम किया है. माने कि 100 मिसाइलें बता के छोड़ी जाएं, तो भी ये केवल 55 को ही रोक पाएगा. असल दुनिया में, बिना बताए मिसाइलें आएं, तो इस सिस्टम पर कितना भरोसा किया जा सकता है? सवाल वाजिब है.

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