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Exclusive : खेलो इंडिया गेम्स में जो हुआ उससे भारत का खेल प्रेमी सिर्फ शर्मिंदा हो सकता है

ऐसे इंतज़ाम के साथ खेलों को आगे बढ़ाएंगे हम?

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Megan Rapinoe और Delhi Vs Odisha Match की टीम लिस्ट
ऊपर फोटो देखी आपने? राइट साइड में चीखती हुई एक लड़की दिख रही है. सफेद जर्सी में. वह अमेरिका की फुटबॉलर मेगन रपीनो हैं. वही रपीनो जिन्होंने अमेरिका को विश्व चैंपियन बनाया. फिर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से भिड़ गईं. वही रपीनो जो साल की बेस्ट फुटबॉलर चुनी गईं, लेकिन व्हाइट हाउस जाने से मना कर दिया.
वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, 'मैं **** व्हाइट हाउस नहीं जा रही' रपीनो के इस कमेंट को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी थी. रपीनो सिर्फ अपने खेल के लिए मशहूर नहीं हैं. उनकी पर्सनल लाइफ भी बहादुरी की मिसाल है. वह एक समलैंगिक हैं. उनकी पार्टनर सू बर्ड मशहूर बास्केटबॉल स्टार हैं. रपीनो की पर्सनल लाइफ, उनके खेल और उनके स्टैंड ने दुनियाभर में तारीफ बटोरी. उनकी हिम्मत को देखते हुए लोग उन्हें एक मिसाल बताते हैं, हीरो बताते हैं.
ये हो गई अमेरिका की, वहां की एक दबंग फुटबॉलर की बात. लेकिन जब हम अपने देश में फुटबॉल की हालत पर नज़र डालते हैं, तो सिवाय शर्मिंदगी के कुछ हमारे हाथ नहीं लगता.
ऐसा ही कुछ हुआ गुवाहाटी में चल रहे खेलो इंडिया गेम्स में.

# तोड़ डाले नियम

खेलो इंडिया गेम्स में कई तरह के गेम्स होते हैं. इनमें फुटबॉल भी शामिल है. ये ख़बर उसी फुटबॉल से जुड़ी है. अंडर-21 एजग्रुप में दिल्ली और ओडिशा का मैच था. टीम लिस्ट आई तो वहां बैठे मीडियाकर्मी, (मीडियाकर्मियों को टीम लिस्ट दी जाती है) चौंक गए. दिल्ली की टीम में सिर्फ नौ प्लेयर्स खेल रही थीं.
जान लीजिए कि फुटबॉल मैच में एक बार में 11 प्लेयर्स उतरते हैं. साथ ही तीन प्लेयर्स को सब्सिट्यूट के तौर पर रखा जाता है. इस हिसाब से एक फुटबॉल टीम में कम से कम 14 प्लेयर्स होते हैं. लेकिन दिल्ली ने सिर्फ नौ प्लेयर्स उतारे.
Shaji Prabhakaran And Prafu
Shaji Prabhakaran और AIFF Chief Praful Patel की फाइल फोटो (शाजी प्रभाकरन के फेसबुक से साभार)

मैच खत्म हुआ, ओडिशा ने इसे आसानी से 10-0 से जीत लिया. मैच के बाद हमने नौ प्लेयर्स क्यों खेले, इसे जानने के लिए फोन किया फुटबॉल दिल्ली के चीफ शाजी प्रभाकरन को. उन्होंने हमें बताया,
'हमें नहीं पता. ये दिल्ली का एजुकेशन डिपार्टमेंट मैनेज कर रहा है. हम लोग उसमें कुछ नहीं कर रहे. ये बहुत ही गलत है.'
इसके बाद हमने फोन किया धर्मेंद्र सिंह को. यह एजुकेशन डिपार्टमेंट में स्पोर्ट्स का काम देखते हैं. धर्मेंद्र ने हमें बताया,
'इस बारे में चीफ डे मिशन ही बता पाएंगे, मैं तो दिल्ली में हूं. चीफ डे मिशन एसआर साहू जी हैं, वह एथलीट्स के साथ गुवाहाटी में हैं.'
फिर हमने फोन किया साहू जी को. साहू जी ने कहा,
'मुझे कोच से पूछना होगा, फिर आपको बताऊंगा.'
थोड़ी देर बाद उन्होंने हमें फोन कर बताया,
'नौ लड़कियां एक टूर्नामेंट खेलकर भुवनेश्वर से लौटी थीं. उनकी फ्लाइट लेट हो गई. इनमें से एक को चोट भी लगी थी. इसके चलते हम नौ ही लड़कियों को उतार पाए. अब हमारी पूरी टीम गुवाहाटी आ गई है.'
ये हो गई इनकी सफाई. अब इस घटना और सफाई के बाद उठते हैं कुछ बेसिक सवाल.
Odisha Vs Delhi
Odisha Vs Delhi Match की Team List.

 #बड़े सवाल
पहला सवाल यह है कि किन हालात में दिल्ली को सिर्फ नौ प्लेयर्स के साथ उतरने की परमिशन दी गई? फुटबॉल के खेल में कम से कम 11 प्लेयर्स एक साथ उतरते हैं, अगर टूर्नामेंट सेवन-ए-साइड न हो. यह टूर्नामेंट 11 प्लेयर्स का है, ऐसे में सबसे पहला सवाल तो यही है कि खेलो इंडिया के कर्ता-धर्ताओं ने क्यों दिल्ली को नौ प्लेयर्स के साथ खेलने दिया.
दूसरा सवाल है कि दिल्ली की टीम की प्लानिंग किस हिसाब से की गई कि उन्हें गुवाहाटी पहुंचते ही सीधे मैच में उतरना पड़ा? ये खानापूर्ति नहीं तो क्या है? ऐसी खानापूर्ति के दम पर हम अगली पीढ़ी के एथलीट तैयार कर रहे हैं?
तीसरा सवाल यह है कि क्या दिल्ली की टीम में एक चोटिल खिलाड़ी खेली? अगर हां तो उसकी चोट बिगड़ने पर कौन जिम्मेदार होगा? अगर नहीं तो दिल्ली की नवीं प्लेयर कौन थी, क्योंकि जब कुल नौ प्लेयर्स थीं और उनमें एक चोटिल भी थी तो नौ प्लेयर्स कहां से आईं?
चौथा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्रालय की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक के साथ अगर यह रवैया अपनाया जा रहा है तो बाकी इवेंट्स के साथ भारत में कैसा व्यवहार होता होगा?
अंत में आपको बता दे ंकि भारत में नेशनल गेम्स का आयोजन आखिरी बार 2015 में हुआ था. गोवा को इन गेम्स का आयोजन करना था लेकिन वह लगातार इसे टाल रहा है. अब कहा जा रहा है कि 2020 में इसका आयोजन होगा.


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