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INS विक्रांत में हैं अस्पताल, कई मंजिल, और 1700 लोगों का खाना बनाने वाली रसोई

भारत के इस धांसू जहाज के बारे में ये जानकारी बस यहीं मिलेगी!

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भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर - आईएनएस विक्रांत

खबर है कि आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) भारतीय नौसेना के बेड़े में वापिस आ रहा है. इस साल 2 सितम्बर को. जो पुराना वाला था, वो नहीं. नया स्वदेशी मॉडल. बस नाम ही सेम है, और सबकुछ नया. क्या है आईएएनएस विक्रांत? एयरक्राफ्ट कैरियर या विमानवाहक युद्धपोत. मतलब जंगी जहाज, जिस पर ढोए जाते हैं लड़ाकू हवाई जहाज. मई 2023 तक ये कॉम्बैट रेडी माने युद्ध के लिए तैयार हो जाएगा.  

विक्रांत की एंट्री भारतीय नौसेना के लिए काफी महत्त्व रखती है. क्योंकि भारत के पास केवल एक विमानवाहक युद्धपोत है. रूसी ओरिजिन का आईएनएस विक्रमादित्य. आईएनएस विक्रांत के कमीशन होने के बाद अपने देश में दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे.

कितना लंबा चौड़ा ऊंचा है INS Vikrant? 

लंबाई 262 मीटर-चौड़ाई 60 मीटर 

वजन 45 हजार टन. इंडिया टुडे के पत्रकार मनजीत नेगी की रिपोर्ट के हवाले से बात करें तो इसमें चार एफ़िल टावर के बराबर लोहे का इस्तेमाल किया गया है. 

कितनी लंबी तार बिछी है? 2400 किलोमीटर लंबी. कोच्चि से दिल्ली की जितनी दूरी है, उससे बस थोड़ी ही कम. और ये बस बिजली वाली तार नहीं होती हैं, मोटी-चौड़ी तारें, जो जहाज के काम में जरूरी होती हैं. 

चार गैस टर्बाइन लगी हैं. कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी. इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील प्रति घंटा है. मतलब 52 किलोमीटर प्रति घंटा मोटामोटी. 

एक बार में कितने सैनिक-जहाज-मिसाइल भरकर चलेगा?

खबरों के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 फाइटर प्लेन्स और हेलिकॉप्टर को ले जाने में सक्षम है. ये जहाज मिग-29K (MiG-29K) लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर (Kamov-31) और MH-60R मल्टी रोल हेलीकॉप्टर को लाने-ले जाने के लिए तैयार है. 

विक्रांत को बराक और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है. कोच्चि शिपयार्ड (Kochi Shipyard) के सीएमडी मधु एस नायर ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया है कि 

“इसमें 2,300 से अधिक केबिन हैं, जिन्हें लगभग 1700 नौसैनिकों के लिए डिज़ाइन किया गया है. नौसेना में पहली बार शामिल हो रही महिला अधिकारियों के लिए एक विशेष केबिन बनाया गया है.“

आईएनएस विक्रांत (सोर्स: पीटीआई)
आईएनएस विक्रांत के अंदर क्या-क्या है?

15 मंज़िलें हैं. हर मंज़िल पर अलग अलग तरह के ऑपरेशन सेंटर हैं. 

16 बेड का एक आधुनिक हॉस्पिटल है. इसमें दो ऑपरेशन थिएटर भी हैं.  

लम्बे समय तक समुद्री मोर्चे पर तैनात रहने वाले नौसैनिकों के लिए आईएनएस विक्रांत में आधुनिक किचन बनाई गई है. इसे गैली कहा जाता है. इस ख़ास किचन में रोटी बनाने की मशीन से लेकर बड़े-बड़े बॉयलर हैं. इसमें एक साथ सैकड़ों नौसैनिकों के लिए भोजन बन सकता है. क़रीब 1700 नौसैनिकों के खाने-पीने का इंतज़ाम हैं. 

शिप कंट्रोल सेंटर है, जिससे जहाज को चलाने-दौड़ाने-तैराने और लड़ाने में मदद मिलती है.

एयर कंट्रोल डेक है, लेफ़्टिनेंट कमांडर अजय सिंह इंडिया टुडे से बताते हैं कि इस डेक में मौजूद आधुनिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम के ज़रिए एयर ऑपरेशन पर नज़र रखी जाती है. मतलब ऐसे समझिए कि जो जहाज-हेलीकॉप्टर उड़ रहा है, या उड़ेगा, या लैंड करेगा, वो सब देखने-ताकने-कंट्रोल करने का काम इस डेक का.

इसके अलावा है दो चौचक रनवे. एक उड़ाने के लिए, एक उतारने के लिए. मिलाकर लंबाई 8 किलोमीटर की.

विक्रांत में डैमेज कंट्रोल सेंटर भी है, जहां से हर वक्त आग या पानी से होने वाली दुर्घटना पर नज़र रखी जाती है.

आईएनएस विक्रांत है बेहतरीन तकनीकों से लैस (सोर्स: पीटीआई)
पहले भी तो एक आईएएनएस विक्रांत हुआ करता था?

हां. एकदम हुआ करता था.

पुराना आईएएनएस विक्रांत यूके से मिला हुआ एयरक्राफ्ट कैरियर था, और ये भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर था. साल 1997 में नेवी से डीकमीशन हो गया.

ये नया वाला बना तो बन ही गया. लीगेसी भी बनाए रखनी थी और पहले कैरियर की शान भी. तो इस वाले को भी विक्रांत का नाम दिया गया. 

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