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10 घटनाएं बताती हैं खालिस्तान आंदोलन फिर से सिर उठा रहा है!

ऐसी-ऐसी साजिशें शामिल हैं, जो अगर घट जाएं, तो किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं होगा.

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अमृतपाल सिंह ने कहा कि खालिस्तान की मांग कभी खत्म नहीं होगी | सभी फोटो: आजतक

'खालिस्तान' शब्द फिर चर्चा में है. एक शख्स की वजह से. नाम है अमृतपाल सिंह. 'वारिस पंजाब दे' गुट का मुखिया और खालिस्तान का कट्टर समर्थक. गुरुवार को इसने पंजाब के अमृतसर में ऐसा बवाल काटा, जैसा एक लोकतांत्रिक मुल्क में शायद ही देखने को मिले. अमृतपाल घुस पड़ा अपने हजारों समर्थकों के साथ एक थाने में. हाथों में लंबी-लंबी तलवारें, बड़ी-राइफलें. ऐसा माहौल कि आदमी सहम जाए. कानून व्यवस्था, पुलिस सब, मानो अमृतपाल के आगे गिड़गिड़ा रहे हों. पुलिसवालों को मारा पीटा, अस्पताल पहुंचा दिया. ये सब क्यों? केवल इसलिए कि अमृतपाल के एक साथी लवप्रीत उर्फ़ तूफान सिंह को पुलिस ने पूछ्ताछ के लिए पकड़ लिया था. उसके खिलाफ अपहरण और मारपीट का एक मामला दर्ज हुआ था. इस पूरी कहानी का अंत क्या हुआ? वही जो अमृतपाल ने चाहा, तूफान को छोड़ दिया गया.

अब हौसला बढ़ गया था, अमृतपाल सिंह ने मीडिया के सामने आकर बड़े-बड़े बयान दे डाले. उसने देश के गृह मंत्री अमित शाह को सीधी धमकी दे दी. ये भी कहा कि खालिस्तान की मांग जारी है और कभी खत्म नहीं होगी. खुलेआम दिए गए इन बयानों से एक बात तो सीधे-सीधे समझ में आती है कि खालिस्तान के समर्थक अपनी मांग के साथ डटे हुए हैं. इस एक घटना से पहले भी हाल के सालों में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिससे पता चलता है कि खालिस्तान मूवमेंट फिर से सिर उठा रहा है.

1- इसी फरवरी की बात है. शिवरात्रि पर ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के गायत्री मंदिर में पाकिस्तान से एक फोन आया. फोन पर धमकी दी गई. कॉल करने वाले ने मंदिर की समिति के अध्यक्ष से खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने को कहा. कॉलर ने धमकी दी कि खालिस्तान जिंदाबाद कहने पर ही मंदिर में शिवरात्रि का त्यौहार मनाने की इजाजत मिलेगी.

2- ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में हाल ही में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई. आरोप सीधे तौर पर खालिस्तान समर्थक आंदोलन से जुड़े लोगों पर लगा. 12 जनवरी, 2023 को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्वामीनारायण मंदिर पर हमला किया गया. इसके बाद 16 जनवरी को विक्टोरिया में श्री शिवा विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ हुई, तो वहीं 23 जनवरी को मेलबर्न के इस्कॉन टेंपल में भी बवाल हुआ.

3- जनवरी में ही ऑस्ट्रेलिया से एक वीडियो आया. मेलबर्न स्क्वायर में भारत का तिरंगा लिए कुछ लोगों के साथ मारपीट की जा रही थी. हमला करने वाले खालिस्तानी समर्थक थे और उन्होंने 'खालिस्तान' का झंडा भी अपने हाथों में पकड़ रखा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तान समर्थित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने 29 जनवरी को खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करवाने की घोषणा की थी. तिरंगा लिए भारतीयों ने जनमत संग्रह का विरोध किया था. इसके बाद ही मारपीट शुरू हुई. हमला करने वालों ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए.

4- नवंबर, 2022 को अमृतसर में शिवसेना नेता सुधीर सूरी की हत्या कर दी गई. सुधीर खालिस्तान के तगड़े वाले विरोधी थे. और इस वजह से कई सालों से खालिस्तानियों की हिट लिस्ट में थे. सूरी के परिवार के मर्डर का आरोप अमृतपाल पर लगाया. पुलिस ने वारदात के कुछ देर बाद ही हमलावर संदीप सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

संदीप कार में खालिस्तानियों का पोस्टर लगा हुआ था. उसने सूरी को मारने से पहले कई बार अमृतपाल सिंह से मुलाकात की थी. कुछ रोज बाद ही सुधीर सूरी के मर्डर की जिम्‍मेदारी कनाडा में बैठे गैंगस्‍टर लखबीर सिंह लंडा ने ली. लंडा भी खालिस्‍तानी समर्थक माना जाता है. पुलिस ने पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला के खिलाफ भी मामला दर्ज किया.

5- 6 जून, 2022 अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) परिसर में खालिस्तान समर्थक जमा हुए. इस दिन इन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी मनाई. इस कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए. साथ ही जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी लहराए गए.

इससे पहले 6 जून, 2020 को स्वर्ण मंदिर में बरसी मनाई गई थी. इसमें अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा था कि प्रत्येक सिख खालिस्तान चाहता है. यदि भारत सरकार खालिस्तान देती है तो वे ले लेंगे.

6- 9 मई, 2022 की शाम को पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर में एक ब्लास्ट हुआ. पंजाब पुलिस ने इसे माइनर ब्लास्ट बताया. क्योंकि कोई हताहत नहीं हुआ था. लेकिन, फिर पता लगा कि ये हमला रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG) से हुआ था. अब ये हमला छोटा नहीं रह गया था. आरपीजी रॉकेट लॉन्चर से हमला छोटी बात नहीं थी. हमले के तार जुड़े वांटेड गैंगस्टर हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा से. रिंदा के एक सहयोगी के मोबाइल की लोकेशन ब्लास्ट वाली जगह पर मिली. 'रिंदा' फिलहाल पाकिस्तान में रहता है. खालिस्तान आंदोलन का वो भी बड़ा समर्थक है.

7- दिसंबर 2020 में सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने अमेरिका के वॉशिंगटन में एक कार रैली का आयोजन किया था. ये रैली तब भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में निकाली गई थी. इस रैली में वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और पेंसिल्वेनिया से लोग आए थे. शांति से चल रहे प्रदर्शन को कुछ देर बाद खालिस्तान समर्थक युवाओं ने अपने कब्ज़े में ले लिया. उनके पास खालिस्तान के झंडे और पोस्टर्स भी थे, जिस पर लिखा था कि वे रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं. आरोप है कि इन लोगों ने वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के पास लगी महात्मा गांधी की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया और मूर्ति पर खालिस्तान का झंडा लगा दिया.

8- सितंबर 2019 में पंजाब पुलिस ने 'खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स' नाम के एक टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया. तरनतारन में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई. इनके पास से 5 AK-47 राइफल्स, 16 मैगज़ीन, 472 राउंड कारतूस, चार चाइना मेड 30 बोर पिस्टल, 72 कारतूस और 5 सेटेलाइट फोन बरामद हुए. इसके अलावा करीब 1 लाख की नकली करेंसी भी पकड़ी गई. पूछताछ में पता लगा कि 6 सितंबर से 16 सितंबर, 2019 के बीच ड्रोन की मदद से ये सारी खेप पाकिस्तान से भारत के पंजाब में पहुंचाई गई थी. पुलिस का मानना था कि इसका इस्तेमाल 26/11 जैसे किसी हमले को अंजाम देने के लिए होने वाला था.

9- 27 नवंबर, 2016 को सुबह का समय. अचानक १० हथियारबंद हमलावरों ने पटियाला की नाभा जेल पर अटैक कर दिया. ये हमला हुआ था जेल में बंद खालिस्तानी आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू को छुड़ाने के लिए. छुड़ा भी ले गए. हरमिंदर के साथ 5 और गैंगस्टर भी साथ लेकर गए. हालांकि, पुलिस की मुस्तैदी की वजह से मिंटू को अगले दिन ही अरेस्ट कर लिया गया. मिंटू को सुबह साढ़े तीन बजे दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया. उसने बाल और दाढ़ी काट कर भेष बदल लिया था. पता लगा मिंटू को विदेश भेजने की पूरी तैयारी हो चुकी थी.

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खालिस्तानी हरमिंदर सिंह मिंटू

10- साल 2016 में ही पंजाब पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा किया. पंजाब की काउंटर इंटेलिजेंस टीम ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स’ (KZF) के तीन आतंकियों को अरेस्ट किया था. इनके कब्जे से दो पिस्तौल और 16 कारतूस बरामद किए गए थे. पाकिस्तान में बैठे पंजाब के आतंकियों ने इन्हें एक बड़ी घटना को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी थी.

पूछताछ में आतंकियों ने बताया था कि वे बेल्जियम में बैठे ‘खालिस्तान कमांडो फोर्स’ के जगदीश सिंह उर्फ भूरा, इंग्लैंड में बैठे कुलदीप सिंह कीपा और जसबीर सिंह उर्फ जस्सी के संपर्क में थे. कीपा सिंह ने कुछ बहुत बड़ा प्लान किया था, जिससे खालिस्तान आंदोलन फिर से भारत में सिर उठा सके. ये प्लान था एक के बाद एक कई बड़े नेताओं की हत्या का. नेताओं में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, उनके बेटे सुखबीर सिंह और BJP के कुछ नेताओं का नाम शामिल था. इसके खुलासे के बाद से भारत सरकार कुलदीप सिंह कीपा के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है.

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वीडियो: सोशल लिस्ट: पंजाब हिंसा, अमृतपाल सिंह, लवप्रीत तूफान और खालिस्तान पर सोशल मीडिया पर क्या चला?